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Photograph: (the sootr)
हाल ही में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने एक कार्यक्रम में कहा कि बढ़ते सड़क हादसों की सबसे बड़ी वजह खराब रोड इंजीनियरिंग भी है। हमें हादसों को रोकने के लिए सड़क इंजीनियरिंग को ठीक करना होगा। उन्होंने यह भी बताया कि सड़क हादसों में होने वाली मौतों के मामले में राजस्थान का देश में छठा स्थान है।
वहीं सड़क हादसों के मामले में राजस्थान सातवें नंबर पर आता है। देश में तमिलनाडु में सबसे ज्यादा सड़क हादसे हुए हैं। उसके बाद मध्य प्रदेश, केरल, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और फिर राजस्थान में सबसे ज्यादा सड़क हादसे हुए हैं। वहीं हादसों में मौत के मामले में उत्तर प्रदेश के बाद तमिलनाडु, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और फिर राजस्थान का नंबर आता है।
राजस्थान के हालात चिंताजनक
इधर, राजस्थान सरकार की ओर से जारी एक रिपोर्ट कहती है कि साल 2023 में प्रदेश में कुल 24,694 दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 11,762 लोगों की मौत हुई, जबकि 23,041 लोग घायल हुए। वहीं साल 2024 में 24,838 दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 11,790 लोगों की मौत हुई, जबकि 22,927 लोग घायल हुए। प्रदेश में सड़क हादसों में जान गंवाने वालों में बड़ी तादाद 18 से 25 साल की आयु वर्ग के युवाओं की है। साल 2023 में जान गंवाने वालों में 18 से 25 साल की उम्र के 2,780 युवा थे। यह कुल मौतों का करीब 24 फीसदी है।
देश में रोजाना 1264 सड़क हादसे
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार, देश में रोजाना करीब 1,264 सड़क हादसे होते हैं, जिसमें हर दिन 462 लोगों की मौत हो जाती है। इनमें ज्यादातर लोग 25 से 35 वर्ष के होते हैं। मंत्रालय का कहना है कि सड़क हादसों की संख्या लगातार बढ़ रही है और हर साल 1.7 लाख से अधिक लोगों की मौत दुर्घटनाओं में हो जाती है। यह पूरी दुनिया में होने वाली कुल मौतों का करीब 15 प्रतिशत से अधिक है। मंत्रालय की ओर से यह आंकड़ा वर्ष 2024 तक देश भर में हुए सड़क हादसों व उसमें जान गंवाने वाले लोगों के आधार पर बताया गया है।
लापरवाही और जागरुकता की कमी
वहीं सड़क सुरक्षा पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से जारी रिपोर्ट कहती है कि दुनिया भर में सड़क दुर्घटनाओं के कारण सालाना लगभग 1.19 मिलियन लोगों की मौत होती है और 20 से 50 मिलियन लोग गैर-घातक चोट से प्रभावित होते हैं। सड़क यातायात से होने वाली मौतों और चोटों में से आधे से ज्यादा लोग पैदल यात्री, साइकिल चालक एवं मोटरसाइकिल चालक और उनके सहयात्री होते हैं। रिपोर्ट कहती है कि विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में सड़क यातायात से होने वाली चोटों की दर ज्यादा है, जिनमें से 92 प्रतिशत मौतें निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों से होती हैं। डब्ल्यूएचओ सड़क सुरक्षा जागरुकता को बढ़ाने की पैरवी करता है।
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खराब रोड और वाहन इंजीनियरिंग भी जिम्मेदार
सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि हर साल बड़ी संख्या में सड़क हादसे हो रहे हैं। सड़क हादसों के प्रमुख कारण खराब रोड इंजीनियरिंग, वाहन इंजीनियरिंग और लोगों में यातायात नियमों के प्रति जागरुकता की कमी है। इसके अलावा सही समय पर घायलों को अस्पताल नहीं पहुंचा पाना भी मौत के आंकड़े में बढ़ोतरी का बड़ा कारण है। एक्सपर्ट कहते हैं कि सरकारी प्रयासों के धरातल पर परिणाम नजर नहीं आ रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों मे सड़क सुरक्षा जागरुकता के प्रयासों में तेजी लाने की दरकार है।
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