/sootr/media/media_files/2025/09/19/birds-2025-09-19-14-01-18.jpg)
राजस्थान की सांभर झील में इस वर्ष मानसून के दौरान और चार प्रमुख नदियों से हुई भारी बारिश के कारण पानी का स्तर पिछले दस सालों में सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। इस वर्ष झील में जलभराव के कारण सर्दियों में प्रवासी पक्षियों के आने का सिलसिला शुरू होने की संभावना है।
प्रवासी पक्षी प्रेमियों के लिए यह एक सुखद खबर है क्योंकि लाखों की संख्या में सांभर झील में प्रवासी पक्षी आने की उम्मीद जताई जा रही है, लेकिन साथ ही एक बड़ी चिंता भी बनी हुई है: एवियन बोटुलिज्म बीमारी का खतरा। वन विभाग ने पहले से ही इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं।
प्रवासी पक्षियों का माइग्रेशन
इस साल, सांभर झील में बारिश के कारण पानी का स्तर इतना बढ़ गया है कि प्रवासी पक्षियों की आवाजाही पर इसका खासा असर पड़ेगा। पक्षी विशेषज्ञ गौरव दाधीच के अनुसार, प्रवासी पक्षियों के लिए झील एक प्रमुख गंतव्य स्थल है। अक्टूबर से लेकर मार्च तक यहां लाखों की संख्या में प्रवासी पक्षियों के पहुंचने की संभावना जताई जा रही है। इस समय यहां फ्लेमिंगो और नॉर्दन शॉवलर जैसी पक्षियों की भारी संख्या देखने को मिल सकती है। वर्तमान में झील क्षेत्र में लगभग 40-50 हजार फ्लेमिंगो विचरण कर रहे हैं।
एवियन बोटुलिज्म क्या है?
एवियन बोटुलिज्म एक खतरनाक न्यूरोमस्कुलर बीमारी है जो पक्षियों में क्लोस्ट्रीडियम बोटुलिनम नामक बैक्टीरिया द्वारा उत्पन्न विष से होती है। यह विष पक्षियों के तंत्रिका तंत्र पर असर डालता है, जिससे पक्षियों के अंगों में लकवा हो जाता है और अंततः उनकी मौत हो जाती है। यह बीमारी खासकर जलपक्षियों और मछली खाने वाले पक्षियों को प्रभावित करती है और इसे वैश्विक स्तर पर जंगली पक्षियों में मृत्यु दर का एक प्रमुख कारण माना जाता है।
2019 के अनुभव और सतर्कता
2019 में जब भारी बारिश के बाद सांभर झील में पानी का स्तर बढ़ा था, तब एवियन बोटुलिज्म बीमारी के कारण बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षियों की मौत हुई थी। वन विभाग ने इस त्रासदी से सीख लेते हुए 2021 में इस बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए हैं।
पिछले साल भी कुछ पक्षियों की मौत एवियन बोटुलिज्म से हुई थी, लेकिन वन विभाग ने समय रहते संक्रमित पक्षियों को अलग कर उपचार किया। इस बार भी पूरी निगरानी और तैयारियों के साथ इसे फैलने से रोकने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
/filters:format(webp)/sootr/media/media_files/2025/09/19/lake-3-2025-09-19-13-46-48.jpg)
एवियन बोटुलिज्म से निपटने के उपाय
जयपुर के डीएफओ वी केतन कुमार के अनुसार, मानसून में पानी के स्तर के बढ़ने के कारण इस बार सर्दियों में बहुत बड़े पैमाने पर प्रवासी पक्षियों के आगमन की उम्मीद है। पिछले साल लाखों पक्षी आए थे और इस बार यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है।
वन विभाग और अन्य पक्षी विशेषज्ञों द्वारा निरंतर निगरानी की जा रही है। इसके साथ ही बर्ड वाचर्स और एनजीओ की सहायता से माइग्रेशन पैटर्न पर नजर रखी जा रही है।
ये खबरें भी पढ़ें
राजस्थान में कसेगी साइबर अपराध पर लगाम, जानें कैसे बनाया पुलिस अधिकारियों को सक्षम
यूक्रेन के कपल को भाये हिंदू रीति-रिवाज, सात फेरे के लिए राजस्थान को चुना, हर परंपरा को निभाया
जारी किया एसओपी
राजस्थान वन विभाग ने एवियन बोटुलिज्म के खतरे से निपटने के लिए एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) जारी किया है। कलेक्टर की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गई, जिसमें विभिन्न विभागों की भूमिका और तैयारियों की समीक्षा की गई।
वन विभाग, सांभर साल्ट लिमिटेड की टीम और वॉलिंटियर्स के साथ मिलकर झील क्षेत्र में नियमित रूप से निगरानी की जा रही है। ड्रोन का उपयोग भी संदिग्ध संक्रमित पक्षियों का पता लगाने के लिए किया जा रहा है।
ये खबरें भी पढ़ें
राजस्थान में एमबीबीएस और बीडीएस की 2511 सीटें खाली, जानें कैसे करें कॉलेज का चुनाव
राजस्थान मौसम अलर्ट : आज आठ जिलों में बारिश का येलो अलर्ट, जानें कब विदा लेगा मानसून
मृत पक्षियों का निपटान
डीएफओ ने बताया कि यदि कोई पक्षी मरा हुआ पाया जाता है तो उसे तुरंत जलाया जाता है, ताकि संक्रमण न फैले। यह बहुत जरूरी है क्योंकि एक संक्रमित पक्षी से हजारों पक्षी संक्रमित हो सकते हैं।
साथ ही, झील के पानी की गुणवत्ता की नियमित जांच की जा रही है ताकि किसी भी प्रकार के बैक्टीरिया के फैलने की संभावना को रोका जा सके। पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की मदद से पानी के पीएच स्तर और अन्य मानकों पर निगरानी रखी जा रही है।