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Photograph: (The Sootr)
राजस्थान (Rajasthan) के चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित सांवलिया सेठ मंदिर (Sawliya Seth Temple) ने दान के मामले में नया इतिहास रचा है। जुलाई 2025 में मंदिर को दान से कुल 28 करोड़ 32 लाख 45 हजार 555 रुपए (28 Crore 32 Lakh 45 Thousand 555 Rupees) का दान भी प्राप्त हुआ है। इसके साथ ही, कुल 204 किलो 500 ग्राम चांदी मिली, जो एक रिकॉर्ड है। वहीं, 1 किलो 443 ग्राम सोना भी भक्तों ने मंदिर में दान किया।
सांवलिया सेठ मंदिर के भेंटकक्ष और ऑनलाइन से भी मिले 6 करोड़ से ज्यादा
मंदिर प्रशासन के अनुसार, इस दान में ऑनलाइन और मंदिर के भेंट कक्ष से प्राप्त राशि की भी गणना की गई है। इन दोनों स्रोतों से कुल 6 करोड़ 9 लाख 69 हजार 478 रुपए प्राप्त हुए हैं। इस महीने मंदिर को दान के रूप में मिली चांदी (Silver) और सोना (Gold) की मात्रा पहले से कहीं ज्यादा रही।
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सांवलिया सेठ मंदिर में दान की गिनती कैसे होती है ?
दान की गिनती की प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता के साथ की जाती है। गिनती के लिए काउंटिंग मशीनों (Counting Machines) का उपयोग किया जाता है, और पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जाती है ताकि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी से बचा जा सके। इस बार कुल 6 राउंड में दान की गिनती की गई।
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सांवलिया सेठ मंदिर में दान में ज्यादा पैसे क्यों आते हैं ?
मंदिर में हर महीने दानपात्र खोला जाता है और भक्त अपनी मनोकामनाएं (Desires) पूरी होने पर बड़े स्तर पर दान करते हैं। यहां सोना, चांदी, और अन्य बहुमूल्य वस्तुएं भी समर्पित की जाती हैं। मंदिर की पारदर्शिता और सफाई के चलते भक्तों का विश्वास और बढ़ता जा रहा है।
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दान की गिनती 6 राउंड में चली
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पहला राउंड (First Round) - 7 करोड़ 15 लाख रुपए
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दूसरा राउंड (Second Round) - 3 करोड़ 35 लाख रुपए
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तीसरा राउंड (Third Round) - 7 करोड़ 63 लाख 25 हजार रुपए
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चौथा राउंड (Fourth Round) - 3 करोड़ रुपए
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पाँचवां राउंड (Fifth Round) - 88 लाख 65 हजार 200 रुपए
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छठा राउंड (Sixth Round) - 20 लाख 85 हजार 877 रुपए
सांवलिया सेठ मंदिर का इतिहासश्री सांवलिया जी प्राकट्य स्थल नाम से प्रसिद्ध इस स्थान से सांवलिया सेठ की 3 प्रतिमाओं के उद्गम का भी अपना इतिहास है। सन 1840 में तत्कालीन मेवाड़ राज्य में उदयपुर से चित्तौड़ जाने के लिए बनने वाली सड़क के निर्माण में बागुन्ड गांव में बाधा बन रहे बबूल के पेड़ को काटकर खोदने पर वहां से भगवान कृष्ण की सांवलिया स्वरूप 3 प्रतिमाएं निकली थीं। 1978 में विशाल जनसमूह की उपस्थिति में मंदिर पर ध्वजारोहण किया गया था। इस स्थल पर अब एक अत्यंत ही नयनाभिराम एवं विशाल मंदिर बन चुका है। 36 फुट ऊंचा एक विशाल शिखर बनाया गया है जिस पर फरवरी 2011 में स्वर्णजड़ित कलश व ध्वजारोहण किया गया। बता दे कि सांवलिया सेठ मंदिर चित्तौड़गढ़ सॆ उदयपुर की ओर राष्ट्रीय राजमार्ग पर 28 किमी दूरी पर भादसोड़ा ग्राम में स्थित है। यह मंदिर चित्तौड़गढ़ रेलवे स्टेशन से 41 किमी और डबोक एयरपोर्ट से 65 किमी की दूरी पर है। प्रसिद्ध सांवलिया सेठ मंदिर अपनी सुन्दरता और वैशिष्ट्य के कारण हर साल लाखों भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है। |
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सांवलिया सेठ मंदिर में हर माह अमावस्या के मौके पर खोला जाता है दानपात्र
सांवलिया सेठ मंदिर राजस्थान के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यहां हर माह अमावस्या के मौके पर दानपात्र खोला जाता है और भक्त अपनी आस्था के साथ बड़ी मात्रा में दान करते हैं। यह मंदिर पारदर्शिता और भक्ति के कारण श्रद्धालुओं के बीच विशेष स्थान रखता है।
सांवलिया सेठ को अपना बिजनेस पार्टनर बनाते हैं व्यापारीमान्यता है कि जो भक्त खजाने में जितना देते हैं सांवलिया सेठ उससे कई गुना ज्यादा भक्तों को वापस लौटाते हैं। व्यापार जगत में उनकी ख्याति इतनी है कि लोग अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए उन्हें अपना बिजनेस पार्टनर बनाते हैं। यह मान्यता पूरे देश के व्यापारियों में है। राजस्थान के पड़ोसी राज्य गुजरात मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में लोग विशेष कर व्यापारी यहां आते हैं। यह व्यापारी यहां के श्रीकृष्ण के विग्रह को अपने व्यापार में साझेदार तक बनाते हैं और भगवान लाभ का हिस्सेदार बना कर उनके हिस्से की राशि यहां चढ़ा कर जाते है। आपको बता दें कि भगवान सांवरिया सेठ की महिमा मेवाड़ और मालवा के साथ-साथ अब पूरे देश में फैल गई है। अब गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल तक से लोग अपनी कामनाओं को लेकर भगवान सांवरिया सेठ के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। प्रतिदिन हजारों लोग भगवान के दरबार में हाजिरी लगाने पहुंचते हैं। उसी का नतीजा है कि आज मंदिर मंडल की प्रतिमाह दान राशि लगभग 10 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। इस राशि को मंदिर के विस्तार विकास और मेंटेनेंस के साथ आसपास के 16 गांव के विकास कार्यों पर खर्च किया जाता है। |
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भगवान श्री सांवलिया सेठ जी की है विशेष मान्यता
भगवान श्री सांवलिया सेठ जी को व्यापार और धन में वृद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है। देशभर से लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं और दिल खोलकर दान करते हैं, जो मंदिर की समृद्धि और उनकी आस्था का प्रतीक है।
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