अस्पताल में प्रसव में पीछे राजस्थान, हर साल जाती करीब 30 हजार नवजातों की जान, खतरे में शिशु और मां की सुरक्षा

राजस्थान में हर साल 20 लाख से अधिक बच्चे जन्म लेते हैं, लेकिन शिशु मृत्यु दर और अस्पतालों में प्रसव की कमी की समस्या अभी भी बरकरार है। The Sootr में जानिए सरकार की योजनाओं और उनके प्रभाव के बारे में।

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Nitin Kumar Bhal
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Photograph: (The Sootr)

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राजस्थान में हर साल 20 लाख से अधिक बच्चों का जन्म होता है, लेकिन हर तीसरे प्रसव में शिशु का जन्म अप्रशिक्षित हाथों से हो रहा है। इसका परिणाम यह होता है कि हर साल 25,000 से 30,000 बच्चे या तो मरे हुए जन्म लेते हैं या फिर जन्म के बाद कुछ समय में ही अपनी जान गंवा देते हैं। यह आंकड़े केवल स्वास्थ्य सेवाओं की खामियों को ही नहीं, बल्कि अस्पतालों की पहुंच में कमी और प्रैक्टिकल समस्याओं को भी उजागर करते हैं।

राजस्थान के अस्पतालों में प्रसव की कमी और इसके कारण?

रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान में अस्पतालों में प्रसव की कमी एक गंभीर समस्या बन गई है। जहां एक ओर सरकार अस्पतालों में प्रसव बढ़ाने के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही है, वहीं दूसरी ओर गांवों में और दूर-दराज के इलाकों में अस्पतालों में प्रसव कराने की स्थिति बहुत खराब है। इसके कारण, शिशु और मां दोनों को खतरा होता है। कई बार प्रसव के समय आवश्यक चिकित्सा सहायता की कमी के कारण जटिलताएं उत्पन्न हो जाती हैं, जिससे शिशु और मां दोनों की जान को खतरा होता है।

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अस्पताल से डिस्चार्ज होने पर नहीं मिलता जन्म प्रमाण पत्र

एक और बड़ी समस्या जो सामने आई है, वह है अस्पतालों में बच्चे के डिस्चार्ज होने पर जन्म प्रमाण पत्र (Birth Certificate) का न मिलना। जब बच्चों को अस्पताल से डिस्चार्ज किया जाता है, तो कई बार जन्म प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं होता, जिससे कई परिवार घर पर जन्म बताकर दूसरा जन्म प्रमाण पत्र बनवाते हैं। यह समस्या मुख्य रूप से गांवों में देखने को मिल रही है, जहां लोग बिना उचित दस्तावेज के जन्म प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए गड़बड़झाले का सहारा लेते हैं।

इसकी वजह से राजस्थान में गैर संस्थागत प्रसव की संख्या बढ़ रही है। इस गड़बड़ी का असर लंबे समय तक शिशु स्वास्थ्य पर पड़ता है, क्योंकि सही जानकारी और मेडिकल रिकॉर्ड का अभाव रहता है।

राजस्थान में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति में सुधार की आवश्यकता है। इसके लिए, अस्पतालों में प्रसव कराने की सुविधाओं को बेहतर बनाना होगा और साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच को ग्रामीण इलाकों तक बढ़ाना होगा। इसके अलावा, स्वास्थ्य कर्मियों की प्रशिक्षण व्यवस्था को भी सुदृढ़ करना जरूरी है, ताकि वे प्रसव के दौरान किसी भी तरह की जटिलताओं से निपट सकें। वहीं, जननी सुरक्षा योजना के अंतर्गत, सरकारी और निजी अस्पतालों को सुनिश्चित करना होगा कि वे इस योजना का हिस्सा बनें, ताकि अधिक से अधिक महिलाओं और बच्चों को इसका लाभ मिल सके।

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राजस्थान में जन​नी सुरक्षा योजना की स्थिति क्या है?

वर्षसंस्थागत प्रसवगैर संस्थागत प्रसवजेएसवाई का लाभ
2023-2413 लाख 6 हजार 4986 लाख 25 हजार 57610 लाख 73 हजार
2024-2513 लाख 456 हजार 9676 लाख 25 हजार 6487 लाख 86 हजार

जननी सुरक्षा योजना क्या है?

