अरुण तिवारी, BHOPAL. नरेंद्र सिंह तोमर के विधायक बनने के बाद उनकी लोकसभा सीट मुरैना खाली हो गई है। इस सीट पर अब दिग्गजों की नजर है। मुरैना लोकसभा सीट आरक्षित नहीं है इसलिए ये सीट उन नेताओं के लिए हॉट सीट बनी हुई है जो अपने राजनीतिक पुनर्वास की बाट जोह रहे हैं।
राममंदिर की लहर में मोदी नाम जीत की गारंटी
पूर्व गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा विधानसभा चुनाव हार चुके हैं इसलिए उनको अपना राजनीतिक प्रभुत्व बनाए रखने के लिए एक पद की दरकार है। मुरैना उनके लिए मुफीद साबित हो सकती है इसलिए वे यहां के सबसे बड़े दावेदार माने जा रहे हैं। दूसरा नाम अनूप मिश्रा का है जो अपना राजनीतिक वजूद बचाने के लिए यहां से फिर सांसद बनना चाहते हैं। वहीं ठाकुर नेताओं में जयभान सिंह पवैया का नाम भी यहां से उम्मीदवारी के लिए चर्चाओं में है। चूंकि इस बार राममंदिर की लहर है और बीजेपी में मोदी नाम जीत की गारंटी के तौर पर लिया जाता है इसलिए नेता अपनी जीत सुनिश्चित मानकर चल रहे हैं।
2019 में मुरैना सीट से बीजेपी के नरेंद्र सिंह तोमर को मिली थी जीत
मध्य प्रदेश के मुरैना लोकसभा सीट पर बीजेपी को जीत मिली है। मुरैना से बीजेपी के नरेंद्र सिंह तोमर ने जीत हासिल की है। उन्होंने कांग्रेस के रामनिवास रावत को पराजित किया है। लोकसभा चुनाव के छठवें चरण में 12 मई को मुरैना-श्योपुर लोकसभा सीट पर 61.97 प्रतिशत मतदान हुआ है। मुरैना-श्योपुर लोकसभा सीट 2004 तक अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रही थी। इस दौरान इस सीट पर बीजेपी के अशोक अर्गल व उनके पिता छविराम अर्गल का कब्जा सर्वाधिक बार कब्जा रहा था। छविराम अर्गल इस सीट पर दो बार जीते। इसके बाद अशोक अर्गल 4 बार सांसद बने।
मुरैना लोकसभा में विधानसभा की 8 सीटें आती हैं
माधवपुर, विजयपुर, सबलगढ़, जौरा, सुमावली, मुरैना, दिमनी, अंबाह। मुरैना लोकसभा सीट पर 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के नेता अनूप मिश्रा ने जीत हासिल की थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में अनूप मिश्रा ने सपा के दिग्गज नेता वृंदावन सिंह सिकरवार को 1 लाख 32 हजार 981 वोटों से हराया था। इस सीट पर बीजेपी 1989 में सबसे पहले जीती थी। इसके बाद 1996 के बाद से यह सीट बीजेपी के ही पास है। बीजेपी पिछले 6 चुनाव से यहां से जीत रही है।
विधानसभा चुनाव 2023 में मुरैना से दिनेश गुर्जर जीते
चंबल की मुरैना विधानसभा सीट पर कांग्रेस के दिनेश गुर्जर जीते हैं। उन्होंने रघुराज सिंह कंसाना को 19871 वोटों से हराया। दिनेश गुर्जर को 73695 वोट मिले, जबकि रघुराज सिंह कंसाना को 53824 वोट मिले। दिनेश गुर्जर को कांग्रेस ने दूसरी बार विधानसभा के मैदान में उतारा था। मुरैना विधानसभा क्षेत्र के जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां गुर्जर वोटर्स की संख्या ज्यादा है, हालांकि, यहां क्षत्रिय, ब्राह्मण और अनुसूचित जाति के मतदाता भी निर्णायक भूमिका में हैं।
ये बने थे पहले सांसद
मुरैना-श्योपुर संसदीय क्षेत्र बनने के बाद 1967 में पहली बार चुनाव हुआ था। इस चुनाव में पहली बार आत्मदास पहले सांसद बने। इसके बाद 1971 में जनसंघ के हुकुमचंद कछवाह, 1977 में भारतीय लोकदल से छविराम अर्गल, 1980 में कांग्रेस के बाबूलाल सोलंकी, 1984 में कांग्रेस के ही कम्मोदीलाल जाटव, 1989 में भाजपा के छविराम अर्गल, 1991 में कांग्रेस के बारेलाल जाटव सांसद बने। इसके बाद 1996, 98, 99 व 2004 में भाजपा के अशोक अर्गल ही चुनाव जीते। 2009 में यह सीट आरक्षण से बाहर हुई तो भाजपा के नरेन्द्र सिंह तोमर व 2014 में भाजपा के ही अनूप मिश्रा सांसद बने।