राजस्थान : जल जीवन मिशन में बड़ा घोटाला, कर दिया 150 करोड़ का फर्जी भुगतान

राजस्थान में जल जीवन मिशन के तहत जालोर में 150 करोड़ रुपए का ट्यूबवेल घोटाला सामने आया है। यह घोटाला बिना टेंडर के 981 ट्यूबवेल के संचालन व रखरखाव में हुआ।

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Nitin Kumar Bhal
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Jal Jeevan Mission

Photograph: (The Sootr)

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राजस्थान (Rajasthan) के जालोर सर्किल में पीएचईडी (PHE) विभाग के तहत जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) के तहत 981 ट्यूबवेलों के संचालन और रखरखाव के ठेकों में लगभग 150 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है। यह घोटाला तब सामने आया जब यह पता चला कि बिना टेंडर के दो स्थानीय फर्मों को इन ठेकों का कार्यादेश दे दिया गया था। यह पूरी प्रक्रिया नियमों का उल्लंघन कर की गई थी, जिसमें टेंडर प्रक्रिया को दरकिनार कर केवल दो फर्मों को अनुबंध दिया गया।

बिना अनुमति बढ़ाई ट्यूबवैल की संख्या

पीएचईडी अधिकारियों ने करीब सात साल पहले जालोर सर्किल में 20 ट्यूबवेलों के संचालन और रखरखाव के लिए ईएससीओ (ESCO) मॉडल अपनाया था। बाद में, बिना किसी सरकारी अनुमति के, इन ट्यूबवेलों की संख्या बढ़ाकर 981 कर दी गई। इससे पहले ही इन फर्मों को बिना टेंडर के कार्यादेश जारी कर दिए गए थे।

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150 करोड़ का फर्जी भुगतान

अब तक इस घोटाले में 150.07 करोड़ रुपए का फर्जी भुगतान भी हो चुका है। यह भुगतान तब किया गया जब सरकार द्वारा निर्धारित टेंडर प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था। पीएचईडी अफसरों की रिपोर्ट और जांच के अनुसार यह सब नियमों और प्रक्रियाओं का उल्लंघन कर किया गया।

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एसीएस ने मांगी तथ्यात्मक रिपोर्ट तो हुआ खुलासा

इस पूरे मामले में एक शिकायत के बाद, प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी सुधांश पंत (chief secretary Sudhansh Pant) ने जांच आदेश दिए थे। इसके बाद, पीएचईडी के तत्कालीन एसीएस भास्कर ए. सावंत ने इस मामले की जांच की। कमेटी ने मौका विजिट व दस्तावेजों की जांच के आधार पर 4 टेंडर में 40 करोड़ रुपए का फर्जी भुगतान पकड़ा था।

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जांच प्रक्रिया जारी

हालाँकि, पीएचईडी, जयपुर के एडिशनल सेक्रेटरी संदीप शर्मा ने भी इस घोटाले की जांच की थी और रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसमें कई अनियमितताएं सामने आई थीं। हालांकि अब तक जांच प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है और मामला आगे की जांच के लिए जारी है।

जल जीवन मिशन क्या है?

जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) भारत सरकार द्वारा 2019 में शुरू की गई एक योजना है, जिसका उद्देश्य 2024 तक ग्रामीण भारत के हर घर में कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन के माध्यम से सुरक्षित और पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराना है। यह योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (NRDWP) को पुनर्गठित और समाहित करके शुरू की गई है।

मिशन के मुख्य बिंदु

  • हर घर जल: 2024 तक हर ग्रामीण घर में नल से जल की आपूर्ति सुनिश्चित करना।
  • समुदाय आधारित दृष्टिकोण: जल के प्रति सामुदायिक दृष्टिकोण पर आधारित है, जिसमें व्यापक सूचना, शिक्षा और संचार शामिल है।
  • जल स्रोतों का संरक्षण: जल स्रोतों की स्थिरता के उपायों को भी लागू करेगा, जैसे कि ग्रे वाटर प्रबंधन, जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन।
  • भागीदारी: जल आपूर्ति प्रणालियों के प्रबंधन में ग्राम जल एवं स्वच्छता समितियों (VWSC) और कार्यान्वयन सहायता एजेंसियों (ISA) की भागीदारी।
  • गुणवत्ता: जल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए फील्ड टेस्ट किट (FTK) का उपयोग और जल गुणवत्ता परीक्षण जागरूकता कार्यक्रम।
  • पारदर्शिता: ऑनलाइन 'JJM डैशबोर्ड' और मोबाइल ऐप के माध्यम से पारदर्शिता और प्रभावी निगरानी।
  • तकनीक: जल आपूर्ति मापन के लिए सेंसर-आधारित IoT समाधान, लक्षित वितरण के लिए आधार लिंकिंग और परिसंपत्तियों की जियो-टैगिंग जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग। 

मिशन का लक्ष्य

हर ग्रामीण घर में कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन के माध्यम से सुरक्षित और पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराना। 
जल स्रोतों का संरक्षण और प्रबंधन सुनिश्चित करना। 
समुदाय को जल के महत्व के बारे में जागरूक करना। 
जल आपूर्ति प्रणालियों के प्रबंधन में समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करना। 

मिशन का महत्व

यह योजना न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करती है, बल्कि यह जल संरक्षण, जल प्रबंधन और जल की गुणवत्ता में भी सुधार करती है। यह योजना भारत को स्वच्छ और स्वस्थ बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

 

FAQ

1. राजस्थान में जल जीवन मिशन के तहत जालोर सर्किल में कौन सा घोटाला हुआ?
उत्तर: जालोर सर्किल में पीएचईडी द्वारा जल जीवन मिशन के तहत 981 ट्यूबवेल के संचालन और रखरखाव के ठेकों में 150 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है।
2. जालोर सर्किल में घोटाले के मामले में किस अधिकारी ने जांच की?
उत्तर: इस घोटाले की जांच पीएचईडी के तत्कालीन एसीएस भास्कर ए. सावंत ने की थी।
3. जालोर सर्किल में घोटाले के बाद क्या कार्रवाई की गई है?
उत्तर: इस मामले में जांच के बाद फर्जी भुगतान की पुष्टि हुई थी। अधिकारियों ने ठेकेदारों को नोटिस जारी करने की सिफारिश की थी। इसके अलावा, कोर्ट में काविएट दाखिल करने की भी बात की गई थी।

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