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Photograph: (The Sootr)
राजस्थान की राजधानी जयपुर के जेएलएन मार्ग पर सरकारी जमीन पर बने ज्वैल ऑफ इंडिया (Jewel Of India - Official Website) अपार्टमेंट भले ही अवैध हो, लेकिन इसमें पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा और राजस्थान के मुख्य सचिव IAS सुधांश पंत समेत 6 आईएएस अफसर के फ्लैट हैं। यह अपार्टमेंट सरकारी जमीन पर बना है, लेकिन जय ड्रिंक्स प्राइवेट लिमिटेड ने सरकार की कृपा और भ्रष्टाचार की बुनियाद पर इसका जेडीए से पट्टा हथियाया है।
अफसरों को हो रही रेंटल इनकम
जयपुर की प्राइम लोकेशन जेएलएन मार्ग पर डब्ल्यूटीपी के ठीक सामने यह शहर का सबसे महंगा अपार्टमेंट है। यहां इस समय 6 करोड़ रुपए से 8 करोड़ रुपए तक के फ्लैट हैं। इस अपार्टमेंट में 25 से अधिक आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के फ्लेट हैं। 'द सूत्र' को इस अपार्टमेंट में जिन अधिकारियों के फ्लैट खरीदने के दस्तावेज मिले हैं, उनमें पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा और राजस्थान के चीफ सेक्रेटरी IAS सुधांश पंत, पूर्व चीफ सेक्रेटरी पूर्व IAS राजीव स्वरूप, एसीएस IAS संदीप वर्मा, उनकी पत्नी IAS श्रेया गुहा और आईएएस IAS आलोक गुप्ता शामिल हैं। सरकार को संपत्ति के बारे में दी गई सूचना में बाकायदा इन आईएएस अधिकारियों ने ज्वैल ऑफ इंडिया अपार्टमेंट में खरीदे गए फ्लैट की जानकारी साझा की है। रोचक बात यह है कि कुछ आईएएस अफसरों को इन फ्लैट से अच्छी-खासी रेंटल इनकम हो रही है।
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सिर्फ सुधांश पंत और राजीव स्वरूप का मिला जवाब
द सूत्र ने ज्वैल ऑफ इंडिया के जमीन विवाद को लेकर मुख्य सचिव सुधांश पंत, आलोक गुप्ता, संदीप वर्मा और पूर्व मुख्य सचिव राजीव स्वरूप से उनका पक्ष जानने के लिए फोन और मैसेज किए। इनमें से सिर्फ चीफ सेक्रेटरी IAS सुधांश पंत और पूर्व चीफ सेक्रेटरी राजीव स्वरूप ने जवाब दिया। वहीं पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा से प्रतिक्रिया नहीं ली जा सकी। जैसे ही हमें उनका जवाब मिलेगा, हम प्रमुखता से प्रकाशित करेंगे।
चीफ सेक्रेटरी IAS सुधांश पंत का कहना है कि जमीन के स्वामित्व के संबंध में मुझे ना तो पहले कोई जानकारी थी और ना बाद में। मुझे तो आप ही पहली बार बता रहे हो कि कोई विवाद है। वैसे कंपनी के पास जेडीए का पट्टा है और जेडीए से नक्शा भी पास है। इसलिए हमारे पास अविश्वास करने का कोई कारण नहीं है। पूर्व चीफ सेक्रेटरी पूर्व IAS राजीव स्वरूप ने कहा, आपको पता नहीं है कि इस मामले को सुलझा लिया गया है और कोई समस्या नहीं है। वैसे यहां फ्लैट खरीदने वाला मैं सिर्फ अकेला नहीं हूं।
