राजस्थान में अफसरों से पंगा लेने वाले नेताओं के बुरे दिन: क्या नहीं सीख रहे हैं नेता?

राजस्थान में अफसरों से पंगा लेने वाले नेताओं के लिए बुरे दिन शुरू हो चुके हैं। जब तक ये नेता अफसरों के साथ उलझकर राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश करते थे, तब तक सब ठीक था, लेकिन अब हालात बदल गए हैं।

author-image
Thesootr Network
New Update
CONGRESS BJP MLA
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

राजस्थान में अफसरों से पंगा लेने वाले नेताओं के लिए बुरे दिन शुरू हो चुके हैं। जब तक ये नेता अफसरों के साथ उलझकर राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश करते थे, तब तक सब ठीक था, लेकिन अब हालात बदल गए हैं। कई नेता ऐसे हैं जो अब तक अदालतों से सजा पा चुके हैं, और इसमें प्रमुख तौर पर कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों के नेता शामिल हैं। राजस्थान में आंदोलनों और अफसरों के साथ अभद्र व्यवहार करने के कारण अब नेता अदालतों के कठघरे में खड़े हैं, और न्यायिक प्रणाली ने इन नेताओं के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है।

ये खबर भी पढ़ें..राजस्थान में मानसून का असर : बारिश का दौर, येलो अलर्ट जारी, कोटा बैराज के गेट खोले गए

ये खबर भी पढ़ें..राजस्थान में आदिवासी स्टूडेंट्स को B.Ed के लिए मिलती है 30 हजार की स्कॉलरशिप, करें आवेदनm

कांग्रेस नेताओं मुकेश भाकर और मनीष पटेल को एक साल की सजा

जयपुर की एक अदालत ने कांग्रेस के दो विधायकों मुकेश भाकर और मनीष पटेल को एक-एक साल की सजा सुनाई। यह मामला 11 साल पुराना था, जब दोनों नेताओं ने राजस्थान विश्वविद्यालय के बाहर रास्ता जाम कर अधिकारियों से उलझने की कोशिश की थी। इसमें कुल नौ आरोपी थे, जिनमें से एक विधानसभा चुनाव का प्रत्याशी भी था। अदालत ने सभी आरोपियों को दोषी ठहराया। हालांकि, दोनों नेताओं की विधायकी पर फिलहाल कोई खतरा नहीं है, क्योंकि नियमानुसार एक साल की सजा होने से विधायक पद पर कोई असर नहीं पड़ता। दोनों विधायक अभी जमानत पर हैं।

ये खबर भी पढ़ें..राजस्थान मौसम : तेज बारिश से कई इलाकों में नुकसान, बिजली गिरने से 2 की मौत, जलभराव से धंसी सड़कें

ये खबर भी पढ़ें...केनरा बैंक ने की लाखों की अवैध वसूली, हाई कोर्ट के वकील ने खोली पोल

बीजेपी विधायक कंवरलाल मीणा की विधायकी छिन गई 

पिछले महीने बारां जिले के अंता से बीजेपी विधायक कंवरलाल मीणा की विधायकी इस तरह के एक ही मामले में चली गई। कंवरलाल मीणा ने करीब 20 साल पहले एक अधिकारी को पिस्तौल से धमकाने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में अदालत से तीन साल की सजा प्राप्त की थी। मीणा ने विधायकी बचाने के लिए काफी प्रयास किए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट से भी उन्हें राहत नहीं मिली। इसके बाद जिला निर्वाचन अधिकारी ने उनकी सीट रिक्त घोषित करने के लिए चुनाव आयोग को पत्र लिखा।

नरेश मीणा और निर्मल चौधरी जैसे नेताओं का भी सामना हो रहा है न्यायिक सख्ती से

अफसरों से उलझने के मामलों में कांग्रेस के नरेश मीणा का नाम भी आता है, जिन्होंने टोंक जिले में देवली-उनियारा विधानसभा सीट के उपचुनाव के दौरान एसडीएम को थप्पड़ मार दिया था। नरेश मीणा इस समय जेल में बंद हैं और उनकी जमानत हर स्तर पर खारिज हो चुकी है।इसके अलावा, जोधपुर में पूर्व छात्रसंघ नेता निर्मल चौधरी ने पुलिस से भिड़कर एक नया विवाद खड़ा कर दिया। यह मामला उस समय का है जब चौधरी एक चिकित्सक की मौत के मामले में धरना-प्रदर्शन कर रहे थे। इस दौरान उनकी पुलिस से तीखी झड़प हो गई और अब पुलिस चौधरी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की तैयारी कर रही है।

अफसरों से उलझने की कीमत चुकाते नेता: क्या वे अब भी नहीं समझ रहे हैं?

अफसरों के साथ उलझने की सजा नेताओं को मिल रही है, लेकिन इसके बावजूद कई नेता शुचिता और प्रशासन के साथ तालमेल की अहमियत नहीं समझ पा रहे हैं। अफसरों से पंगा लेकर राजनीति में सक्रिय रहने के प्रयासों का अब असर दिखने लगा है। अदालतों ने इन नेताओं के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है, और अब ये नेता अपनी सजा भुगत रहे हैं। बावजूद इसके, क्या नेताओं को अब भी इससे कोई सबक मिलेगा, या वे ऐसे विवादों से नहीं बच पाएंगे? यह सवाल अब भी उठता है। राजस्थान में नेताओं द्वारा अफसरों से उलझने की घटनाओं में बढ़ोतरी हो रही है, और इसके परिणामस्वरूप उन्हें अदालतों से सजा मिल रही है। नेताओं को यह समझने की जरूरत है कि अब राजनीति में केवल आंदोलनों और विरोध प्रदर्शन से नहीं बल्कि शुचिता और कर्तव्यों के पालन से ही असली पहचान बनती है।

 

 

 

राजस्थान नेता बीजेपी कांग्रेस विधायक सजा