क्यों बन रहे सोलर प्लांट पश्चिम राजस्थान के गांवों के लिए संकट, जानिए पूरा मामला

पश्चिमी राजस्थान में सोलर प्लांट के लिए दी जा रही जमीनों ने गांवों के लिए संकट उत्पन्न किया है। इससे चारागाह, जलाशय और वनस्पति पर संकट आ गया है। TheSootr में जानें पूरी स्थिति।

author-image
Nitin Kumar Bhal
New Update
western-rajasthan-solar-plant-impact

Photograph: (TheSootr)

Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

राकेश कुमार शर्मा @ जयपुर

पश्चिमी राजस्थान में सोलर प्लांट का प्रभाव :पश्चिमी राजस्थान में ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट के लिए बिजली कंपनियों को दी जा रही लाखों बीघा सरकारी जमीनों से अलग तरह का संकट खड़ा हो गया है। कंपनियों को चारागाह, नदी-नालों, ओरण (मंदिरों व धार्मिक कार्यों से जुड़ी जमीनें) और सिवाय चक तक की जमीनें दे दी गई। यह स्थिति गांव व गांव वालों को आर्थिक, सामाजिक और भौगोलिक स्तर पर सीधे प्रभावित कर रही है।

दरअसल, राजस्थान सरकार सोलर-विंड प्रोजेक्ट लगाने के लिए बड़ी-बड़ी कंपनियों को सस्ती दरों पर जमीनें दे रही है। भूमि आवंटन में इतनी जल्दबाजी हो रही है कि जमीन देते वक्त यह विचार नहीं हो रहा कि ये जमीनें स्थानीय लोगों के लिए कितनी उपयोगी हैं। चारागाह, नदी-नालों, ओरण (मंदिरों व धार्मिक कार्यों से जुड़ी जमीनें) और सिवाय चक जमीनें सोलर प्लांटों में जाने से गांवों का सार्वजनिक तानाबाना गड़बड़ा गया है। ऊंट, बंदर, काले हिरण, गायों के लिए वनस्पति का संकट खड़ा हो गया है। तालाब व नदी नाले सूखने लगे हैं। कभी दूरदराज से आने वाले प्रवासी पक्षी भी कम दिखाई दे रहे हैं। 

यह खबर भी देखें...

जयपुर, भोपाल और रायपुर में बाढ़ से निपटने में खर्च होंगे 2444.42 करोड़, कुल 4645.60 करोड़ की परियोजनाएं स्वीकृत

रेगिस्तान में हर पग पर सोलर पैनल

ओरण, चारागाह और जलाशय की जमीनों पर चारों तरफ नीले रंग के चमकीले शीशों व कांचों से अटे हुए सोलर पैनल दिखाई देते हैं। इनके चारों तरफ पक्की दीवारें और लोहे के कंटीले तारे लगा दिए हैं, ताकि कोई अंदर ना जा सके। सेवण घास, खेजड़ी की पत्तियों व सांगरी से पेट भरने वाले पशु-पक्षी के लिए चारा का संकट होने लगा है तो तालाब व नदी नाले पर पाबंदी लगने और पाट देने से पानी का भी संकट खडा़ होने लगा है। इन्हीं कारणों के कारण पश्चिमी राजस्थान में बिजली कंपनियों को दी जा रही जमीनों को लेकर विरोध होने लगा है। 

चाहे वह जैसलमेर हो या बीकानेर, सब जगह अब गांवों में जमीन बचाने की मुहिम हो रही है। लोगों का डर है कि सरकारें बिना सोचे समझे अगर ऐसे ही बिजली कंपनियों को जमीन बांटती रही तो गांवों में चारागाह, गोचर और ओरण की जमीनें नहीं बच पाएगी। किसानों, पशुओं और पक्षियों के सामने संकट खड़ा हो जाएगा। बाडमेर की शिव विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक रविन्द्र सिंह भाटी लम्बे समय से चारागाह और ओरण भूमि दिए जाने का विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। वे मनमर्जी से दी जा रही जमीनों पर अकुंश लगाने की मांग करने लगे हैं। साथ ही सदियों से किसानों और पशुओं की आजीविका और चारे के रुप में दर्ज चारागाह, गोचर और ओरण भूमि को बचाने की वकालत करने लगे हैं।

यह खबर भी देखें...

बिजली उपभोक्ताओं को राजस्थान सरकार का झटका, फ्री की बिजली अब नहीं!

