RSS की अखिल भारतीय समन्वय बैठक जोधपुर में 5-7 सितम्बर को, भागवत और होसबोले समेत प्रमुख नेता आएंगे

आरएसएस की अखिल भारतीय समन्वय बैठक 5-7 सितम्बर को जोधपुर में होगी, जिसमें 32 संघ प्रेरित संगठनों के पदाधिकारी भाग लेंगे और महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करेंगे।

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Nitin Kumar Bhal
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की इस वर्ष की अखिल भारतीय समन्वय बैठक 5 से 7 सितम्बर 2025 तक जोधपुर में आयोजित की जाएगी। इस बैठक में संघ प्रेरित 32 विविध संगठनों के चयनित पदाधिकारी भाग लेंगे। इस बैठक में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले सहित संघ के प्रमुख पदाधिकारी शामिल होंगे। बैठक में विभिन्न राष्ट्रीय और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।

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अखिल भारतीय समन्वय बैठक का उद्देश्य क्या है?

बैठक का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय एकता, सुरक्षा, और सामाजिक दृष्टिकोण से संबंधित महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करना है। संघ के प्रेरित संगठनों के पदाधिकारी अपने कार्य क्षेत्र में किए गए प्रयासों, उपलब्धियों और आगामी योजनाओं पर विचार विमर्श करेंगे। इसके साथ ही, संघ शताब्दी के कार्यक्रमों में सहभागिता और उनके महत्व पर भी चर्चा होगी।

बैठक में 32 संघ प्रेरित संगठनों, जैसे राष्ट्र सेविका समिति, वनवासी कल्याण आश्रम, विश्व हिन्दू परिषद, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, भारतीय जनता पार्टी, भारतीय किसान संघ, विद्या भारती, भारतीय मजदूर संघ आदि के राष्ट्रीय अध्यक्ष, संगठन मंत्री और प्रमुख पदाधिकारी भाग लेंगे। इन संगठनों के कार्यकर्ताओं के अनुभव और विचार से बैठक में विविध मुद्दों पर गहन चर्चा की जाएगी।

संघ शताब्दी का आयोजन न केवल संघ के इतिहास को सम्मानित करने के लिए है, बल्कि यह समाज के प्रति उसके योगदान को भी मान्यता देने का अवसर है। संघ का योगदान भारतीय समाज को मजबूत बनाने में अत्यधिक महत्वपूर्ण रहा है। शताब्दी के कार्यक्रमों में संघ की भूमिका और उसकी विचारधारा को फिर से समझने और प्रचारित करने का प्रयास किया जाएगा।

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2 अक्टूबर 2025 से शुरू होगा संघ शताब्दी 

आरएसएस का शताब्दी वर्ष 2 अक्टूबर 2025 को नागपुर में विजयादशमी के अवसर पर शुरू होगा। आरएसएस अपने शताब्दी वर्ष के कार्यक्रमों के लिए विभिन्न गतिविधियों की योजना बना रहा है। इस बैठक में इन कार्यक्रमों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी, जिसमें संघ और अन्य संबंधित संगठनों की भूमिका, कार्य और आगामी योजनाओं का उल्लेख किया जाएगा। शताब्दी कार्यक्रमों के माध्यम से संघ अपनी उपस्थिति और प्रभाव को और मजबूत करना चाहता है। इन कार्यक्रमों में संगठनों की सक्रिय सहभागिता और सहयोग की आवश्यकता होगी, जिसे बैठक में प्रमुख रूप से उठाया जाएगा।

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राष्ट्रीय एकता और सुरक्षा पर भी होगी चर्चा

बैठक में राष्ट्रीय एकता और सुरक्षा के विषय पर भी विचार विमर्श किया जाएगा। पंकज कुमार, प्रांत प्रचार प्रमुख ने बताया कि बैठक में सभी संगठन अपने कार्य क्षेत्र में अनुभवों के आधार पर परिस्थितियों का आकलन प्रस्तुत करेंगे। इन बिंदुओं पर विचार करेंगे कि कैसे राष्ट्रीय एकता को मजबूत किया जा सकता है और समाज में सुरक्षा का माहौल कैसे सुनिश्चित किया जा सकता है। इसके साथ ही देश में महत्वपूर्ण घटनाओं का विश्लेषण किया जाएगा और उनके प्रभावों पर भी चर्चा की जाएगी।

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आरएसएस क्या है? 

  • राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस), जिसे आमतौर पर संघ के नाम से जाना जाता है, एक हिंदू राष्ट्रवादी संगठन है।

  • स्थापना 1925 में डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार ने महाराष्ट्र के नागपुर में की थी।

  • हेडगेवार को विनायक दामोदर सावरकर के हिंदू राष्ट्रवादी विचारों से प्रेरणा मिली थी।

  • कुछ समय तक कांग्रेस से जुड़े रहने के बाद, हेडगेवार ने वैचारिक मतभेदों की वजह से कांग्रेस को छोड़ दिया और संघ की स्थापना की।

  • आरएसएस को अक्सर दुनिया का सबसे बड़ा स्वैच्छिक संगठन कहा जाता है। यह एक सांस्कृतिक संगठन है जिसका उद्देश्य हिंदू संस्कृति, हिंदू एकता और आत्मनिर्भरता के मूल्यों को बढ़ावा देना है।

  • संघ का दावा है कि वह राष्ट्र सेवा और भारतीय परंपराओं और विरासत के संरक्षण पर जोर देता है।

  • शाखा संघ की आधारभूत संगठनात्मक इकाई है, जो संघ को जमीनी स्तर पर मजबूत बनाती है।

  • शाखा वह स्थान है, जहां संघ के सदस्य वैचारिक और शारीरिक रूप से प्रशिक्षित होते हैं।

  • अधिकांश शाखाएं हर दिन सुबह चलती हैं, और कभी-कभी शाम को भी। कुछ इलाकों में यह शाखाएं हफ्ते में कुछ दिन चलती हैं।

  • आरएसएस के अनुसार, भारत में 83,000 से अधिक शाखाएं हैं।

  • संघ का सर्वोच्च पदसरसंघचालक है, जो संघ का नेतृत्व करता है।

  • फिलहाल मोहन भागवत सरसंघचालक हैं।
  • सरसंघचालक के बाद सबसे महत्वपूर्ण पद सरकार्यवाह का है, जो संघ का मुख्य कार्यकारी अधिकारी होता है।

  • फिलहाल दत्तात्रेय होसबाले सरकार्यवाह हैं।

  • हेडगेवार के बाद संघ में पांच सरसंघचालक बने, जिनमें से चार ने पहले सरकार्यवाह का पद संभाला था और एक ने सह-सरकार्यवाह का।

  • सह-सरकार्यवाह की भूमिका संयुक्त सचिव की होती है। एक समय में संघ में कई सह-सरकार्यवाह हो सकते हैं।

  • संघ की संगठनात्मक संरचना में 46 प्रांत, विभाग, जिले और खंड होते हैं।

  • आरएसएस के अनुसार, भारत में 922 जिले, 6,597 खंड, और 27,720 मंडल हैं, जिनमें 83,129 शाखाएं चल रही हैं।

  • हर मंडल में 12 से 15 गांव शामिल होते हैं।

संघ प्रेरित संगठनों का महत्व और उनकी भूमिका

आरएसएस के प्रेरित संगठनों का भारतीय समाज में महत्वपूर्ण योगदान है। इन संगठनों ने समय-समय पर समाज के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी भूमिका निभाई है। इनकी कार्यशैली, जो समाज के व्यापक हित में है, ने हमेशा राष्ट्रीय एकता और सामाजिक कल्याण को बढ़ावा दिया है।

प्रमुख संघ प्रेरित संगठन कौन से हैं?

  1. राष्ट्र सेविका समिति (Rashtriya Sevika Samiti): यह संगठन महिलाओं के लिए समर्पित है और महिला सशक्तिकरण के लिए कार्य कर रहा है।

  2. वनवासी कल्याण आश्रम (Vanvasi Kalyan Ashram): यह संगठन आदिवासी क्षेत्रों में विकास के लिए काम करता है।

  3. विश्व हिन्दू परिषद (Vishva Hindu Parishad): यह संगठन हिंदू धर्म और संस्कृति के प्रचार-प्रसार में कार्य करता है।

  4. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (Akhil Bharatiya Vidyarthi Parishad): यह संगठन छात्र समुदाय के लिए काम करता है और उनके अधिकारों की रक्षा करता है।

  5. भारतीय किसान संघ (Bharatiya Kisan Sangh): यह संगठन किसानों के हितों की रक्षा करता है और उनके कल्याण के लिए कार्य करता है।

FAQ

1. आरएसएस की अखिल भारतीय समन्वय बैठक कब और कहां हो रही है?
आरएसएस की अखिल भारतीय समन्वय बैठक 5 से 7 सितम्बर 2025 तक जोधपुर में आयोजित होगी।
2. आरएसएस की अखिल भारतीय समन्वय बैठक में संघ प्रेरित किन संगठनों के प्रमुख इस बैठक में शामिल होंगे?
इस बैठक में राष्ट्र सेविका समिति, वनवासी कल्याण आश्रम, विश्व हिन्दू परिषद, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, भारतीय किसान संघ, विद्या भारती, भारतीय मजदूर संघ सहित 32 संघ प्रेरित संगठनों के प्रमुख पदाधिकारी भाग लेंगे।
3. आरएसएस की अखिल भारतीय समन्वय बैठक में कौन-कौन से महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जाएगी?
बैठक में राष्ट्रीय एकता, सुरक्षा, संघ शताब्दी कार्यक्रमों और सामाजिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
4. संघ शताब्दी कार्यक्रमों में क्या-क्या गतिविधियां होंगी?
संघ शताब्दी कार्यक्रमों में संघ के कार्य, उपलब्धियां, और आगामी योजनाओं पर चर्चा की जाएगी। यह कार्यक्रम संघ के इतिहास और उद्देश्य को सम्मानित करने का एक बड़ा अवसर है।

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