दो से अधिक संतान वाले व्यक्ति के चुनाव लड़ने की राह होगी आसान, मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने दी हरी झंडी

राजस्थान में दो से अधिक बच्चों वाले व्यक्तियों के चुनाव लड़ने को लेकर खुशखबरी है। राज्य सरकार ने नियमों में बदलाव की प्रक्रिया शुरू कर दी है। नगरीय निकाय मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने नगर पालिका अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दी है।

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Kamlesh Keshote
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Photograph: (the sootr)

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Jaipur. राजस्थान में दो से अधिक संतानों वाले व्यक्तियों के चुनाव लड़ने को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है। पंचायत और निकाय चुनावों की तैयारियों के बीच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने नगर पालिका अधिनियम में संशोधन के लिए एक प्रस्ताव को प्रशासनिक मंजूरी दे दी है। चुनाव नियमों में बदलाव से उन व्यक्तियों को चुनाव लड़ने की अनुमति मिल सकती है। जिनके दो से अधिक बच्चे हैं। अब यह प्रस्ताव विधि विभाग को भेजा जाएगा और वहां से मंजूरी मिलने के बाद इसे विधानसभा में पेश किया जाएगा।

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नियम में बदलाव से होगा क्या

राजस्थान नगर पालिका अधिनियम की धारा-24 में एक प्रावधान है। जिसके तहत यदि किसी व्यक्ति के दो से ज्यादा बच्चे होते हैं, तो उसे बोर्ड में सदस्य या अध्यक्ष बनने का हक नहीं होता। अब इस प्रावधान में संशोधन के लिए प्रस्ताव को प्रशासनिक अनुमति मिल चुकी है। यदि विधि विभाग से हरी झंडी मिलती है, तो यह संशोधित प्रस्ताव कैबिनेट के सामने रखा जाएगा और फिर विधानसभा में पेश होगा। यदि विधानसभा इसे पारित कर देती है, तो आगामी निकाय चुनावों से पहले यह नया नियम लागू हो सकता है।

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क्या है बच्चों वाला नियम

वर्तमान में दो से ज्यादा बच्चों वाले व्यक्तियों को पंचायत और नगर निगम चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं थी। इस नियम के तहत यदि 27 नवंबर 1995 के बाद किसी व्यक्ति के तीसरे बच्चे का जन्म होता है, तो वह इन चुनावों के लिए अयोग्य हो जाता है। इस नियम के तहत, पंच, सरपंच, उपसरपंच, पंचायत समिति सदस्य, जिला परिषद सदस्य, प्रधान, जिला प्रमुख, पार्षद, सभापति या महापौर जैसे महत्वपूर्ण पद शामिल हैं।

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संशोधन के उद्देश्य और आगामी कदम

राजस्थान सरकार ने पहले ही जानकारी दी थी कि वे राजस्थान पंचायती राज अधिनियम और राजस्थान नगर निगम अधिनियम में संशोधन के लिए एक अध्यादेश लाने पर विचार कर रहे हैं। इस अध्यादेश के जरिए दो से ज्यादा बच्चों वाले व्यक्तियों को पंचायत और शहरी स्थानीय निकाय चुनावों से अयोग्य ठहराने वाले प्रतिबंध को हटाया जाएगा। यह कदम राज्य सरकार की ओर से चुनावों में अधिक प्रतिनिधित्व और भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है।

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प्रशासक के भरोसे 3 नगर निगम  

राजस्थान के जयपुर, जोधपुर और कोटा के सभी नगर निगमों का कार्यकाल 9 नवंबर को पूरा हो चुका है। साथ ही प्रदेश की 11 हजार 310 ग्राम पंचायतों और 52 नगर निकायों का कार्यकाल भी समाप्त हो चुका है। इन जगहों पर कार्यकाल पूरा होने के बाद प्रशासक कामकाज संभाल रहे हैं। जब तक पंचायत और निकाय चुनाव की तारीखों का एलान नहीं हो जाता। तब तक इन जगहों पर प्रशासक कार्य करेंगे। राजस्थान में ऐसा पहली बार हो रहा है। जब निकाय और पंचायतों का कार्यकाल पूरा होने के बाद इतने बड़े पैमाने पर प्रशासक नियुक्त किए गए हैं।

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फरवरी-मार्च में चुनाव कराने की योजना 

राज्य सरकार की फरवरी-मार्च 2026 में पंचायत और निकाय चुनाव साथ कराने की मंशा है। प्रदेश की 90 से अधिक नगर निकायों का कार्यकाल जनवरी-फरवरी में पूरा होने जा रहा है। राज्य सरकार प्रदेश में एक साथ पंचायत और निकाय चुनाव करवाना चाहती है। ऐसे में इतने बड़े स्तर पर तैयारियों में समय लगेगा। राजस्थान में SIR प्रक्रिया की वजह से भी चुनाव में देरी होने की आशंका जताई जा रही है। राजस्थान हाईकोर्ट की एकल पीठ भी राज्य में समय पर पंचायत और निकाय चुनाव कराने के निर्देश दिए हैं। लेकिन वह आदेश अभी लागू नहीं हुआ है। 

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