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Photograph: (the sootr)
Alwar. राजस्थान की प्रमुख पांच घुमंतू जातियों की कला, संस्कृति और आम जीवन की जद्दोजहद को बुधवार को अलवर में संजोया गया। इसके लिए वर्ल्ड कॉमिक्स इंडिया ने विमुक्त मेले का आयोजन किया। इस मेले में बंजारा, कालबेलिया, सपेरा, नट एवं गाड़िया लोहार जातियों की विलुप्त होती प्राचीन पारंपरिक वेशभूषा, संगीत वाद्ययंत्र, आभूषणों तथा घरेलू उपयोग में आने वाली विभिन्न वस्तुओं को दिखाया गया। सैकड़ों लोगों ने इस अद्भुत प्रदर्शनी को देखा और सराहा। आपको बता दें कि अलवर का विमुक्त मेला समय-समय पर लगता रहता है।
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नीदरलैंड की जनजाति भारत से जुड़ें
विमुक्त मेले का उद्घाटन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आईपीएस शरण गोपीनाथ कांबले ने किया। उन्होंने कहा कि यह विमुक्त जातियों के गौरवमयी इतिहास का एक जीवंत प्रदर्शन है। इस मौके पर नीदरलैंड से आए सामाजिक एवं राजनीतिक वैज्ञानिक पीटर नोप ने कहा कि यह घुमंतू मेला समाज की पुरानी जड़ों को संजोने का एक अनुपम प्रयास है। इन समुदायों के बीच स्वयं को पाकर उन्हें यह अनुभव हो रहा है कि वे भी इन्हीं में से एक हैं। उन्होंने बताया कि उनका प्रयास है कि यूरोप की रोमा जनजाति और भारत की घुमंतू जातियां आपस में मिलें तथा एक-दूसरे की संस्कृति और रीति-रिवाजों को समझें।
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खुलेगा घुमंतू समुदाय का संग्रहालय
वर्ल्ड कॉमिक्स इंडिया के संस्थापक शरद शर्मा ने बताया कि संस्था शीघ्र ही अलवर में घुमंतू समुदाय का एक संग्रहालय खोलेगी। जो न केवल उनकी संस्कृति और पहचान को संरक्षित करेगा। बल्कि देश-विदेश के लोगों को उनसे परिचित कराने में भी सहायक होगा। दूर-दराज से आए घुमंतू जातियों की बस्तियों के लोगों ने पूरे जोश और उत्साह के साथ इस मेले में भागीदारी की।
वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद मलिक ने कहा कि वर्ल्ड कॉमिक्स इंडिया लंबे समय से अलवर जिले में विमुक्त एवं घुमंतू जातियों के उत्थान, पहचान तथा उनकी समस्याओं के रचनात्मक समाधान की दिशा में सतत रूप से कार्य कर रहा है। कार्यक्रम के समापन पर बी.एल. वर्मा ने सभी उपस्थित जनों का आभार व्यक्त किया।
बंजारा बस्ती में दीवारों पर कलाकृति
अलवर शहर के पास स्थित बरदू बंजारा बस्ती में मंगलवार को एक भव्य ग्रैफिटी का उद्घाटन किया गया। इसमें बंजारा संस्कृति और परंपरा को रचनात्मक तरीके से दर्शाया गया है। बस्ती के निवासी मुकेश बंजारा जिनके घर की बाहरी दीवार पर इस कलाकृति को उकेरा गया है। वे इसे बंजारा समोदय की संस्कृति के पुनर्जागरण के रूप में देखते है। वह कहते है कि ये ना सिर्फ लोगो को अपनी जड़ो से जोड़े रखेगा। बल्कि आस-पास से गुजरने वाले लोगो को भी उनके गौरवशाली इतिहास की झलक देगा।
मुख्य बिंदु
अलवर में आयोजन: विमुक्त मेला 15 दिसंबर को अलवर में आयोजित किया गया था। जिसमें राजस्थान की प्रमुख पांच घुमंतू जातियों की कला और संस्कृति का प्रदर्शन किया गया था।
मेले का उद्घाटन: विमुक्त मेले का उद्घाटन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आईपीएस शरण गोपीनाथ कांबले ने किया था।
संस्कृति और परंपरा: बंजारा बस्ती में एक भव्य ग्रैफिटी का उद्घाटन किया गया था। जिसमें बंजारा समुदाय की संस्कृति और परंपरा को दर्शाया गया है। यह कलाकृति समाज के पुनरुद्धार का प्रतीक है।
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