नदी-नालों की जमीनें कर दी समतल

सोलर प्लांट के पर्यावरणीय प्रभाव :बीकानेर के सामाजिक कार्यकर्ता पुखराज चौपड़ा कहते हैं कि बिजली कंपनियों को एक मुश्त उन जमीनों को भी आवंटित कर दिया, जो गांवों में सदियों से जलाशय के तौर पर जानी जाती है। वहां बरसाती नदी-नाले बहते हैं। तालाब हैं। ऐसी जमीनों को देने से कंपनियों ने इन जमीनों को भी समतल कर दिया है और वहां सोलर पैनल खड़े कर दिए हैं। इन कृत्यों से बरसाती पानी के प्राकृतिक रास्ते बन्द हो रहे हैं। पहले से ही पानी के लिए जूझते पश्चिमी राजस्थान में ओर भी संकट खड़ा होने वाला है। बताया जाता है कि मानसून में पानी से लबालब होने वाली रणीगांव, लिक, कवास, खोरायल जैसे नदी व नाले पर संकट आ गया है। 

जोधपुर संभाग में लूणी सबसे बड़ी और लम्बी दूरी तय करने वाली नदी है। इस बार के मानसून में तो यह नदी उन ईलाकों में भी पहुंची है, जहां पर बीसियों साल तक यह शांत थी। लेकिन पश्चिमी राजस्थान में बढ़ते सोलक व विंड पार्क और प्लांटों से नदी-नालों, उनके कैचमेंट एरिया पर संकट खड़ा होने लगा है।

यह खबर भी देखें...

राजस्थान की सड़कें बन रहीं जानलेवा, सड़क दुर्घटना में हर 44 मिनट में हो रही एक मौत

सोलर प्लांट में दफन हो रही वनस्पति

वरिष्ठ पत्रकार अनुराग हर्ष का कहना है कि जिन जमीनों पर पहले खेजड़ी, अरण्डी, फराश, मोरली जैसे पेड़ और कई तरह की घास दिखाई देती थी, वहां अब सोलर प्लांट दिखाई देते हैं। गांवों के पशु-पक्षी चारा चरते थे। लेकिन सोलर प्लांट के लिए पेड़ों, घास और जंगल को साफ कर दिया है। इससे पशुओं पर संकट खड़ा हो गया है। किसानों व पशुपालकों को दूरदराज के गांवों में पशु चराने के लिए जाना जाता है। जैसलमेर, बाडमेर जैसे रेगिस्तानी ईलाकों में किसानी और पशुपालन पर भी संकट आने लगा है। इन क्षेत्रों की जमीनों पर ही सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था का जिम्मा है।

चारागाह और गोचर जमीनों से किसानों के पशु पाले जा रहे हैं तो वहीं नदी नालों व तालाबों से बरसाती फसलें और पेयजल मिल रहा है। पशुपालन और किसानी से जुड़ी जमीनें छीनने से पश्चिमी राजस्थान की भोगौलिक संतुलन बिगडऩे लगा है। सरकार विकास की दौड़ में ग्रामीण जीवन को असंतुलित करने में लगी हुई है। यहीं कारण है कि सोलर कंपनियों को जमीन आवंटन का विरोध अब गांव ढाणी में होने लगा है।

यह खबर भी देखें...

राजस्थान में गलत डिग्री लगा इंजीनियरों ने पाया प्रमोशन, सुप्रीम कोर्ट का आदेश दरकिनार

राजस्थान विधानसभा में भी उठा मुद्दा

राजस्थान में सोलर परियोजनाओं का विरोध : पश्चिमी राजस्थान के बाडमेर, जैसलमेर, जोधपुर, बालोतरा, फलौदी, बीकानेर जैसे तपते रेगिस्तान में सोलर कंपनियों को दी गई लाखों बीघा कृषि भूमियों के आवंटन को लेकर विरोध प्रदर्शन विधानसभा तक पहुंच गया है। बाड़मेर और जैसलमेर में तो चारागाह और ओरण जमीनें आवंटित कर देने से भारी विरोध है। शिव, भैरूपुरा, हड़वा, देवका, मणिहारी, मति का गोल, झलोड़ा भाटियान, मोकला सहित कई गांवों में सौर ऊर्जा परियोजनाओं के खिलाफ बड़े विरोध प्रदर्शन हो चुके हैं। सदन में भी यह मुद्दा उठ चुका है।

