/sootr/media/media_files/2025/09/02/rajasthan-dalhan-udan-market-2025-09-02-14-09-27.jpg)
Photograph: (The Sootr)
राजस्थान देश के प्रमुख दलहन उत्पादक राज्यों में से एक है और यहां के कृषि क्षेत्र में दलहन का महत्वपूर्ण स्थान है। राज्य ने अपनी दलहन आत्मनिर्भरता में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, लेकिन स्टार्टअप और उद्योग के क्षेत्र में इसे बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
राजस्थान दलहन के उत्पादन में दूसरे राज्यों के मुकाबले तीसरे स्थान पर आता है, और यह उत्पाद राज्य की आर्थिक स्थिति को मज़बूती देता है। हालांकि, गुजरात, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों के मुकाबले राजस्थान में दलहन आधारित उद्योगों की स्थिति कमजोर है। जबकि इन राज्यों के उद्योग राजस्थान की मूंग, मोठ और मसूर जैसी दालों को बड़े पैमाने पर अपने बाजारों में बेच रहे हैं।
इस क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता है ताकि राजस्थान का दलहन उद्योग राज्य की अर्थव्यवस्था में और योगदान दे सके। The Sootr के इस लेख में हम राज्य में दलहन उत्पादन, इसके लाभ, और उद्योग में सुधार की आवश्यकता पर चर्चा करेंगे।
/filters:format(webp)/sootr/media/media_files/2025/09/02/rajasthan-dalhan-udan-market-2025-09-02-14-27-51.jpg)
दलहन उत्पादन में राजस्थान की स्थिति क्या है?
भारत दुनिया का 25 प्रतिशत दलहन उत्पादन करता है, और राजस्थान का इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान है। देश में दलहन की कुल खपत का लगभग 20 प्रतिशत खाद्यान्न में इस्तेमाल होता है। मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के बाद राजस्थान तीसरे स्थान पर है, जो दलहन उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
केंद्रीय बजट 2025-26 में दलहन के उत्पादन को बढ़ाने और आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए तुअर, उड़द और मसूर पर विशेष ध्यान देने की योजना बनाई गई है। सरकार ने इन दालों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए छह साल की योजना बनाई है, जिसमें केंद्र सरकार की एजेंसियां जैसे नेफेड (NEFED) और एनसीसीएफ (NCCF) किसानों से इन दालों की खरीद करेंगी।
इस योजना का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि देश को दलहन के मामले में आत्मनिर्भर बनाया जाए। राजस्थान में दलहन उत्पादन में सुधार और उद्योग में निवेश बढ़ाने के लिए यह एक बड़ी पहल साबित हो सकती है।
राजस्थान का दलहन उत्पादन 38.75 लाख टन है, जो देश के कुल दलहन उत्पादन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हालांकि, राज्य का दलहन उद्योग अन्य राज्यों के मुकाबले कम विकसित है।
राजस्थान में कौन सी दालों का उत्पादन होता है?
राजस्थान में दलहन उत्पादन विभिन्न प्रकार की दालों से जुड़ा हुआ है। राज्य में प्रमुख दालों का उत्पादन किया जाता है, जैसे:
मूंग (Moong) और मोठ (Moth): पश्चिमी राजस्थान और कोटा में इन दालों का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है। इन दालों की खेती का क्षेत्र बढ़ रहा है, और राज्य के कई क्षेत्रों में मूंग और मोठ की उपज बहुत अधिक होती है।
अरहद और चौला: ये दालें राजस्थान के अन्य क्षेत्रों में उत्पादित होती हैं और राज्य के दलहन उत्पादन में उनका भी महत्वपूर्ण योगदान है।
मसूर (Masoor): मसूर की खेती विशेष रूप से पश्चिमी राजस्थान में बड़ी मात्रा में होती है। पूरे राज्य में मसूर की खेती लगभग 38 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में की जाती है।
उड़द (Urad): उड़द की खेती राजस्थान में सवाई माधोपुर में की जाती है, जहां इसका उत्पादन 40,000 हेक्टेयर क्षेत्र में किया जाता है।
राजस्थान का दलहन उत्पादन मुख्यतः रबी (Rabi) सीजन में होता है, जिसमें चना और मसूर की प्रमुखता है। यह क्षेत्र दलहन उत्पादन में देशभर में अग्रणी है, लेकिन राज्य में दलहन आधारित उद्योगों की स्थिति उतनी मजबूत नहीं है।
भारत में दलहन उत्पादन की स्थिति क्या है? (2024-25)भारत में दलहन उत्पादन में राज्यवार स्थिति इस प्रकार है:
| |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
राजस्थान में दलहन आधारित उद्योगों की स्थिति क्या है?
