5 साल में 7 हजार से ज्यादा सांपों की जान बचा चुके हैं सत्यम, साहस और इच्छाशक्ति ने बनाया ''स्नैक मैन ऑफ सरगुजा''

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Vikram Jain
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5 साल में 7 हजार से ज्यादा सांपों की जान बचा चुके हैं सत्यम, साहस और इच्छाशक्ति ने बनाया ''स्नैक मैन ऑफ सरगुजा''

SURGUJA. नागपंचमी हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। देशभर में सोमवार (21 अगस्त) को नागपंचमी का त्यौहार मनाया जा रहा है। इस दिन लोग नागदेवता का पूजन करते हैं। नागपंचमी के मौके पर आज हम आपकों पशुप्रेम और इंसानियत की मिसाल पेश करने वाले छत्तीसगढ़ के शख्स के बारे बताते है। सरगुजा जिले के सत्यम द्विवेदी को स्नैक मैन के नाम पहचाना जाता है। स्नैक मैन सत्यम द्विवेदी बीते पांच सालों में पांच साल में 7 हजार सांपों की जान बचा चुके हैं। सत्यम हर दिन 24 घंटे घरों में घुसने वाले जहरीले और साधारण सांपों को पकड़कर उन्हें सुरक्षित स्थान पर छोड़ लोगों की जान बचाने के काम में जुटे हुए हैं। सांपों के प्रति प्रेम के कारण आज सत्यम सरगुजा जिले के साथ संभाग के विभिन्न इलाकों में काफी चर्चित हैं।



हजारों सांपों को पकड़कर सुरक्षित स्थान पर छोड़ चुके हैं सत्यम



'स्नैक मैन' के पहचान रखने वाला ये युवा ने सांपों को बचाने की बखूबी जिम्मेदारी निभा रहा हैं। ये किसी सामान्य इंसान के बस की बात नहीं है। सत्यम अपने साहस और इच्छाशक्ति से आज सांपों का मसीहा बन गया हैं। बीते पांच साल से अपनी संस्था नेचर कंजर्वेशन सोसायटी के माध्यम से जहरीले सांप को पकड़ने के साथ-साथ उन्हें बचाने में लगे हुए हैं। वे लोगों के मन से सांपों का डर दूर कर उनके संरक्षण के लिए भी जागरूक करने का काम कर रहे हैं। सत्यम अब तक सात हजार से भी ज्यादा सांपों को पकड़ उन्हें सुरक्षित स्थान पर छोड़ चुके हैं। सत्यम न केवल रेस्क्यू करते है बल्कि घायल सांपों का उपचार कर उनकी जान भी बचाते हैं। इस काम के दौरान वे 29 से ज्यादा बार सर्प दंश के भी शिकार हो चुके हैं। साथ ही इस मानव और पशु सेवा कार्य के लिए सत्यम को सैंकड़ों बार सम्मानित भी किया जा चुका हैं।



सत्यम के पास नहीं है सांप पकड़े का विशेष प्रशिक्षण



सांपों के दोस्त इस शख्स ने जान जोखिम में डालकर सांपों को इंसानों के बीच से सुरक्षित निकाला और कई को नया जीवन भी दिया है। अब तक पकड़े सांपों में 15 सौ ज्यादा विषैले सर्प शामिल हैं। सत्यम के पास सांप पकड़ने के लिए कोई विशेष प्रशिक्षण नहीं है। बताया जा रहा है कि 2015 में एक अजगर का रेस्क्यू करने पर उन्हें अच्छा लगा था। पशु-पक्षी के प्रति प्रेम भाव रखने वाले सत्यम को अजगर को सुरक्षित पकड़ना और जंगल में छोड़े जाना प्रेरणा दे गया। इसके साथ साल 2017 में बिलासपुर में PSC की तैयारी के दौरान यूट्यूब और दूसरे माध्यम से सांपों के रेस्क्यू पर अध्ययन शुरू किया।



सोशल मीडिया में अपलोड किया था सर्प रेस्क्यू का वीडियो



सत्यम ने कोरोना काल में एक सर्प के रेस्क्यू का वीडियो उन्होंने इसका सोशल मीडिया में अपलोड किया था, इसके बाद इस कार्य के लिए लोगों से सराहना मिलने लगी। साथ ही सांपों के रेस्क्यू के लिए फोन भी आने शुरू हो गए। स्नैक मैन सत्यम अब लगभग हर दिन शहर और आसपास के इलाकों में सर्प रेस्क्यू के साथ-साथ महामाया पुर्नवास केन्द्र के माध्यम से बेजुबान पशुओं खासकर गौ प्रजाति की सुरक्षा के अभियान में जुटे हुए हैं। जिसमें उनके साथ शहर का हर वर्ग जुट गया है।



सांप दिखने की सूचना मिलते ही पहुंच जाते हैं सत्यम



सत्यम को इस काम के करने में बिलकुल डर नहीं लगता है क्योंकि उनके नजदीक सांप सुंदर जीव हैं। बता दे कि सत्यम को बचपन से ही जीव जंतुओं खासकर सांपों से काफी लगाव रहा हैं। सांप दिखने की सूचना के बाद सत्यम लोगों के घर या बाड़ी में बेधड़क पहुंच जाते हैं। सत्यम ने अब तक कई जहरीले सांपों की जान भी बचाई है। इन सांपों का इंसान के चंगुल में आने के बाद जिंदा बचना मुश्किल था। सत्यम बताते हैं कि सभी सांपों को बचा कर इंसानों से दूर सुरक्षित जंगल में छोड़ देते हैं। उनके पास बारिश के दिनों में एक दिन में सांप पकड़ने के लिए सात से आठ फोन आते हैं। सत्यम का कहना है कि वे कई सांपों का बेहतर इलाज कराकर जान बचा चुके हैं। इसके अलावा एक धमना सांप को लोगों ने कुल्हाड़ी से मार दिया था, सूचना पर वे पहुंचे और पशु चिकित्सकों की मदद से ऑपरेशन कर शरीर में टांका लगवाया।



स्नैक रेस्क्यू और वेनम सेंटर की स्थापना ही लक्ष्य : सत्यम



स्नैक मैन सत्यम बताते है कि सर्प पूजन अच्छी बात है, लेकिन उससे भी ज्यादा खुशी उन्हें बचाने और संरक्षित करने की है, ताकि जैवविविधता का यह महत्वपूर्ण हिस्सा सुरक्षित रहे। सत्यम का कहना है कि सरगुजा संभाग मुख्यालय में स्नैक रेस्क्यू और वेनम सेंटर की स्थापना करने की योजना है। जहां सर्प संरक्षण के साथ नई पीढ़ी को उनके महत्व और सहभागिता का भी एहसास कराया जा सके।



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सीपीआर तकनीक से बचाई थी नाग की जान



इंसानों को बचाने के लिए आमतौर पर डॉक्टर सीपीआर यानी मुंह से सांस देने की तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। सत्यम ने इस तकनीक के इस्तेमाल से नाग पर किया और उसकी जान बच गई, जबकि पशु चिकित्सालय के डॉक्टरों ने उसकी हालत देखकर कहा था कि उसका बच पाना नामुमकिन है। सत्यम ने फोरेट नामक दवा से गंभीर रूप से घायल किए नाग को सीपीआर यानी मुंह से सांस दिया था।


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