Panna. देश के पहले नदी जोड़ो परियोजना केन बेतवा लिंक प्रोजेक्ट में जमीनों के रिकॉर्ड की ओवरलैपिंग का मामला सामने आया है। इस परियोजना के कारण पन्ना टाइगर रिजर्व समेत वन विभाग की कुल 6017 हेक्टेयर जमीन डूब या निर्माण के कारण प्रभावित हुई। इसके बदले वन विभाग को पन्ना और छतरपुर जिलों में उपलब्ध 5479.63 हेक्टेयर सरकारी राजस्व भूमि दी गई है। लेकिन असलियत सामने आने पर वन विभाग अलग ही दावा कर रहा है।
वन विभाग को दे दी उसी की जमीन
वन विभाग का दावा है कि उसे सिर्फ 3460 हेक्टेयर राजस्व भूमि ही दी गई है। कलेक्टरों ने जिस 5479.63 हेक्टेयर जमीन उपलब्ध कराई। उसमें से 2019 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन तो वनविभाग की ही है। जहां पहले से जंगल मौजूद है। वन विभाग के इस दावे के बाद पन्ना और छतरपुर में फिर से रिकॉर्ड खंगालना शुरु कर दिया गया है।
जमीन के बदले देनी होगी उतनी ही जमीन
बता दें कि नियमानुसार परियोजना में जितनी जमीन प्रभावित होनी है, उसके बदले वन विभाग को उतनी ही जमीन देनी होगी। तभी पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में दोधन डेम का निर्माण हो पाएगा। जब तक 75 फीसदी भूमि हस्तांतरित नहीं हो जाती। तब तक केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय मंजूरी नहीं देगा।
एडवाइजरी कमेटी की बैठक आज
केन-बेतवा प्रोजेक्ट के दौधन डैम निर्माण के लिए 25 जुलाई को भोपाल में टेक्निकल एडवाइजरी कमेटी और 28 जुलाई को टेंडर इवैल्युएशन कमेटी की बैठक होने जा रही है। इस बैठक में उन सभी सुझावों को प्रोजेक्ट में शामिल करने पर अंतिम विचार होगा, जो प्रोजेक्ट पर काम करने की इच्छुक देशभर की निर्माण कंपनियों की ओर से दिए गए हैं।
वन विभाग के पीसीसीएफ लैंड मैनेजमेंट के प्रभारी सुनील अग्रवाल ने बताया कि छतरपुर और पन्ना में हस्तांतरित की गई 5479.63 हेक्टेयर सरकारी भूमि में सिर्फ 3460 हेक्टेयर जमीन ही असल में राजस्व की है, बाकी 2019 हेक्टेयर जमीन पहले से ही वन भूमि है। अतः वन विभाग ने सिर्फ 3460 हेक्टेयर जमीन मिलना ही कंसीडर किया है।