चारागाह, गोचर, वाटर वॉडी और जंगल की जमीनें सोलर कंपनियों को नहीं देने को लेकर निर्दलीय शिव विधायक रविन्द्र सिंह भाटी ने विधानसभा में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि अंधाधुंध तरीके से जमीन आवंटन करने से गांवों की ओरण, चारगाह व दूसरी वह जमीनें किसानों के हाथ से जा रही हैं, जिन पर सदियों से किसान अपने पशुओं को चराते आ रहे हैं। उनके जीवन व रोजगार से जुड़ी जमीनों को कंपनियों को दे दिया, जो कि स्थानीय किसान व पशुपालकों के लिए अन्याय है। सरकार बिजली कंपनियों के आगे नतमस्तक होकर मनमानी तरीकें से जमीनें दे रही है, जिसका हरसंभव विरोध किया जाएगा।

उनका कहना है कि यदि सभी जमीनें कंपनियों को दे दी जाएगी तो किसान व पशु कहां जाएंगे? हमारी गोचर भूमि और ओरण का क्या होगा? इस मुद्दे को लेकर अखिल भारतीय जीवरक्षा बिश्नोई सभा के पदाधिकारी भी केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिल चुकी है। 

यह खबर भी देखें...

वाह री रेलवे! एक ही प्लेटफॉर्म पर खड़ी कर दीं दो वंदेभारत, गलत ट्रेनों में चढ़े यात्री

चारे-पानी का हो रहा संकट: भाजपा विधायक

जैसलमेर के भाजपा विधायक छोटूसिंह ने विधानसभा में 31 जुलाई, 2024 को विधानसभा में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि लाखों बीघा जमीन आवंटन करने से चारागाह, जंगल और जलाशय खत्म हो रहे हैं। घास खत्म हो गई। लाखों पशुओं पर चारे पानी का संकट खड़ा हो गया है। ऐसे ही जमीन आवंटन होते रहे तो यहां का पशुधन खत्म हो जाएगा। लोग पलायन को मजबूर होंगे। चारागाह व जंगल खत्म हो जाएंगे। खाजूवाला विधायक विश्वनाथ मेघवाल भी सदन में बेतहाशा तरीके से सोलर कंपनियों को दी जा रही जमीनों पर आपत्ति जता चुके हैं। इन सभी का कहना है कि सरकार ओरण, चारागाह, जंगलात और जलाशय की जमीनों का आवंटन नहीं करें। बंजड़ व बेकार जमीनें कंपनियों को दे, ताकि पश्चिमी राजस्थान का प्राकृतिक और पारिस्थितिक संतुलन बना रहे।

यह खबर भी देखें...

राजस्थान मौसम अपडेट : बारिश का दौर जारी, आज 24 जिलों में बरसात का अलर्ट

FAQ

1. सोलर प्लांट्स के लिए जमीन आवंटन से पश्चिमी राजस्थान को क्या नुकसान हो रहा है?
सोलर प्लांट्स के लिए जमीन आवंटन से पश्चिमी राजस्थान में चारागाह, गोचर और जलाशयों जैसी महत्वपूर्ण जमीनों का नुकसान हो रहा है, जिससे पशुओं और किसानों के लिए संकट खड़ा हो गया है।
2. सोलर कंपनियों को किस प्रकार की ज़मीनें दी जा रही हैं?
सोलर कंपनियों को चारागाह, ओरण, नदी-नाले, और जलाशयों जैसी ज़मीनें दी जा रही हैं, जिनका स्थानीय समुदायों के लिए ऐतिहासिक और आर्थिक महत्व है।
3. क्या सोलर परियोजनाओं के विरोध के कारण सरकार कोई कदम उठा रही है?
हां, कई स्थानीय नेता और कार्यकर्ता सरकार से सोलर कंपनियों द्वारा दी जा रही ज़मीनों पर नियमों के तहत कड़ी निगरानी की मांग कर रहे हैं।
4. क्या सोलर परियोजनाओं से स्थानीय पर्यावरण पर असर पड़ रहा है?
हां, सोलर परियोजनाओं से स्थानीय पर्यावरण, जैसे वनस्पति, पानी के स्रोत, और जंगली जीवन पर नकारात्मक असर पड़ रहा है।
5. सरकार द्वारा सोलर कंपनियों को ज़मीन आवंटन की नीति पर क्या प्रतिक्रिया है?
स्थानीय नेताओं का कहना है कि सोलर कंपनियों को सिर्फ बंजर और बेकार ज़मीनें दी जानी चाहिए, ताकि प्राकृतिक संतुलन बना रहे।
सोलर प्लांट पश्चिमी राजस्थान में सोलर प्लांट का प्रभाव सोलर प्लांट के पर्यावरणीय प्रभाव राजस्थान में सोलर परियोजनाओं का विरोध विधायक छोटूसिंह विधायक विश्वनाथ मेघवाल शिव विधायक रविन्द्र सिंह भाटी
Advertisment