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Photograph: (the sootr)
नेशनल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस की हालिया रिपोर्ट कहती है कि राजस्थान में गांव के लोग आज भी पारंपरिक भोजन पर निर्भर हैं, खासकर अनाज और दूध पर। गांव के लोग शहरी लोगों से ज्यादा खा रहे हैं और प्रोटीन भी ज्यादा ले रहे हैं। गांवों में प्रोटीन की खपत शहरों से अधिक है।
वहीं शहरी क्षेत्रों में कैलोरी की खपत थोड़ी कम है, लेकिन फैट की मात्रा अधिक है। मांसाहारी चीजें अभी भी सीमित मात्रा में ही खाई जाती हैं। रिपोर्ट का नाम भारत में पोषण ग्रहण है, जो हाउसहोल्ड कंजम्पशन एक्सपेंडिचर सर्वे पर आधारित है। यह सर्वेक्षण लगातार दो सालों अगस्त, 2022 से जुलाई, 2023 और अगस्त, 2023 से जुलाई, 2024 तक किया गया था।
ग्रामीण और शहरी भारत में यह समानता
इस रिपोर्ट में ग्रामीण और शहरी इलाकों में रहने वाले लोगों की रोजाना औसत कैलोरी, प्रोटीन और फैट की खपत का आंकड़ा अलग-अलग राज्यों और आय वर्गों के हिसाब से पेश किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीण और शहरी भारत दोनों में प्रति व्यक्ति रोजाना कैलोरी खपत का पैटर्न काफी हद तक समान रहा। ग्रामीण भारत में औसतन कैलोरी खपत 2022-23 में 2233 किलो कैलोरी थी, जो 2023-24 में घटकर 2212 किलो कैलोरी रह गई।
आर्थिक स्थिति और पोषण का सीधा संबंध
शहरी भारत में यह आंकड़ा 2022-23 में 2250 किलो कैलोरी और 2023-24 में 2240 किलो कैलोरी रहा। रिपोर्ट बताती है कि जैसे-जैसे किसी व्यक्ति की मंथली पर कैपिटा कंजम्पशन एक्सपेंडिचर यानी मासिक खर्च करने की क्षमता बढ़ती है, वैसे-वैसे उसकी थाली में पोषण भी बढ़ता है यानी कि आर्थिक स्थिति और पोषण का सीधा संबंध है।
गांव से ज्यादा शहरों में फैट
शहरी और ग्रामीण पोषण की बात करें तो सबसे कम कैलोरी खपत 2022-23 में शहरी इलाकों में 2335 कैलोरी रही। सबसे ज्यादा कैलोरी खपत 2023-24 में ग्रामीण इलाकों में 2403 कैलोरी दर्ज की गई। वहीं फैट की खपत में शहरी लोग ग्रामीणों से आगे निकल गए। 2023-24 में शहरी लोग रोजाना औसतन 76.6 ग्राम फैट ले रहे हैं, जबकि ग्रामीण इलाकों में यह 74.5 ग्राम रहा।
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गांव के लोग कर रहे शहरों से ज्यादा बार भोजन
रिपोर्ट कहती है कि राजस्थान में 2023-24 में ग्रामीण इलाकों में एक घर ने औसतन 344 बार भोजन किया, जबकि शहरी इलाकों में यह संख्या केवल 285 बार रही। 2022-23 में यह क्रमशः 338 और 292 बार था यानी कि गांव के लोग शहरियों से ज्यादा बार खाते हैं। इस तरह राजस्थान में ग्रामीण घर अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा खाने पर खर्च कर रहे हैं।
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