जयपुर में ज्वैल ऑफ इंडिया का भ्रष्टाचार क्या है?दरअसल, सरकार ने 1965 में केपस्टन मीटर को 205 बीघा 8 बिस्वा जमीन इंडस्ट्रियल उपयोग के लिए दी थी। उसने इंडस्ट्री तो नहीं लगाई, लेकिन जमीन का करीब 48 बीघा हिस्सा अपने परिवार की कंपनी जय ड्रिंक्स को सब लीज पर दे दिया। जय ड्रिंक्स इस जमीन पर कुछ साल तक इस पर बोटलिंग प्लांट चलाता रहा। बाद में उसने सरकार की कृपा से जेडीए से एक जुलाई, 2008 को 72,967 वर्गमीटर जमीन का कर्मशियल पट्टा हासिल कर लिया। जय ड्रिंक्स ने इस पट्टे के आधार पर जमीन पर ज्वैल ऑफ इंडिया अपार्टमेंट खड़ा कर दिया। जेडीए के तत्कालीन विधि निदेशक दिनेश गुप्ता ने अपनी लीगल ओपिनियन में जय ड्रिंक्स के अस्तित्व पर ही सवाल उठा दिया। यह पट्टा न सिर्फ गैर-कानूनी था, बल्कि अपार्टमेंट भी पूरी तरह अवैध था। इस जमीन को सरकारी माना गया। | |
अफसरों को फ्लैट बेचकर खुद को सुरक्षित किया जय ड्रिंक्स ने
हैरानी इस बात की है कि क्या राजस्थान के नीति-नियंताओं को अपार्टमेंट की जमीन की असलियत के बारे में पता नहीं था। यह स्वीकृत तथ्य भी है कि जय ड्रिंक्स को सरकार की कृपा से जमीन का पट्टा और निर्माण की स्वीकृति मिल चुकी थी, इसलिए खरीदने वालों को कोई समस्या नहीं थी, लेकिन इस बात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि जय ड्रिंक्स के मालिकों ने जानबूझकर आईएएस अफसरों सहित अन्य रसूखदार लोगों को फ्लैट बेचकर खुद को सुरक्षित होने की कोशिश की है। इस मामले में जयपुर में सरकारी जमीन का अवैध उपयोग किया गया।
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Rajasthan News | सरकार की कृपा से भ्रष्टाचार की बुनियाद पर खड़ा ज्वैल ऑफ इंडिया !
ज्वैल ऑफ इंडिया में किन आईएएस ने खरीदे फ्लैट्स?
IAS सुधांश पंत, चीफ सेक्रेटरी
वर्ष 2018 में पत्नी के नाम पर फ्लैट खरीदा। कीमत 1.94 करोड़ रुपए। अब उन्हें प्रत्येक वर्ष 19.5 लाख रुपए की रेंटल इनकम।
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सुनील अरोड़ा, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त
जनवरी, 2021 में पत्नी और खुद के नाम पर फ्लैट खरीदा। कीमत 2.92 करोड़ रुपए।
IAS संदीप वर्मा, एसीएस और IAS श्रेया गुहा, प्रिंसिपल सेक्रेटरी
वर्ष 2020 में पत्नी आईएएस श्रेया गुहा के साथ मिलकर फ्लैट खरीदा। कीमत 2.65 करोड़ रुपए। वर्तमान कीमत करीब चार करोड़ रुपए। अब उन्हें प्रत्येक वर्ष 16 लाख रुपए रेंटल इनकम।
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IAS आलोक गुप्ता, प्रिंसिपल सेक्रेटरी
वर्ष 2021 में पत्नी और स्वयं के नाम फ्लैट खरीदा। कीमत 2.13 करोड़ रुपए। प्रत्येक वर्ष 20.40 लाख रुपए रेंटल इनकम।
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जय ड्रिंक्स की थी ही नहीं जमीन, फिर कैसे दिया पट्टा
जेडीए के तत्कालीन निदेशक विधि दिनेश गुप्ता ने इस मामले पर दी विधिक राय में कहा है कि सरकार ने इंडस्ट्री लगाने के लिए 1965 में 205 बीघा 8 बिस्वा जमीन कैपस्टन मीटर को लीज पर दी थी। शर्त के अनुसार, कैपस्टन को जमीन सब-लीज पर देने लिए सरकार की पूर्व अनुमति जरूरी थी। कैपस्टन ने दो साल बाद 1967 में 30 एकड़ जमीन जय ड्रिंक्स को बॉटलिंग प्लांट के लिए सब-लीज पर दे दी। इसके लिए सरकार ने अनुमति लेना बताया, लेकिन सरकार का आदेश रिकॉर्ड पर नहीं है। कानूनी तौर पर एक बार लीज पर दी गई जमीन हमेशा लीज पर ही रहेगी। यदि लीज 99 साल की है, तो भी लीज लेने वाले को मालिकाना हक नहीं होंगे। इसलिए कैपस्टन मीटर के जमीन पर लीज अधिकार कभी भी मालिकाना हक में परिवर्तित नहीं हुए, तो जय ड्रिंक्स प्रा. लि. का तो सवाल ही नहीं उठता, क्योंकि सरकार ने उसे जमीन दी ही नहीं थी।
