जेकेके के डीजी राजेश यादव तलब, अदालती आदेश की जानबूझकर अवहेलना करने का मामला

राजस्थान हाई कोर्ट ने जेकेके के महानिदेशक राजेश यादव को अदालत के आदेश की जानबूझकर अवहेलना करने पर 4 अगस्त को व्यक्तिगत रूप से अदालत में हाजिर होने के निर्देश दिए।

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Amit Baijnath Garg
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राजस्थान हाई कोर्ट ने जवाहर कला केंद्र के महानिदेशक राजेश यादव को अदालती आदेश की जानबूझकर अवहेलना करने पर अवमानना का दोषी मानते हुए 4 अगस्त को व्यक्तिगत रूप से अदालत में हाजिर होने के निर्देश दिए हैं। जस्टिस सुदेश बंसल ने यह अंतरिम आदेश किशोर सिंह नाथावत की याचिका पर दिए। 

याचिकाकर्ता के एडवोकेट अखिल सिमलोत ने बताया कि प्रार्थी जेकेके से रिटायर हुआ था। उसने राज्य सरकार की नीति के अनुसार 1 अप्रेल, 2023 से पुरानी पेंशन स्कीम को चुना था। इसके लिए उसने सीपीएफ में मिली राशि ब्याज सहित सरकार में जमा करवा दी थी। इसके बावजूद उसे पीपीओ जारी नहीं हुआ और ना ही पेंशन दी जा रही है। 

सरकार की ओर से बताया गया कि राजस्थान कला व संस्कृति विभाग के कर्मचारियों के पेंशन संबंधी मामलों के लिए जेकेके को नोडल एजेंसी बनाया है। कर्मचारियों को पुरानी स्कीम में पीपीओ व पेंशन जारी करने की प्रकिया चल रही है और इसके लिए नोडल एजेंसी को एलआईसी में खाता खोलना जरूरी है।   

एक सप्ताह में पेंशन देने का था आदेश

10 जुलाई को कोर्ट ने आदेश में माना है कि प्रार्थी ने 23 अगस्त, 2023 को ही सीपीएफ की राशि जमा कर दी थी। इसके बावजूद रिटायर्ड प्रार्थी को अब तक पेंशन नहीं देना उसके कानूनी अधिकार का हनन और प्रताड़ना है। कोर्ट ने एक सप्ताह में सभी औपचारिकताओं को पूरा कर प्रार्थी को पेंशन देने को कहा था। ऐसा नहीं होने पर जेकेके के महानिदेशक को व्यक्तिगत हलफनामा पेश करने के साथ ही 30 जुलाई को अदालत में हाजिर होने के निर्देश दिए थे। 

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न डीजी पेश हुए, ना आया उनका हलफनामा

30 जुलाई को मामले की सुनवाई के दौरान न तो डीजी पेश हुए, ना उनका हलफनामा ही आया। सरकारी वकील भी कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे सके। अदालत ने सुनवाई लंच के बाद तय की। लंच के बाद सरकारी वकील ने बताया कि 25 जुलाई को प्रार्थी का पीपीओ जारी करने के साथ ही जून-जुलाई की पेंशन जारी कर दी है। डीजी के नहीं आने पर सरकारी वकील ने बताया कि उन्होंने तो डीजी राजेश यादव को सूचना दे दी थी। हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार न्यायिक ने भी 15 जुलाई को ही सूचना दे दी थी। 

यह तो गंभीर मामला है कि...

कोर्ट ने कहा है कि अदालती आदेश की पालना नहीं करना गंभीर मामला है। जेकेके महानिदेशक की ओर से न तो व्यक्तिगत हाजिरी से माफी की अर्जी पेश हुई है और ना ही प्रार्थी की पेंशन जारी नहीं करने के कारणों का स्पष्टीकरण वाला उनका व्यक्तिगत हलफनामा पेश हुआ है। सरकार की एकमात्र दलील है कि मामला विचाराधीन है, लेकिन प्रार्थी सरकार की योजना के अनुसार एक अप्रेल, 2023 से पुरानी पेंशन लेने के लिए सीपीएफ का ब्याज सहित पूरा पैसा पहले ही जमा कर चुका है। 

प्रथमदृष्टया ही अवमानना है यह तो 

कोर्ट ने माना है कि जेकेके के महानिदेशक राजेश यादव ने जानबूझकर अदालती आदेश की अवहेलना की है। यह प्रथमदृष्टया ही अवमानना का मामला है। अदालत ने उन्हें नोटिस देकर पूछा है कि क्यों ना उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के नोटिस देकर 4 अगस्त को दो बजे व्यक्तिगत रूप से हाजिर होकर जवाब देने को कहा है। अदालत ने सरकारी अफसरों की कार्यप्रणाली से अवगत करवाने के लिए आदेश की एक कॉपी मुख्य सचिव को भी भेजने के निर्देश दिए हैं। बड़ा सवाल यह है कि क्या न्यायालय के कठोर फैसलों से नौकरशाही पर असर पड़ेगा?

FAQ

1. राजेश यादव को अदालत में कब हाजिर होना है?
राजस्थान हाई कोर्ट ने उन्हें 4 अगस्त को व्यक्तिगत रूप से अदालत में हाजिर होने के आदेश दिए हैं।
2. क्या कारण था कि प्रार्थी को पेंशन नहीं मिली?
प्रार्थी किशोर सिंह नाथावत ने सभी औपचारिकताएं पूरी की थीं, लेकिन जेकेके के अधिकारियों ने उनका पीपीओ जारी नहीं किया और न ही पेंशन दी।
3. क्या सरकार ने इस मामले में कोई कार्रवाई की है?
सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए यह आदेश दिया है कि इस अवमानना की जानकारी मुख्य सचिव को भेजी जाए और कार्यवाही की जाए।

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