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आईएएस बनना लाखों युवाओं का सपना होता है। लेकिन इस सपने को साकार करना आसान नहीं होता। अक्सर तीन-चार प्रयासों के बाद लोग निराश होकर हार मान लेते हैं। लेकिन अंजू अरुण कुमार की कहानी उन सबके लिए प्रेरणा है, जिन्होंने असफलता से हार नहीं मानी। उन्होंने छठे प्रयास में आईएएस बनकर यह साबित किया कि मेहनत, आत्मविश्वास और धैर्य के साथ कोई भी मंज़िल पाई जा सकती है।
कॉलेज में दोस्तों से प्रेरणा पाकर शुरू की तैयारी
आईएएस अंजू अरुण कुमार मूल रूप से केरल के कोल्लम की रहने वाली हैं। उनके पिता रवि सिंह सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता हैं और माता गृहिणी। अंजू ने स्कूली शिक्षा बहरीन से प्राप्त की। उसके बाद एनआईटी कालीकट से 2011 में उन्होंने कंप्यूटर साइंस में बीटेक की डिग्री प्राप्त की। कॉलेज के दिनों में ही दोस्तों से उन्हें आईएएस बनने की प्रेरणा मिली।
IAAS, IRS और फिर IAS
अंजू का पहले प्रयास में ही इंडियन ऑडिट एंड अकाउंट सर्विस (IAAS) में चयन हुआ। इसके बाद तीसरे प्रयास में भारतीय राजस्व सेवा (IRS) में चयन हुआ। लेकिन उनका सपना आईएएस बनना था। चौथे और पाँचवे प्रयास में असफलता हाथ लगी, पर उन्होंने हार नहीं मानी। अंततः छठे प्रयास में 90वीं रैंक लाकर उन्होंने अपने सपने को पूरा किया।
संघर्ष और दृढ़ निश्चय
अंजू की यात्रा आसान नहीं रही। शादी के बाद भी उन्होंने अपने सपने को जीवित रखा और लगातार मेहनत जारी रखी। उनकी सबसे बड़ी प्रेरणा उनके पति अरुण कुमार विश्वकर्मा रहे, जो मध्य प्रदेश कैडर के 2014 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। वर्तमान में वे रायसेन जिले के कलेक्टर हैं। अंजू कहती हैं कि माता-पिता और ससुरालवालों ने उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया और यही वजह थी कि वो अपनी मंजिल से कभी पीछे नहीं हटी।
स्मार्ट वर्क और क्वालिटी टाइम पर जोर
अंजू का मानना है कि सफलता के लिए स्मार्ट वर्क और लगातार प्रयास बेहद जरूरी हैं। नौकरी के साथ वे रोज़ाना 5-6 घंटे पढ़ाई के लिए निकालती थीं। अख़बार पढ़ना और करंट अफेयर्स पर ध्यान देना उनकी तैयारी का अहम हिस्सा था। वे कहती हैं पढ़ाई के घंटों पर ज्यादा ध्यान देने की जगह यह कोशिश करे कि जितना टाइम पढ़ें वो क्वालिटी टाइम साबित हो।
असफलता से लें सीख
वो मानती हैं कि असफलताओं से घबराना नहीं चाहिए। हर प्रयास आपको और मजबूत बनाता है। उनका कहना है कि निबंध और वैकल्पिक विषयों की अनदेखी न करें। उत्तर लेखन और टेस्ट सीरीज़ को गंभीरता से लें और बार-बार रिवीजन करें। उनका संदेश है – सिलेबस देखकर डरें नहीं, बस एक-एक कदम बढ़ते रहें और आत्मविश्वास बनाए रखें।
कोचिंग का सीमित रोल
अंजू का मानना है कि कोचिंग संस्थान तैयारी की केवल दिशा दिखाते हैं। वे पूरा सिलेबस कवर नहीं करते। कई बार छात्रों के उत्तर एक जैसे हो जाते हैं। लेकिन टेस्ट सीरीज़ की वे कड़ी सिफारिश करती हैं। उनके अनुसार, यह न केवल प्रश्न बैंक उपलब्ध कराती है बल्कि लेखन कौशल और प्रस्तुति में भी सुधार करती है।
शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला सशक्तिकरण पर फोकस
वो कहती हैं कि एक प्रशासनिक अधिकारी के रूप में उनकी प्राथमिकताएं शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला सशक्तिकरण हैं। वो मानती हैं कि एक स्वस्थ व्यक्ति ही शिक्षा पर ध्यान दे सकता है और शिक्षा से रोजगार व परिवार का भरण-पोषण संभव होता है। खासकर यदि महिला शिक्षित है, तो वह पूरे परिवार को बेहतर भविष्य की ओर ले जा सकती है। यही चक्र समाज और फिर राष्ट्र की प्रगति में योगदान देता है।
संगीत और डांस से मिलती है ऊर्जा
अंजू अरुण का मानना है कि हॉबीज इंसान को संतुलित बनाए रखती हैं। उन्हें डांसिंग और इंस्ट्रुमेंटल म्यूजिक का शौक है। संगीत उन्हें तनाव से दूर रखता है और पढ़ाई व प्रशासनिक कार्यों पर बेहतर फोकस करने में मदद करता है।
करियर एक नज़र
नाम: अंजू अरुण
जन्म: 23-12-1988
जन्मस्थान: केरल
एजुकेशन: बी टेक
बैच: 2017
पदस्थापना
अंजू अरुण वर्तमान में भोपाल स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीएससीडीसीएल) की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) के पद पर कार्यरत हैं। साथ ही उनके पास भोपाल नगर निगम के अतिरिक्त आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार भी है। इसके पहले वे ग्वालियर में अपर कलेक्टर, सीहोर में असिस्टेंट कलेक्टर और शहापुरा एसडीएम भी रह चुकी हैं।
सोशल मीडिया अकाउंट: IAS अंजू अरुण
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देखें IAS अंजू अरुण कुमार का सर्विस रिकॉर्ड: Updated October 5
अंजू अरुण की मेहनत और लगन हर उस अभ्यर्थी के लिए प्रेरणा है। उनकी यात्रा यह बताती है कि कठिनाइयों और असफलताओं के बावजूद यदि व्यक्ति अपने सपनों के प्रति समर्पित रहे और लगातार प्रयास करता रहे, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।
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