/sootr/media/media_files/2025/07/13/hnuman_rajkumar_jogindra-2025-07-13-19-09-32.jpg)
राजस्थान में भाजपा या कांग्रेस ही सत्ता में आ पाती है। ऐसे में यहां तीसरी राजनीतिक ताकत के बारे में समय-समय पर बात होती रहती है, लेकिन इसका जमीनी स्तर पर परिणाम सामने नहीं आता है। राजस्थान में तीसरा मोर्चा कभी कोई कमाल दिखा नहीं पाया है। अभी कुछ छोटे दलों ने अपने स्तर पर ही अपने प्रभाव वाले हिस्सों में खुद को मजबूत बनाने की तैयारी की है।
राष्ट्रीय लोक दल (RLD), राष्ट्रीय लोकतान्त्रिक दल (RLP) और भारतीय आदिवासी पार्टी (BAP) राजस्थान के कुछ हिस्से में अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए इन दिनों सक्रिय हो रहे हैं। इन सभी दलों ने विधानसभा और लोकसभा चुनाव में अपनी पूरी ताकत दिखाई थी। अब इनकी नजर राजस्थान में नवंबर-दिसंबर में होने वाले निकाय चुनाव पर है।
आरएलडी को दिख रही उम्मीद
राष्ट्रीय लोक दल ने पूर्व बसपा विधायक जोगिंदर सिंह अवाना को पार्टी का नया अध्यक्ष बनाया है। अवाना बसपा के टिकट पर नदबई से विधायक बने थे, लेकिन वर्ष 2023 में कांग्रेस के टिकट पर लड़े और हार गए। वहीं उन्होंने अब राजस्थान में अन्य दलों के नेताओं को आरएलडी में जोड़ना शुरू कर दिया है। आरएलडी के एकमात्र विधायक सुभाष गर्ग भी अशोक गहलोत के करीबी हैं। एनडीए में आरएलडी के आने के बाद से सुभाष गर्ग असमंजस में हैं। वे खुलकर कांग्रेस या अशोक गहलोत पर बोल नहीं पाते हैं। राजस्थान आरएलडी प्रभारी पूर्व सांसद मलूक नागर बसपा से सांसद रहे हैं। नागर का कहना है कि हम पूरे प्रदेश में पार्टी को मजबूत करेंगे।
प्रभाव वाले क्षेत्रों में सक्रिय
इन दलों की बड़ी खासियत है कि ये उन्हीं क्षेत्रों में चुनाव लड़ने की प्लानिंग कर रहे हैं, जहां इनका प्रभाव है या इनके लोग सक्रिय हैं। मतलब साफ है कि इन सभी को जातीय कार्ड को खेलना है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि आरएलडी के पास जहां अपना खुद का कैडर नहीं है। वहीं हनुमान बेनीवाल एक तरह से अलग-थलग पड़ गए हैं। वहीं बाप के सामने कई परेशानी खड़ी हैं।
आरएलपी में बेनीवाल अलग-थलग पड़े
आरएलडी के नेता और सांसद हनुमान बेनीवाल की पार्टी से अभी कोई विधायक नहीं है। उपचुनाव में उनकी पत्नी हार गईं। बेनीवाल के साथ अभी कोई बड़ा चेहरा नहीं है। उम्मेदाराम बेनीवाल कांग्रेस में चले गए और अभी जैसलमेर-बाड़मेर से सांसद हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि ऐसे में बेनीवाल की राजनीति नैया डगमगा रही है। इससे निकाय चुनाव में उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में बेनीवाल की पार्टी के तीन विधायक चुनाव जीतकर आए थे।
यह खबरें भी पढ़ें...
सड़क हादसों में मौत में राजस्थान का देश में छठा, हादसों में सातवां स्थान
बजरी खनन : राजस्थान में आंखें मूंदे बैठी सरकार, बिना पड़ताल 140 खानों को दे दी मंजूरी
बाप के लिए बढ़ गया संकट
भारतीय आदिवासी पार्टी (बाप) के चार विधायक और एक सांसद हैं। राजकुमार रोत को मजबूत समर्थन मिला, लेकिन उन पर अब कांग्रेस और भाजपा की दोनों की नजरें हैं। बाप के बागीदौरा से विधायक जयकृष्ण पटेल को रिश्वत लेने के मामले में एसीबी ने गिरफ्तार किया है, जिससे बाप को बड़ा धक्का लगा है। इससे कैसे पार्टी उबर पाएगी, यह भी कुछ साफ नहीं है।
FAQ
thesootr links
- मध्यप्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- राजस्थान की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक
- जॉब्स और एजुकेशन की खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें
- निशुल्क वैवाहिक विज्ञापन और क्लासिफाइड देखने के लिए क्लिक करें
अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢🔃🤝💬👩👦👨👩👧👧