राजस्थान का दलहन उत्पादन अत्यधिक है, लेकिन राज्य में दलहन आधारित उद्योगों का विकास अपेक्षाकृत कम है। महाराष्ट्र और गुजरात में जहां दलहन आधारित कारखाने और उत्पाद बड़े पैमाने पर काम कर रहे हैं, वहीं राजस्थान में इस तरह के उद्योगों की स्थिति बहुत कमजोर है।
राजस्थान से मूंग, मोठ, और मसूर जैसे दालें महाराष्ट्र और गुजरात के बाजारों में पहुंच रही हैं, लेकिन यहां के उद्योगों को और बढ़ावा देने की आवश्यकता है। यदि राज्य में दलहन आधारित उद्योगों का विकास होता है, तो यह न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को और मजबूती देगा, बल्कि किसानों को भी बेहतर मूल्य मिलेगा।
केंद्रीय बजट और दलहन उद्योग
/filters:format(webp)/sootr/media/media_files/2025/09/02/rajasthan-dalhan-udan-market-2025-09-02-14-28-58.jpg)
केंद्रीय बजट 2025-26 में दलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं की घोषणा की गई है। तुअर, उड़द और मसूर जैसे प्रमुख दलहनों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए सरकार ने छह साल का मिशन शुरू करने की योजना बनाई है। इस मिशन के तहत, केंद्र सरकार इन दालों के लिए नेफेड (NEFED) और एनसीसीएफ (NCCF) जैसी एजेंसियों के माध्यम से किसानों से दालों की खरीद करेगी।
राजस्थान दलहन उद्योग के विकास के लिए इस तरह की सरकारी पहल से महत्वपूर्ण लाभ हो सकता है। राज्य में दलहन उद्योग को प्रोत्साहन देने से किसानों को बेहतर बाजार मिलेगा और राज्य की अर्थव्यवस्था को भी सुधार मिलेगा।
राजस्थान में दलहन उद्योग को बढ़ावा देने के उपाय
राजस्थान में दलहन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:
कारखानों की स्थापना: राज्य में दलहन आधारित उद्योगों के लिए कारखानों की स्थापना करनी चाहिए, जिससे स्थानीय स्तर पर रोजगार उत्पन्न हो सके और किसानों को सीधे लाभ पहुंचे।
प्रोसेसिंग यूनिट्स: दलहन के उत्पादों की प्रोसेसिंग यूनिट्स (Processing Units) स्थापित करने से उत्पाद की कीमत बढ़ सकती है और उत्पादकता में वृद्धि हो सकती है।
किसान प्रशिक्षण: किसानों को बेहतर कृषि तकनीकों के बारे में जानकारी देने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए, ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें।
सरकारी प्रोत्साहन: राज्य सरकार को दलहन उत्पादक किसानों को प्रोत्साहन देना चाहिए, जैसे कि सब्सिडी, कर्ज की सुविधा और किसानों के लिए बाजार सहायता।
FAQ
thesootr links
- मध्यप्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- राजस्थान की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक
- जॉब्स और एजुकेशन की खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें
- निशुल्क वैवाहिक विज्ञापन और क्लासिफाइड देखने के लिए क्लिक करें
अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢🔃🤝💬👩👦👨👩👧👧