राजस्थान में संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए जननी सुरक्षा योजना (जेएसवाइ) (Janani Suraksha Yojana (JSY)) शुरू की है, जिसका उद्देश्य अस्पतालों में प्रसव को बढ़ावा देना है। इस योजना के तहत, शहरी महिलाओं को 1000 रुपये और ग्रामीण महिलाओं को 1400 रुपये की आर्थिक मदद दी जाती है। हालांकि, इसके बावजूद, योजना का लाभ केवल आधे बच्चों तक ही पहुंच पाता है। इसका मुख्य कारण यह है कि कई निजी अस्पताल इस योजना में शामिल नहीं हैं, जिससे सरकारी अस्पतालों की तुलना में निजी अस्पतालों में प्रसव करने वाली महिलाओं को इसका लाभ नहीं मिल पाता है।

जननी सुरक्षा योजना का लाभ किसे मिलता है?

परीक्षणों और सर्वेक्षणों में यह सामने आया है कि कई छोटे निजी अस्पताल जननी सुरक्षा योजना राजस्थान में शामिल नहीं हैं, जिससे इन अस्पतालों में प्रसव करने वाली महिलाओं को योजना का लाभ नहीं मिल रहा। इस कारण, जिन महिलाओं को यह योजना मिलने का हक था, वे उससे वंचित रह जाती हैं। साथ ही, इस योजना के क्रियान्वयन में कई जगहों पर खराब व्यवस्था और प्रशासनिक लापरवाही भी देखने को मिल रही है। इसका परिणाम यह होता है कि यह योजना शिशुओं और माताओं को कुपोषण से बचाने में पूरी तरह से सफल नहीं हो पा रही है।

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राजस्थान में जन्म और मृत्यु पंजीकरण की स्थिति क्या है?

आर्थिक सांख्यिकी निदेशालय (Economic Statistics Directorate) द्वारा जारी जन्म-मृत्यु पंजीयन की वार्षिक रिपोर्ट (Annual Birth-Death Registration Report) के अनुसार, राजस्थान के शहरी इलाकों में 10 लाख से अधिक जन्मों में से 8.47 लाख का पंजीकरण 21 दिन के भीतर हो रहा है। वहीं, ग्रामीण इलाकों में 9.60 लाख से अधिक जन्मों में से केवल 3.97 लाख का पंजीकरण 21 दिन के भीतर हो पाता है। और, पांच लाख से अधिक जन्म एक साल में भी पंजीकृत नहीं होते हैं।

यह स्थिति विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में चिंताजनक है, क्योंकि यहां पर स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सीमित है, और पंजीकरण की प्रक्रिया में भी देरी हो रही है। इस कारण, बच्चों की सही संख्या का अनुमान और उनकी स्वास्थ्य स्थिति का आकलन करना बेहद मुश्किल हो जाता है।

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FAQ

1. राजस्थान में कितने प्रसव अस्पतालों में होते हैं?
राजस्थान में हर साल 20 लाख से अधिक जन्म होते हैं, लेकिन इनमें से करीब 30 फीसदी गैर संस्थागत (Non-Institutional) प्रसव होते हैं।
2. राजस्थान में जननी सुरक्षा योजना के तहत क्या लाभ मिलता है?
जननी सुरक्षा योजना के तहत शहरी महिलाओं को 1000 रुपये और ग्रामीण महिलाओं को 1400 रुपये की सहायता दी जाती है।
3. राजस्थान में क्यों कई निजी अस्पताल जननी सुरक्षा योजना में शामिल नहीं होते?
कई छोटे निजी अस्पतालों में जननी सुरक्षा योजना के लाभार्थियों का पंजीकरण नहीं किया जाता, जिससे महिलाएं इसका लाभ नहीं ले पातीं।
4. राजस्थान के गांवों में जन्म पंजीकरण की समस्या क्यों है?
गांवों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और प्रशासनिक लापरवाही के कारण जन्म पंजीकरण में देरी हो रही है, जिससे बच्चों की सही संख्या का आकलन नहीं हो पाता।

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