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लद्दाख हिंसा को लेकर जेल में बंद पर्यावरण कार्यकर्ता और समाजसेवी सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि जे अंगमो के गुरुवार को राजस्थान के जोधपुर पहुंचने की सूचना थी, लेकिन वे गुरुवार शाम तक राजस्थान के जोधपुर नहीं पहुंच पाई। सूत्रों का कहना है कि गीतांजलि फिलहाल दिल्ली में ही हैं। उनका मुख्य उद्देश्य अपने पति से मुलाकात करना था। सोनम वांगचुक, जो लद्दाख क्षेत्र में छठी अनुसूची के तहत विशेष दर्जा देने की मांग और पर्यावरण संरक्षण के लिए संघर्ष कर रहे हैं, को हाल ही में दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था। बाद में सोनम वांगचुक जोधपुर शिफ्ट किए गए। उनकी गिरफ्तारी ने देशभर में चर्चा पैदा कर दी है और इसके बाद समर्थन और विरोध की लहरें उठ रही हैं।
जोधपुर में विरोध प्रदर्शन
सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद, जोधपुर में उनके समर्थक शांति सभा और धरना देने की तैयारी कर रहे हैं। विभिन्न सामाजिक संगठनों और कार्यकर्ताओं ने जेल के पास शांतिपूर्ण प्रदर्शन की योजना बनाई है, जिसमें वांगचुक की रिहाई और उनकी मांगों के समर्थन में ज्ञापन सौंपे जाएंगे। यह आंदोलन लद्दाख के क्षेत्रीय अधिकारों और पर्यावरण संरक्षण के मुद्दे पर केंद्र सरकार का ध्यान खींचने का प्रयास है।
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जोधपुर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था
जोधपुर पुलिस और प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति से बचा जा सके। जेल प्रशासन सतर्क है। स्थानीय कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह प्रदर्शन केवल वांगचुक के लिए समर्थन जुटाने का प्रयास नहीं है, बल्कि यह लद्दाख के लोगों की आवाज को राष्ट्रीय स्तर पर उठाने का भी माध्यम है। सोशल मीडिया पर #FreeSonamWangchuk ट्रेंड कर रहा है, जिसमें लोग उनकी रिहाई की मांग कर रहे हैं।
क्या यह गिरफ्तारी आवाज दबाने की कोशिश
सोनम वांगचुक के समर्थकों का मानना है कि उनकी गिरफ्तारी एक बड़ी साजिश का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य पर्यावरण और क्षेत्रीय अधिकारों के लिए लड़ने वालों की आवाज को दबाना है। जबकि प्रशासन का कहना है कि कार्रवाई पूरी तरह से कानून के दायरे में की जा रही है। गीतांजलि की जोधपुर यात्रा और प्रदर्शन ने इस मामले को राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में ला दिया है और अब सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि क्या यह आंदोलन एक नई दिशा को प्राप्त करेगा।
गीतांजलि वांगचुक का केंद्र सरकार पर हमला
गीतांजलि जे अंगमो, जो कि हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स (एचएआईएल) की सीईओ हैं, ने केंद्र सरकार की कड़ी आलोचना की। उन्होंने सोशल मीडिया पर केंद्रीय गृह मंत्रालय पर आरोप लगाया कि सरकार लद्दाख पुलिस का दुरुपयोग कर रहा है। उन्होंने पुलिस अत्याचारों का विरोध करते हुए कहा कि लद्दाख के लोग आज भी ब्रिटिश काल की तरह अत्याचारों का सामना कर रहे हैं। गीतांजलि ने इसे मौजूदा सरकार का दमनकारी रवैया बताया और इसे ब्रिटिश काल से तुलना की। उन्होंने वांगचुक की रिहाई के लिए राष्ट्रपति को पत्र भी लिखा है।
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सोनम वांगचुक की निगरानी
सोनम वांगचुक को 26 सितंबर को लेह-लद्दाख से जोधपुर सेंट्रल जेल लाया गया और वहां उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच रखा गया है। उनकी 24 घंटे सीसीटीवी से निगरानी की जा रही है और उनका नियमित मेडिकल परीक्षण भी किया जा रहा है। यह सभी निगरानी कैमरे पुलिस कंट्रोल रूम से जुड़े हुए हैं। जोधपुर सेंट्रल जेल में त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई है, जिसमें आरएसी जवानों, पुलिस बल और जेलकर्मियों की तैनाती की गई है।
सीकर सांसद अमराराम की मुलाकात का प्रयास
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी से सीकर सांसद अमराराम भी सोनम वांगचुक से मिलने के लिए मंगलवार को जोधपुर पहुंचे थे। उन्होंने जेल प्रशासन से मुलाकात की अनुमति मांगी, लेकिन प्रशासन ने उन्हें अनुमति देने से इनकार कर दिया। इस दौरान पुलिस ने जेल के बाहर बेरिकेडिंग कर दी और अमराराम को बाहर ही रोक लिया। उनके साथ कुछ अन्य समर्थक भी थे। इस घटना के बाद अमराराम ने केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना की और कहा कि यह दमनकारी कदम है।
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क्या होगी आगे की स्थिति
अमराराम ने कहा कि केंद्र सरकार ने लद्दाख के लोगों से जो वादे किए थे, उन्हें पूरा नहीं किया है और सोनम वांगचुक को जेल में बंद कर दिया है। उन्होंने इसे वांगचुक के नेतृत्व को दबाने की कोशिश बताया और कहा कि सरकार को यह विचार करना चाहिए कि वह आगे क्या कदम उठाएगी। इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर लद्दाख के मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उभारा है और अब यह देखना है कि क्या सोनम वांगचुक की पत्नी और उनके समर्थक इस आंदोलन को नई दिशा दे पाएंगे।