/sootr/media/media_files/2025/07/09/rajasthan-congress-2025-07-09-15-50-52.jpg)
Photograph: (The Sootr)
राजस्थान कांग्रेस (Rajasthan Congress) में इन दिनों नेतृत्व परिवर्तन और बड़े बदलावों को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है। पार्टी विपक्ष में होते हुए भी जनता से जुड़े मुद्दों पर कोई बड़ा आंदोलन या संदेश देने में नाकाम रही है। इसके साथ ही, पार्टी में होने वाले बदलावों को लेकर निरंतर इंतजार किया जा रहा है। राजस्थान (Rajasthan) कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा (Govind singh Dotasara) का पांच साल का कार्यकाल इस महीने पूरा हो जाएगा। जब डोटासरा को अध्यक्ष बनाया गया था, तब राज्य में कांग्रेस की सरकार थी। हालांकि, सरकार जाने के बाद भी डोटासरा का पद स्थिर बना रहा। 2023 के विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस में बड़े बदलाव की बात की जा रही थी, लेकिन लोकसभा चुनाव के समय डोटासरा को ही अध्यक्ष बनाए रखा गया। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को बेहतर परिणाम मिले, लेकिन पार्टी की टीम में कोई बदलाव नहीं हुआ। अब इस स्थिति पर सवाल उठ रहे हैं।
यह खबर भी देखें... कन्हैयालाल हत्याकांड : सुप्रीम कोर्ट की उदयपुर फाइल्स की रिलीज पर रोक से मनाही
कुछ बदलाव, लेकिन डोटासरा बने रहे
हालांकि, कुछ नेताओं के पदों में बदलाव किए गए हैं, जैसे यूथ कांग्रेस, महिला कांग्रेस और एनएसयूआई के अध्यक्षों को बदला गया है, लेकिन गोविंद सिंह डोटासरा अपनी जगह पर बने हुए हैं। सूत्रों का कहना है कि पार्टी में बड़ा बदलाव करने की योजना है, लेकिन यह अभी तक संभव नहीं हो पाया है। नई पीसीसी अध्यक्ष की नियुक्ति का इंतजार किया जा रहा है, जिसके बाद पार्टी में ओवरहालिंग की उम्मीद की जा रही है।
बड़ा आंदोलन या प्रदर्शन नहीं
पिछले कुछ महीनों से राजस्थान कांग्रेस सिर्फ सामान्य कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है। बड़े मुद्दों पर प्रदेशभर में कोई आंदोलन या प्रदर्शन नहीं हुआ है। पार्टी के अंदर एक धड़ा चाहता है कि कोई बड़ा आंदोलन किया जाए, लेकिन यह नहीं हो पा रहा है। छोटे-छोटे आंदोलनों और धरनों का आयोजन कुछ जिलों में हुआ है, लेकिन इनका प्रभाव सीमित रहा है। पार्टी के अंदर कुछ निष्क्रिय नेताओं को बदलने की आवश्यकता महसूस की जा रही है, लेकिन इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
कमजोर संगठनात्मक स्थिति
राजस्थान में यूथ कांग्रेस, महिला कांग्रेस, एनएसयूआई और सेवादल की स्थिति कमजोर दिखाई दे रही है। इन संगठनों के अध्यक्ष लगातार कुछ करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनके प्रयासों का कोई बड़ा असर नहीं दिखाई दे रहा है। महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सारिका सिंह ने एक बार संघर्ष दिखाया था, लेकिन अब महिला कांग्रेस का कोई प्रभावी काम नहीं दिखाई दे रहा है। सेवा दल की ओर से भी कोई महत्वपूर्ण कार्य नहीं दिखाया जा रहा है।
यह खबर भी देखें... गर्लफ्रेंड के लिए सेना का जवान बना गद्दार,गंदे काम के लिए हर बार लेता था 3 लाख
नए अध्यक्ष की उम्मीद
राजस्थान कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और नेताओं की निगाहें अब नए प्रदेश अध्यक्ष पर टिकी हुई हैं। चूंकि, पार्टी निकाय चुनाव में गोविंद सिंह डोटासरा के नेतृत्व में नहीं उतरना चाहती है, कुछ नेताओं का मानना है कि डोटासरा के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा जाए। अब इस पर फैसला दिल्ली से लिया जाना है, और प्रदेश स्तर पर कोई भी नेता इस पर कोई बयान नहीं दे पा रहा है।
यह खबर भी देखें... चातुर्मास में कौन जैन मुनि आज से कहां विराजमान हैं, जानिए प्रमुख संतों का कार्यक्रम
गुटबाजी का असर
राजस्थान कांग्रेस में पहले केवल दो गुट थे, लेकिन अब कई छोटे-छोटे गुट बन चुके हैं। इसका असर पार्टी की रणनीतियों पर भी पड़ा है, खासकर विधानसभा उपचुनावों में यह स्थिति स्पष्ट तौर पर देखने को मिली। गुटबाजी की वजह से पार्टी को कई मोर्चों पर नुकसान उठाना पड़ा है, और इसके कारण एकजुटता की कमी भी महसूस हो रही है।
FAQ
अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢
🔃🤝💬👩👦👨👩👧👧