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Photograph: (TheSootr)
राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ को हाल ही में केंद्र सरकार से एक बड़ी राहत मिली है। शहरी बाढ़ प्रबंधन को लेकर यह बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में आयोजित उच्च स्तरीय समिति की बैठक में राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ समेत 9 अन्य आपदा प्रभावित राज्यों के लिए 4645.60 करोड़ रुपए आर्थिक सहायता को मंजूरी दी गई। इस योजना के तहत राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण कोष (NDRF) से शहरी बाढ़ जोखिम प्रबंधन कार्यक्रम के अंतर्गत कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।
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शहरी बाढ़ जोखिम प्रबंधन कार्यक्रम का उद्देश्य क्या है?
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य शहरी बाढ़ के जोखिम को कम करना और इन शहरों में बाढ़ से संबंधित समस्याओं का समाधान करना है। इस योजना से जुड़े 11 प्रमुख शहरों में जयपुर (Jaipur), भोपाल (Bhopal),इंदौर(Indore) और रायपुर (Raipur)भी शामिल है, जो इस योजना का सीधा लाभ उठाएगा। समिति ने शहरी बाढ़ जोखिम प्रबंधन कार्यक्रम (यूएफआरएमपी) के दूसरे चरण को भी मंजूरी दी है, जो भोपाल, भुवनेश्वर, गुवाहाटी, जयपुर, कानपुर, पटना, रायपुर, तिरुवनंतपुरम, विशाखापत्तनम, इंदौर और लखनऊ जैसे 11 शहरों के लिए है। इसकी कुल वित्तीय लागत 2444.42 करोड़ रुपए है, जिसे राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण कोष से वित्त पोषित किया जाएगा।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘आपदा-प्रतिरोधी भारत’ के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सभी आवश्यक सहायता प्रदान कर रहा है।
शहरी बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम की विशेषताएं
बाढ़ जोखिम को कम करने के उपाय
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य शहरी बाढ़ के जोखिम को कम करना है। यह योजना शहरों में जल निकासी प्रणालियों के पुनर्निर्माण और बाढ़ संरक्षण उपायों को लागू करने पर केंद्रित है। इसके तहत नदियों और जलाशयों की सफाई, बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जल निकासी के प्रभावी उपाय, और बाढ़ की भविष्यवाणी के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाएगा।
11 प्रमुख शहरों का चयन
राजस्थान के जयपुर समेत 11 प्रमुख शहरों का चयन बाढ़ के प्रति संवेदनशीलता, राजधानी की स्थिति, आबादी, भौगोलिक और जलवायु संबंधी परिस्थितियों के आधार पर किया गया है। इन शहरों में भोपाल, रायपुर, इंदौर, भुवनेश्वर, गुवाहाटी, कानपुर, पटना, तिरुवनंतपुरम, विशाखापत्तनम और लखनऊ भी शामिल हैं। इन शहरों में बाढ़ का खतरा अधिक है, और इन्हें इस योजना से विशेष लाभ मिलेगा।
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शहरी बाढ़ प्रबंधन योजना के तहत किए जाने वाले प्रमुख कार्य
इस योजना के अंतर्गत विभिन्न प्रमुख कार्य किए जाएंगे जो बाढ़ के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे:
जल निकासी प्रणाली का सुधार
प्रमुख कार्यों में सबसे पहले जल निकासी प्रणालियों का सुधार किया जाएगा। जल निकासी की सही व्यवस्था बाढ़ के जोखिम को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
बाढ़ सुरक्षा उपाय
इसके अलावा, बाढ़ सुरक्षा उपायों को लागू किया जाएगा, जिनमें जलाशयों और नदियों की सफाई और बाढ़ नियंत्रण प्रणालियों का निर्माण शामिल होगा।
बाढ़ चेतावनी प्रणाली
नदियों और जलाशयों के स्तर की निगरानी के लिए एक बाढ़ चेतावनी प्रणाली भी स्थापित की जाएगी, जिससे समय रहते बाढ़ की चेतावनी दी जा सके।
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शहरी बाढ़ प्रबंधन योजना के लाभ
इस योजना से न केवल बाढ़ के प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी, बल्कि शहरों के बुनियादी ढांचे को भी बेहतर बनाया जाएगा। जल निकासी प्रणालियों और बाढ़ सुरक्षा उपायों के माध्यम से शहरों में बाढ़ के कारण होने वाली जनहानि और संपत्ति की हानि को भी रोका जा सकेगा।
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्निर्माण
राज्य सरकार और केंद्र सरकार मिलकर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्निर्माण कार्यों को सुनिश्चित करेंगे। इसमें बाढ़ के बाद की पुनर्स्थापना प्रक्रिया, राहत कार्य और पुनर्निर्माण के प्रयास शामिल होंगे।
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