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Photograph: (The Sootr)
राजस्थान (Rajasthan) की राजधानी जयपुर (Jaipur) में इस रविवार, 27 जुलाई 2025 को शाम 5:30 बजे विश्वप्रसिद्ध तीज माता (Teej Festival) की भव्य सवारी निकाली जाएगी। यह सवारी आयोजन सिटी पैलेस से प्रारंभ होकर शहर के प्रमुख मार्गों से गुजरते हुए चौगान स्टेडियम तक पहुंचेगी। तीज का त्योहार माताओं और बहनों के लिए विशेष धार्मिक महत्व रखता है। तीज माता की सवारी सिटी पैलेस के जनानी द्वार से शुरू होकर चांदनी चौक, त्रिपोलिया गेट होते हुए नगर भ्रमण करेगी। इसके चलते पूरे रास्ते को श्रद्धालुओं के लिए सजाया जाएगा। तीज माता की सवारी देखने के लिए भारी भीड़ उमड़ेगी। सवारी के दौरान शहर के कई मार्गों पर ट्रैफिक डायवर्ट कर दिया जाएगा। ताकि श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो और आयोजन सुचारू रूप से संपन्न हो सके। खासकर शहर के व्यस्ततम इलाकों और सिटी पैलेस के आसपास के रास्ते बंद रहेंगे। प्रशासन ने पार्किंग के लिए भी विशेष व्यवस्था की है जो शाम 5 बजे से लागू होगी, ताकि आगंतुकों को अपने वाहनों की उचित जगह मिल सके।
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तीज सवारी के दौरान बसों के लिए क्या व्यवस्था है?
सागानेरी गेट से सुभाष चौक, सुभाष चौक से सांगानेरी गेट आने व जाने वाली बसें घाटगेट, घाट बाजार, रामगंज चौपड़, चार दरवाजा होकर सुभाष चौक आ-जा सकेंगी। रामगंज चौपड़ की तरफ से बड़ी चौपड़ होकर चलने वाली बसें घाट बाजार, घाटगेट से सांगानेरी गेट, एम.आई. रोड आ सकेंगी।
तीज उत्सव का धार्मिक महत्व अत्यंत गहरा है। प्रोफेसर विनोद शास्त्री के अनुसार, तीज माता दरअसल मां पार्वती ही हैं। यह त्यौहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है, जो जुलाई या अगस्त के महीने में आता है। तीज तीन दिनों तक मनाया जाता है—पहला दिन सिंजारा, दूसरा दिन हरियाली तीज और तीसरा दिन बूढ़ी तीज। सिंजारा तीज से पूर्व दिन विवाहित महिलाएं अपने मायके से अपने ससुराल को घेवर, लहरिया साड़ी, मेहंदी, चूड़ियां और शृंगार सामग्री भेजती हैं, जो रिश्तों में प्रेम और सौहार्द का प्रतीक है।
माता पार्वती और भगवान शिव की आराधना
तीज के दिन मां पार्वती और भगवान शिव की आराधना की जाती है। पुराणों में वर्णित है कि सावन की तृतीया तिथि का व्रत मां पार्वती ने स्वयं स्थापित किया था, जिससे स्त्रियों को सुहाग और सौभाग्य मिलता है। कहा जाता है कि हरियाली तीज के दिन सच्चे मन से की गई पूजा एवं व्रत से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन महिलाएं उपवास रखती हैं, पारंपरिक गीत गाती हैं और तीज माता की सवारी में भाग लेकर आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। यह व्रत कथा धार्मिक विश्वासों के अनुसार अनिवार्य है, जिसका पाठ किए बिना व्रत अधूरा माना जाता है।
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हरतालिका तीज क्या है? इसकी व्रत कथा जानें
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बूढ़ी तीज की भी निकलेगी सवारी
28 जुलाई को बूढ़ी तीज की सवारी भी निकाली जाएगी, जो तीज पर्व का समापन करेगी। यह सवारी जनानी द्वार से रवाना होकर त्रिपोलिया बाजार, छोटी चौपड़, गणगौरी बाजार होते हुए चौगान स्टेडियम पहुंचना शामिल होगा। प्रशासन ने इस दौरान ट्रैफिक व्यवस्था के लिए बारीकी से योजनाएं बनाई हैं, ताकि श्रद्धालुओं को सुविधा हो और नगरवासियों को भी असुविधा न हो।
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