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Photograph: (the sootr)
Jaipur. राजस्थान सरकार ने भूमि रजिस्ट्री के नियमों में बड़ा बदलाव किया है। अब किसी भी सोसाइटी लीज पर आधारित प्लॉट का रजिस्ट्रेशन केवल तब होगा, जब उस पर 90A आदेश के तहत भूमि का कन्वर्जन पूरा हो। यह बदलाव उन सभी लोगों को प्रभावित करेगा, जिन्होंने सोसाइटी लीज पर प्लॉट खरीदी है, लेकिन जिनका कन्वर्जन अभी तक पूरा नहीं हुआ है। इस फैसले का उद्देश्य अवैध निर्माण को रोकना और भूमि के उपयोग में स्पष्टता लाना है।
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90A आदेश क्या है?
90A आदेश राजस्थान भूमि राजस्व अधिनियम का वह प्रावधान है, जो भूमि के उपयोग में बदलाव के लिए सरकार की अनुमति को अनिवार्य बनाता है। इस आदेश के तहत किसी भी भूमि के आवासीय या अन्य उपयोग के लिए बदलाव के बाद ही रजिस्ट्री और निर्माण प्रक्रिया की अनुमति मिलती है। यह आदेश भूमि के सही उपयोग का प्रमाण-पत्र भी प्रदान करता है, ताकि सभी कानूनी प्रक्रियाएं स्पष्ट और वैध रहें।
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क्या है इस बदलाव का असर?
इस नए बदलाव का सबसे बड़ा असर उन लोगों पर पड़ेगा, जिन्होंने सोसाइटी लीज पर प्लॉट खरीदा है, लेकिन जिनका कन्वर्जन पूरा नहीं हुआ। इन प्लॉट्स का रजिस्ट्रेशन अब बिना 90A आदेश के नहीं हो सकेगा।
इसका मतलब यह हुआ कि कई कॉलोनियां और प्रोजेक्ट्स जहां कन्वर्जन पेंडिंग है, वहां के रजिस्ट्रेशन रुके रहेंगे। दूसरी ओर, कानूनी रूप से कन्वर्टेड कॉलोनियां और प्रोजेक्ट्स को इसका फायदा मिलेगा, क्योंकि केवल वही प्रोजेक्ट्स रजिस्टर्ड होंगे जिनकी प्रक्रिया पूरी हो चुकी होगी।
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रियल एस्टेट डवलपर्स की नाराजगी
इस फैसले को लेकर रियल एस्टेट डवलपर्स और सोसाइटी मैनेजमेंट्स में नाराजगी देखने को मिल रही है। उनका कहना है कि इस कदम से नागरिकों के लिए न केवल लागत बढ़ेगी, बल्कि प्रक्रिया भी कठिन हो जाएगी। हालांकि सरकार का तर्क है कि इस सख्ती के बिना अवैध प्लॉटिंग और निर्माण को नियंत्रित करना मुश्किल है।
क्या होगा अगर कन्वर्जन पेंडिंग है?
अगर कोई कॉलोनी या प्रोजेक्ट कानूनी रूप से कन्वर्टेड नहीं है, तो उसका रजिस्ट्रेशन नहीं हो सकेगा। 90A आदेश के बिना रजिस्ट्री का कोई भी दस्तावेज स्वीकार नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही रजिस्ट्री कार्यालय को सभी दस्तावेजों का डिजिटल सत्यापन करना होगा और इसे 90A पोर्टल से मैच करना होगा। यह प्रक्रिया प्रशासनिक जिम्मेदारियों को बढ़ाएगी और यदि यह प्रणाली सही से काम नहीं करती तो शिकायतें और देरी बढ़ सकती है।
रजिस्ट्री के लिए जरूरी दस्तावेज
- 90A आदेश का स्वीकृत होना
- भूमि कन्वर्जन प्रमाण-पत्र
- रजिस्ट्री विभाग द्वारा डिजिटल सत्यापन
तकनीकी देरी और शिकायतों का सामना
इस नए नियम के लागू होने के बाद बहुत से कन्वर्जन केस बैकलॉग में हैं, जिन्हें जल्द सुलझाना होगा। एक्सपर्ट्स का कहना है कि डिजिटल सिस्टम जितना तेज और कुशल होगा, इस बदलाव का असर उतना ही सकारात्मक रहेगा। हालांकि शुरुआती महीनों में शिकायतों और तकनीकी देरी की संभावना बनी रहेगी। खासकर उन मामलों में जहां कन्वर्जन की प्रक्रिया अभी अधूरी है।
क्यों जरूरी है यह बदलाव?
राज्य के कई हिस्सों में यह शिकायतें आई थीं कि सोसाइटियां बिना वैलिड लैंड कन्वर्जन के लीज जारी कर रही थीं। कुछ मामलों में सरकारी या चारागाह भूमि को अवैध रूप से निजी सोसाइटियों को बांटा गया था और फिर बेचा गया। यह कदम इन अवैध प्रथाओं को रोकने और भूमि के उपयोग में पारदर्शिता लाने के लिए उठाया गया है।
किसे प्रभावित करेगा यह बदलाव?
- सोसाइटी लीज पर प्लॉट खरीदने वाले
- कानूनी कन्वर्जन के बिना बने प्रोजेक्ट्स
- रियल एस्टेट डवलपर्स और सोसाइटी मैनेजमेंट
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