रिपोर्ट में खुलासा : सौर-पवन ऊर्जा के उपयोग में ट्रांसमिशन नेटवर्क की कमी, बेकार जा रही सस्ती बिजली

राजस्थान में सौर और पवन ऊर्जा का पूरा उपयोग नहीं हो पा रहा है। सौर और पवन ऊर्जा का उपयोग ट्रांसमिशन नेटवर्क की कमी से प्रभावित हो रहा है, जिससे सस्ती बिजली बेकार जा रही है।

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Amit Baijnath Garg
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Photograph: (the sootr)

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Jaipur. राजस्थान में सस्ती सौर और पवन ऊर्जा का पूरा उपयोग ट्रांसमिशन और ग्रिड सिस्टम नेटवर्क की कमी के कारण नहीं हो पा रहा है। ऊर्जा निगम की आंतरिक रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में अक्षय ऊर्जा उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन इंटरस्टेट ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर में कमी के कारण इसका पूरा फायदा नहीं उठाया जा रहा है। इसका परिणाम यह हो रहा है कि बड़ी मात्रा में सस्ती बिजली बेकार चली जाती है।

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ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी से नुकसान

दिन के समय में बिजली की कम मांग, ग्रिड की सीमित क्षमता और ट्रांसमिशन लाइनों पर बढ़ते दबाव के कारण सौर और पवन ऊर्जा का बड़ा हिस्सा ग्रिड तक नहीं पहुंच पा रहा है। इसके चलते नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों को बार-बार कर्टेलमेंट का सामना करना पड़ रहा है। 

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विस्तार करने का दावा

हालांकि राज्य विद्युत उत्पादन निगम और पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन इस समस्या का समाधान करने के लिए इंटरस्टेट ट्रांसमिशन नेटवर्क का विस्तार कर रहे हैं। विभाग दावा तो कर रहा है, लेकिन इन दावों में कितना दम है, यह तो समय बताएगा। वैसे भी अब तक कोई ठोस उपाय नहीं किए जा सके हैं। 

ट्रांसमिशन नेटवर्क का महत्व

राज्य में डवलपमेंट और औद्योगिकीकरण के कारण अगले एक दशक में बिजली की खपत 32,160 मेगावाट तक पहुंचने का अनुमान है। वर्तमान में राज्य की अधिकतम बिजली खपत 19,500 मेगावाट तक पहुंच चुकी है। बिजली उत्पादन बढ़ाने के साथ ट्रांसमिशन नेटवर्क को मजबूत करना भी आवश्यक है, ताकि सस्ती ऊर्जा का पूरा उपयोग किया जा सके।

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मानसून और उत्पादन क्षमता में अंतर

इस बार मानसून में असमान वर्षा के कारण सौर ऊर्जा उत्पादन में कमी आई। पश्चिमी राजस्थान में बारिश न होने के कारण सौर ऊर्जा का उत्पादन निरंतर चलता रहा, जबकि पूर्वी और दक्षिणी राजस्थान में भारी बारिश के चलते पवन ऊर्जा का उत्पादन प्रभावित हुआ। इसके कारण लगभग 4 गीगावाट पवन और सौर ऊर्जा की सप्लाई ग्रिड में नहीं हो सकी।

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सोलर और विंड डवलपर्स पर कटौती के आदेश

इस समस्या के कारण कई सोलर और विंड डवलपर्स को रीजनल लोड डिस्पैच सेंटर की ओर से ऊर्जा की आपूर्ति में कटौती करने के आदेश दिए गए। राजस्थान विद्युत प्रसारण निगम और अक्षय ऊर्जा निगम की पिछली बैठकों में इस मुद्दे पर चर्चा की जा चुकी है।

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प्रमुख बिंदु

सौर और पवन ऊर्जा का अव्यवस्थित उपयोग : ट्रांसमिशन नेटवर्क की कमी के कारण बड़ी मात्रा में सस्ती सौर और पवन ऊर्जा बेकार हो रही है।
राज्य की बिजली खपत : अगले एक दशक में बिजली की खपत 32,160 मेगावाट तक पहुंचने का अनुमान है।
मौसमी असमानताएं : मानसून की असमान वर्षा ने सौर और पवन ऊर्जा के उत्पादन में असंतुलन पैदा किया।
नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों की समस्या : संयंत्रों को बार-बार कर्टेलमेंट का सामना करना पड़ रहा है।
आवश्यकता : ट्रांसमिशन नेटवर्क के विस्तार के लिए कार्रवाई की जा रही है।

राजस्थान मानसून बिजली रिपोर्ट सौर ऊर्जा
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