सिलीसेढ़ झील का पानी अलवर लाने का विरोध: किसानों का 21 दिनों से जारी धरना, प्रशासन ने दिया आश्वासन

सिलीसेढ़ झील का पानी अलवर शहर में लाने के खिलाफ हजारों किसानों ने 300 ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के साथ अलवर कूच किया। किसानों का हुजूम मिनी सचिवालय के घेराव के इरादे से सिलीसेढ़ तिराहे से रवाना हुआ।

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सिलीसेढ़ झील का पानी अलवर शहर में लाने के खिलाफ हजारों किसानों ने 300 ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के साथ गुरुवार को अलवर कूच किया। किसानों का हुजूम मिनी सचिवालय के घेराव के इरादे से सिलीसेढ़ तिराहे से रवाना हुआ। प्रशासन ने किसानों को बाई पैड़ी (अहिंसा सर्किल) पर रोक लिया। कुछ युवा किसान बेरिकेडिंग पार करने की कोशिश करते रहे, लेकिन पुलिस ने उन्हें नीचे उतार दिया। इसके बाद किसानों ने वहीं पर पड़ाव डाल दिया और सभा की।

प्रशासन के साथ 2 बार वार्ता, किसानों ने प्रशासन से आश्वासन लिया

प्रशासन दिनभर किसानों को मनाने में जुटा रहा। इसके लिए दो बार वार्ता हुई, लेकिन दोनों बार बातचीत असफल रही। जिला कलेक्टर आर्तिका शुक्ला के साथ हुई वार्ता में प्रशासन ने किसानों को आश्वासन दिया कि सिलीसेढ़ में फिलहाल बोरिंग नहीं होगी। इसके बाद किसानों ने धरना समाप्त करने का निर्णय लिया। जिला कलेक्टर ने कहा कि किसानों का मांग पत्र सरकार को भेजा जाएगा और वहीं से निर्णय लिया जाएगा।

किसान नेताओं का नेतृत्व, 7 घंटे तक प्रदर्शन

किसानों के आंदोलन में प्रमुख रूप से किसान नेता प्रेम पटेल, वीरेंद्र मौर, रामजीलाल, भोला राम, और सपाट मैनेजर शामिल थे। किसान नेताओं ने 7 घंटे तक धरने का आयोजन किया। किसानों ने प्रशासन से जल्द समाधान की मांग की, लेकिन ड्राफ्ट के लिए 3 घंटे तक इंतजार करने के बावजूद प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। बाद में प्रशासन ने संदेश भेजा कि किसान जिला कलेक्टर से वार्ता करें, लेकिन किसान इस पर नहीं गए। अंततः एडीएम सिटी बीना महावर धरना स्थल पर पहुंचीं और किसानों से बातचीत की। शाम के समय किसान नेताओं ने धरना खत्म करने का ऐलान किया और किसान अपने घर लौट गए।

सड़क पर जाम और प्रशासन द्वारा मार्ग परिवर्तन

किसानों के प्रदर्शन के दौरान अलवर शहर की ओर आने वाली सड़कें जाम हो गईं। प्रशासन ने रोडवेज बसों और अन्य वाहनों को डायवर्ट कर दिया। दोपहिया वाहन चालकों को भी जाने की अनुमति नहीं दी गई, जिससे कई किलोमीटर तक लंबा जाम लग गया। किसानों ने अपनी मांगों को लेकर प्रशासन पर दबाव बनाया और प्रदर्शन करते रहे। इसके दौरान बारिश भी हुई, लेकिन किसान सड़क पर बैठकर भोजन करने लगे और रात के खाने का भी इंतजाम करने लगे।

प्रदर्शन के दौरान छतों और पेड़ों पर चढ़े किसान

किसान नेताओं ने धरने के दौरान जोश से प्रदर्शन किया। कुछ किसान प्रदर्शन स्थल के आसपास के पेड़ और छतों पर चढ़ गए, लेकिन प्रशासन ने स्थिति को शांतिपूर्वक संभाल लिया। अधिकारियों ने किसानों को शांत रखने के लिए हर संभव प्रयास किया, जिससे आंदोलन हिंसक रूप नहीं ले पाया।

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सिलीसेढ़ में बोरिंग की योजना पर रोक, सरकार को भेजा प्रस्ताव

किसानों के विरोध को देखते हुए प्रशासन ने आश्वासन दिया कि सिलीसेढ़ झील में बोरिंग की योजना फिलहाल स्थगित कर दी जाएगी। जिला कलेक्टर आर्तिका शुक्ला ने कहा कि सरकार को किसानों की मांगें भेजी गई हैं और सरकार अपने स्तर से निर्णय लेगी। किसान नेता प्रेम पटेल ने इसे किसानों की जीत बताया और धरना समाप्त कर दिया।

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आंदोलन का मुख्य कारण: सिलीसेढ़ में बोरिंग

अलवर में पानी लाने की योजना के तहत सिलीसेढ़ में 35 बोरिंग करने की योजना बनाई गई थी। पहले भी जब बोरिंग की टीम सिलीसेढ़ पहुंची थी, किसानों ने इसका विरोध किया और बोरिंग नहीं करने दिया। इसके बाद से किसान 21 दिनों से सिलीसेढ़ तिराहे पर धरना-प्रदर्शन कर रहे थे। किसानों की मुख्य मांग थी कि सिलीसेढ़ में बोरिंग न की जाए।

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किसान नेताओं का कहना: अगर बोरिंग का प्रस्ताव निरस्त नहीं हुआ, तो आंदोलन जारी रहेगा

किसान नेताओं ने कहा कि अगर बोरिंग करने का प्रस्ताव निरस्त नहीं किया जाता है, तो वे आगे और उग्र प्रदर्शन करेंगे। उनका कहना था कि यह आंदोलन सिर्फ एक ट्रायल है और अगर समाधान नहीं निकला, तो वे फिर से बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे।

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सिलीसेढ़ झील की बोरिंग पर रोक, किसानों ने प्रशासन से मिली जीत

किसानों ने प्रशासन से मिली जीत का जश्न मनाया और धरना खत्म किया। प्रशासन ने किसानों को आश्वासन दिया कि सिलीसेढ़ में फिलहाल बोरिंग नहीं की जाएगी और इस पर सरकार के स्तर पर निर्णय लिया जाएगा। यह आंदोलन शांतिपूर्वक समाप्त हो गया, जिससे किसान नेताओं का कहना था कि यह किसानों की विजय है।

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