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Photograph: (the sootr)
Jaipur. राजस्थान पुलिस को सुप्रीम कोर्ट से शुक्रवार को बड़ी राहत देते हुए आमेर तहसील में बने पुलिस के ट्रेनिंग सेंटर को खाली करवाए जाने के राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए हैं।
जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने यह अंतरिम आदेश राजस्थान सरकार की अपील पर दिए। इस अंतरिम आदेश से पुलिस विभाग को ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट के फैसलों के अनुरूप बेदखल करने की सभी कार्यवाहियों पर रोक लग गई है।
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1992 से पुलिस के कब्जे वाली जमीन पर विवाद
राज्य सरकार की ओर से अ​तिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी और अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवमंगल शर्मा ने कोर्ट को बताया कि जमीन वर्ष 1992 से लगातार पुलिस विभाग के उपयोग और कब्जे में है। जमीन राजस्थान में कानून-व्यवस्था बनाए रखने और पुलिसकर्मियों के ट्रेनिंग के लिए बनाए गए सरकारी इंफ्रास्ट्रक्चर का एक अभिन्न अंग है और सरकारी जमीन है।
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RTI दस्तावेजों पर निजी दावे को चुनौती
राजस्थान सरकार का कहना था कि प्रतिवादी (निजी दावेदार) और उनके पूर्वजों ने इस सरकारी जमीन पर झूठे दावे किए हैं। यह दावे भी RTI से प्राप्त कुछ फोटोकॉपी दस्तावेजों के आधार पर किए गए हैं। इनकी न तो कोई कानूनी वैधता है और ना ही स्वामित्व का कोई ठोस आधार है।
ऐसे में दशकों से कानून-व्यवस्था के लिए उपयोग में ली जा रही इस सुविधा को ऐसे कमजोर और बिना ठोस स्वामित्व वाले दस्तावेजों के आधार पर खाली करवाना न केवल पुलिस के कामकाज को बाधित करेगा, बल्कि राज्य की सुरक्षा तैयारियों को भी प्रभावित करेगा।
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बेदखली कार्रवाई पर लगी रोक
ट्रायल कोर्ट ने जमीन पुलिस विभाग से खाली करवाकर निजी डिक्री धारकों को सौंपने का निर्देश दिया था। इस आदेश को राजस्थान हाई कोर्ट ने भी बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने अधीनस्थ कोर्ट के आदेश की पालना में चल रही निष्पादन कार्यवाहियों पर रोक लगाते हुए यथास्थिति बनाए रखने के अंतरिम आदेश दिए हैं।
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बरकरार रहेगा पुलिस का कब्जा
इस अंतरिम संरक्षण के साथ पुलिस विभाग अब कानूनी लड़ाई पूरी होने तक आमेर परिसर पर अपना कब्जा बनाए रखेगा और वहीं से अपना सभी काम-काज, प्रशिक्षण और विभागीय संचालन जारी रखेगा। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को राजस्थान पुलिस के लिए राहत के रूप में देखा जा रहा है।