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Photograph: (the sootr)
राजस्थान के जयपुर स्थित रामगढ़ बांध पर पहली बार ड्रोन और एआई तकनीक (Artificial Intelligence) से कृत्रिम वर्षा (Artificial Rain) कराने की तैयारी की जा रही है। इस ऐतिहासिक परियोजना के तहत अमेरिका की जेएनएक्सएआई कंपनी के वैज्ञानिकों और जलवायु इंजीनियरों की एक टीम शनिवार को रामगढ़ बांध पहुंची। यह परियोजना देश में पहली बार ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल करेगी, जिससे यहां कृत्रिम वर्षा की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। हालांकि अभी नागरिक उड्डयन महानिदेशालय यानी डीजीसीए से मंजूरी मिलना बाकी है।
ड्रोन से होगी वर्षा, शुरुआत 31 जुलाई से
जेएनएक्सएआई के निदेशक अजिंक्य डुंभारे और प्रबंध निदेशक राकेश अग्रवाल ने अपनी टीम के साथ बांध की मुख्य पाल का निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि 31 जुलाई से कृत्रिम वर्षा की प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू कर दी जाएगी। इसके लिए एसीसीएल-1 और हाइड्रो प्लेटफॉर्म के सहयोग से संयुक्त कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। यह पहल न केवल राजस्थान के लिए, बल्कि देश के लिए एक बड़ी उपलब्धि साबित हो सकती है।
विधायक महेन्द्र पाल मीना का निरीक्षण
इस मौके पर जमवारामगढ़ विधायक महेन्द्र पाल मीना भी रामगढ़ बांध पहुंचे और वैज्ञानिकों से इस तकनीकी पहल के बारे में जानकारी ली। विधायक ने बताया कि रविवार को कंपनी के अधिकारी राज्य के कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा से मुलाकात करेंगे, जहां कृत्रिम वर्षा परियोजना पर विस्तार से चर्चा होगी। साथ ही, 31 जुलाई को इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम का शुभारंभ कृषि मंत्री द्वारा किया जाएगा।
विशेष ड्रोन मंगवाया गया ताइवान से
इस परियोजना के तहत कृत्रिम वर्षा के लिए ताइवान से एक अत्याधुनिक ड्रोन मंगवाया गया है, जो किसी एयरक्राफ्ट जैसा दिखाई देता है। डुंभारे ने बताया कि इस ड्रोन का उपयोग वर्षा के लिए किया जाएगा। इससे पहले, क्षेत्र की जलवायु से संबंधित डेटा एकत्र किया जाएगा, ताकि वर्षा का प्रभावी ढंग से संचालन किया जा सके। 31 जुलाई को कार्यक्रम की लॉन्चिंग के दिन तकनीक का डेमो भी प्रस्तुत किया जाएगा।
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राजस्थान में जलवायु परिवर्तन और सूखा
राजस्थान में सूखा एक गंभीर समस्या बन चुका है, खासकर रामगढ़ बांध जैसे जलाशयों के सूखने के कारण। इस तकनीक का उद्देश्य राज्य में जल संकट को कम करना और वर्षा के प्रभावी उपाय प्रदान करना है। इसके अलावा, यह परियोजना राज्य के कृषि क्षेत्र को भी फायदा पहुंचाएगी, क्योंकि कृत्रिम वर्षा से फसलों को पानी मिलने में मदद मिलेगी।
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