मनीष गोधा, JAIPUR. राजस्थान के विधानसभा चुनाव में इस बार सिर्फ सत्ता परिवर्तन नहीं हुआ है बल्कि 2 मुख्यमंत्रियों का युग भी समाप्त हुआ है। यही कारण है कि इस बार राजस्थान की नौकरशाही में भी बड़े बदलाव की संभावनाएं नजर आ रही हैं। माना जा रहा है कि इस बार अहम पदों पर राजस्थान से दिल्ली में प्रतिनियुक्ति पर काम कर रहे अधिकारी तो लौटेंगे ही इसके साथ ही दिल्ली से ही कुछ अधिकारियों को प्रतिनियुक्ति पर भी भेजा जा सकता है।
मुख्यमंत्री का चेहरा बदला
राजस्थान में पिछले 20 साल से या तो वसुंधरा राजे या अशोक गहलोत मुख्यमंत्री के रूप में नजर आते रहे हैं। इस बार राजस्थान में सत्ता परिवर्तन तो हुआ ही है, इसके साथ ही मुख्यमंत्री का चेहरा भी बदला है। ऐसे में राजस्थान की नौकरशाही भी इस बार नए रंग में नजर आ सकती है। राजस्थान के 5-6 बड़े अधिकारी इस समय दिल्ली में प्रतिनियुक्ति पर हैं, इनमें से कुछ राजस्थान लौट सकते हैं। इसके साथ ही ये भी माना जा रहा है कि क्योंकि मुख्यमंत्री एकदम नए हैं और प्रशासनिक स्तर पर कोई पिछला अनुभव नहीं रखते हैं, इसलिए दिल्ली या अन्य राज्यों से कुछ अधिकारियों को यहां पर प्रतिनियुक्ति पर भेजा जा सकता है। जब 2003 में वसुंधरा राजे राजस्थान में मुख्यमंत्री बनी थीं, तब सिक्किम कैडर के अधिकारी गोविंद मोहन गुप्ता को अपना प्रमुख सचिव बनाकर लाई थीं। गोविंद मोहन गुप्ता यहां लगभग 2 साल रहे थे।
मुख्य सचिव का बदलना तय
राजस्थान की मौजूदा मुख्य सचिव उषा शर्मा अभी एक्सटेंशन पर चल रही हैं और उनका कार्यकाल 31 दिसंबर तक ही है। ऐसे में नया मुख्य सचिव आना तय है। इस पद के लिए राजस्थान कैडर के अधिकारियों में देखा जाए तो वरिष्ठता क्रम में वैसे तो सुबोध अग्रवाल का का दावा बनता है, लेकिन वे जल जीवन मिशन के कथित घोटाले में फंसे दिख रहे हैं। ऐसे में उनका नाम आने की संभावना नहीं बताई जा रही। उनके अलावा पांचवें क्रम पर राजेश्वर सिंह हैं जिनका अगले साल जुलाई में रिटायरमेंट है। दूसरे अधिकारी सुधांश पंत हैं जो इस समय दिल्ली में प्रतिनियुक्ति पर चल रहे हैं। इनमें से किसी एक अधिकारी को मुख्य सचिव पद पर नियुक्त किया जा सकता है।
वित्त सचिव का बदलना भी तय
मुख्य सचिव के साथ ही वित्त सचिव का बदलना भी तय है। इस पद पर अभी अखिल अरोड़ा हैं, लेकिन उनके खिलाफ एसीबी ने सरकार से जांच की अनुमति मांग रखी है और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग में हुई कथित अनियमिताओं में उनका नाम सामने आ रहा है। ऐसे में उनका बदलना तय है। उनकी जगह पर 3 अधिकारियों के नाम प्रमुख तौर पर लिए जा रहे हैं। इनमें शिखर अग्रवाल, प्रवीण गुप्ता और रजत मिश्रा का नाम प्रमुख तौर पर सामने आ रहा है। इनमें प्रवीण गुप्ता अभी मुख्य निर्वाचन अधिकारी के रूप में कार्य कर रहे हैं और उनका मुख्य धारा में लौटना लगभग तय है। वहीं रजत कुमार मिश्रा अभी दिल्ली में प्रतिनियुक्ति पर हैं और वे भी राजस्थान लौट सकते हैं।
पुलिस महानिदेशक को लेकर असमंजस
आमतौर पर सरकार बदलने के साथ ही मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक दोनों में ही बदलाव होता है, लेकिन पुलिस महानिदेशक को लेकर राजस्थान में कुछ असमंजस की स्थिति है। मौजूदा पुलिस महानिदेशक उमेश मिश्रा का कार्यकाल अभी मई 2024 तक है। वे उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि सरकार उन्हें पद पर बनाए रख सकती है, हालांकि बीजेपी ने चुनाव में कानून व्यवस्था को बड़ा मुद्दा बना रखा था, इसलिए बदलाव होता है या नहीं ये देखना दिलचस्प रहेगा। यदि उन्हें बदल जाता है तो 2 नाम प्रमुख रूप से बताए जा रहे हैं। इनमें एक नाम नीना सिंह का है जो जुलाई 2024 में रिटायर होंगी। इनके अलावा एक नाम राजीव शर्मा का है जो मार्च 2026 में रिटायर होंगे।
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मुख्यमंत्री सचिवालय में सबसे पहला बदलाव
राजस्थान के नए मुख्यमंत्री 15 दिसंबर को शपथ लेंगे और सबसे पहले बदलाव मुख्यमंत्री सचिवालय में होगा। अशोक गहलोत के प्रमुख सचिव के रूप में काम कर रहे कुलदीप राका और सचिव के रूप में काम कर रही आरती डोगरा का नाम पहली सूची में आएगा, हालांकि उनकी जगह कौन लेगा इसे लेकर अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं है क्योंकि मुख्यमंत्री पद को लेकर जिस तरह का असमंजस चल रहा था, उससे अधिकारी भी एकदम चुप थे और आमतौर पर प्रशासनिक अधिकारी संभावित नेताओं से संपर्क कर लेते हैं, लेकिन भजनलाल शर्मा का नाम संभावितों की सूची में भी बहुत कम संभावना वाले नेताओं में था। इसलिए उनसे किसी अधिकारी ने संपर्क भी नहीं किया था। यही कारण है कि अब उनके सचिवालय में उनके प्रमुख सचिव के रूप में कौन आएगा, इसे लेकर भी बहुत असमंजस बना हुआ है।