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शक के दायरे में जय ड्रिंक्स की सब-लीज
कैपस्टन मीटर ने सरकार की 7 नवंबर, 1966 की अनुमति से जय ड्रिंक्स को सब-लीज देना बताया है, लेकिन इस पत्र का उल्लेख जेडीए की फाइल में नहीं है और ना ही सब-लीज की डीड में उक्त अनुमति पत्र का डिस्पेच नंबर दर्ज है। कैपस्टन मीटर ने कभी भी जेडीए या सरकार के साथ हुए पत्राचार में इस अनुमति पत्र का उल्लेख नहीं किया है और ना ही कभी पत्र संलग्न किया। इसलिए सरकार से जय ड्रिंक्स को सब-लीज देने का पत्र जारी होना पूरी तरह से संदेहास्पद है।
मालिक नहीं बन गए
अवाप्ति से मुक्ति के बाद कैपस्टन मीटर की जमीन की लीज पुनर्जीवित हो गई। जय ड्रिंक्स की जमीन की स्थिति भी सब-लीज वाली हो गई। हालांकि यह सब-लीज गैर-कानूनी है। दूसरे शब्दों में अवाप्ति से मुक्ति के बाद कैपस्टन मीटर जमीन की लीज होल्डर और जय ड्रिंक्स सब-लीज होल्डर ही रहे, ना कि जमीन के मालिक बन गए।
एक मई, 1986 को 18 एकड़ जमीन जय ड्रिंक्स की फैक्ट्री के लिए अवाप्ति से मुक्त की गई थी। इसलिए इस जमीन का भू-उपयोग परिवर्तन किसी भी स्थिति में नहीं हो सकता था, क्योंकि यह जमीन मूलत: कैपस्टन मीटर का दी गई 205.8 बीघा जमीन का ही हिस्सा है। जमीन की लीज डीड में ही जमीन का भू-उपयोग औद्योगिक से किसी अन्य कैटेगरी में नहीं करने की शर्त लिखी है।
दूसरा कारण अवाप्ति से मुक्ति के एक मई, 1986 के आदेश में भी भू-उपयोग बदलने पर रोक है। तत्कालीन राजस्थान लैंड रेवेन्यू (इंडस्ट्रीयल एरिया अलॉटमेंट) रूल्स-1959 के तहत औद्योगिक श्रेणी की जमीन का भू-उपयोग नहीं बदल सकता। इसलिए जय ड्रिंक्स को दिया गया 72,967 वर्गमीटर का पट्टा और इस जमीन पर बहुमंजिला आवासीय और व्यावसायिक निर्माण की अनुमति देना भी पूरी तरह गैर-कानूनी है।
यदि लीज रद्द हुई, तो खरीदने वालों का क्या होगा?
इस मामले में एक जनहित याचिका राजस्थान हाई कोर्ट में पेडिंग है। प्रो. जयनारायण त्रिवेदी की इस याचिका में कैपस्टन मीटर को दी गई जमीन सरकारी होने के आधार पर पूरे मामले की सीबीआई या एसीबी से जांच करवाने की गुहार की है। बड़ा सवाल यह है कि यदि भविष्य में कभी जय ड्रिंक्स के पक्ष में जारी पट्टा रद्ध हुआ तो ज्वैल ऑफ इंडिया में महंगे-महंगे फ्लैट खरीदने वालों का क्या होगा! कानून के जानकारों का मानना है कि इस मामले में हालांकि अभी तक कोर्ट से कुछ नहीं हुआ है, लेकिन फ्लैट खरीदने वालों के हित सुरक्षित करने के लिए सरकार को ही अदालती आदेश होने तक प्रोजेक्ट में और फ्लैट बनाने और बेचने पर रोक लगा देनी चाहिए। इसके अलावा कैपस्टन मीटर और पुष्पा जयपुरिया फाउंडेशन ट्रस्ट के पास जमीन को अपने कब्जे में ले लेना चाहिए, ताकि जरूरत होने पर इसे नीलाम करके क्षतिपूर्ति की जा सके।
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