IAS रवींद्र कुमार ने दो बार असफल होने के बाद याद रखी पिता की सीख, तीसरी बार में किया कमाल

IAS रवींद्र चौधरी की संघर्षपूर्ण कहानी, जिसमें परिवार की प्रेरणा और मेहनत ने उन्हें प्रशासनिक सेवा तक पहुंचाया। पहले वे राज्य सेवा परीक्षा मं सफलता हासिल करते हैं फिर उन्हें IAS का अवॉर्ड मिलता है।

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rohit sahu  THUMB
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द तंत्र: बिहार के सहरसा में जहां नदियां अपनी अनगिनत कहानियां बुनती हैं, वहां 3 नवंबर 1966 को एक बालक ने जन्म लिया, नाम रखा गया रवींद्र कुमार चौधरी। नदी की लहरें, जो कभी शांत तो कभी उफनती थीं, मानो रवींद्र को बचपन से ही सिखा रही थीं कि लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। 

ये पंक्तियां रवींद्र के लिए महज शब्द नहीं थीं, ये उनके जीवन की धुन बन गईं, जो उन्हें तूफानों से पार ले गई और एक ऐसे IAS अधिकारी के रूप में स्थापित किया, जिनकी कहानी आज लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। रवींद्र का जन्म ऐसे परिवार में हुआ, जहां महत्वाकांक्षा सुबह के सूरज की तरह रोज उगती थी। उनके पिता सब-पोस्टमास्टर रहे। वे अपने बेटे के लिए दीपस्तंभ की तरह रहे।

चौधरी परिवार में हर कोने से प्रशासनिक सेवाओं की गूंज सुनाई देती थी... पिता, चाचा, ताऊ, भाई, सभी सरकारी सेवाओं में थे। घर की हर बातचीत में अफसर शब्द गूंजता, मानो ये कोई मंत्र हो। रवींद्र का घर सिर्फ ईंट-पत्थर का ढांचा नहीं था, ये ऐसी पाठशाला थी, जहां शिक्षा और संस्कारों की नींव डाली जाती थी। कहते हैं, किसी इमारत की मजबूती उसकी बुनियाद से जानी जाती है।

ठीक वैसे ही, रवींद्र के व्यक्तित्व की नींव उनके घर के सकारात्मक और शिक्षा से भरे माहौल में पड़ी। किताबें, चर्चाएं और ज्ञान की बातें ये सब रवींद्र के बचपन का हिस्सा थे। उनके पिता समय-समय पर उनसे कहते, बेटा, लक्ष्य से कभी न भटकना, मुश्किलें आएंगी, पर हिम्मत मत हारना। 

Ias ravindra kumar chaudary

घर के विचारों ने निखारा व्यक्तित्व 

सपना का पहिया आगे बढ़ा। रवींद्र ने स्कूलिंग करने के बाद पहले पटना, फिर दिल्ली में हायर एजुकेशन किया, लेकिन उनका मन तो प्रशासनिक सेवाओं में रम गया था। घर में सरकारी नौकरी का ऐसा जुनून था कि हर व्यक्ति की जुबान पर अफसर शब्द 24 घंटे चढ़ा रहता था। रवींद्र बताते हैं कि उनके घर में जब भी कोई बैठक होती, हर व्यक्ति अपने तर्क और विचारों के साथ तैयार रहता। इन चर्चाओं ने न सिर्फ उनकी सोच को निखारा, बल्कि उन्हें प्रशासनिक सेवाओं की तैयारी के लिए नई दृष्टि भी दी। 

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और फिर बिहार से आ गए भोपाल 

1995-96 में रवींद्र मध्यप्रदेश आ गए और प्रशासनिक सेवाओं की तैयारी में जुट गए। लेकिन कहते हैं न, मुंह तक आया निवाला भी कभी-कभी छूट जाता है। रवींद्र के साथ भी ऐसा ही हुआ। दो बार सिविल सेवा परीक्षा में असफल होने के बाद उनका मन टूटने लगा। निराशा के बादल इतने घने हो गए कि एक पल को लगा, सब छोड़कर सहरसा लौट जाएं।

लेकिन तभी उनके पिता की सीख उनके कानों में गूंजी। इस सीख ने रवींद्र में नई जान फूंकी। उन्होंने हार नहीं मानी और तीसरी बार पूरे जोश के साथ तैयारी में जुट गए। इस बार मेहनत रंग लाई। रवींद्र ने न सिर्फ परीक्षा पास की, बल्कि राज्य प्रशासनिक सेवा में छठी रैंक हासिल कर दिखाया कि कोशिश करने वालों की हार नहीं होती। उनकी मेहनत ने 2018 में एक और मुकाम छुआ, जब उन्हें IAS का अवॉर्ड मिला।

Ias ravindra kumar chaudary shivpuri collector

संगीत और किताबों का साथी

रवींद्र सिर्फ मेहनती अधिकारी ही नहीं, बल्कि संवेदनशील इंसान भी हैं। किताबों के साथ-साथ उन्हें संगीत से गहरा लगाव है। जब वे थकान भरे दिन के बाद घर लौटते, तो संगीत उन्हें सुकून देता है। चाहे शास्त्रीय संगीत हो या भक्ति भजनों की मधुर धुन, रवींद्र की दुनिया में संगीत ऐसा साथी है, जो उनकी भावनाओं को शब्द देता है।

रवींद्र का मानना है कि बच्चे किसी देश का भविष्य हैं। अगर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो, तो देश का भविष्य अंधेरे में डूब जाएगा। इसी सोच के साथ उन्होंने मैदानी पदस्थापना के दौरान सरकारी स्कूलों का निरीक्षण शुरू किया। एक बार निरीक्षण के दौरान उन्हें पता चला कि कई स्कूलों में अतिथि शिक्षक अनुपस्थित थे। पूछताछ में सामने आया कि प्राचार्य की लापरवाही इसकी वजह थी। रवींद्र ने तुरंत कार्रवाई की और प्राचार्य को निलंबित कर दिया।

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उनकी कार्यशैली में सख्ती और कर्तव्यनिष्ठा का संगम है। वे न सिर्फ खुद अपने काम के प्रति ईमानदार हैं, बल्कि अपने सहकर्मियों से भी यही उम्मीद रखते हैं। एक बार जब उन्हें पता चला कि 100 कर्मचारियों और अधिकारियों ने सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं और अन्य कल्याणकारी योजनाओं को जनता तक पहुंचाने में लापरवाही बरती, तो उन्होंने बिना देर किए सभी के खिलाफ कार्रवाई की।

इतना ही नहीं, रवींद्र ने अपनी तहसीलों के तीन तहसीलदारों और एक सीएमओ को प्रकरणों का समय पर निराकरण न करने के लिए नोटिस भेजा। चाहे शिक्षा हो या आम जनता की समस्याएं, रवींद्र किसी भी क्षेत्र में लापरवाही बर्दाश्त नहीं करते। रवींद्र वोकल फॉर लोकल के समर्थक हैं। उनका मानना है कि स्थानीय उत्पादों को प्रोत्साहन देने से न सिर्फ जनभागीदारी बढ़ती है, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा होते हैं। 

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कॅरियर एक नजर 

नाम: रवींद्र कुमार चौधरी 
जन्म दिनांक: 03-11-1966
जन्म स्थान: सहरसा, बिहार 
एजुकेशन: M.A. (Sanskrit)
बैच: SCS; 2011

पदस्थापना 

19 मई 2025 की स्थिति में आईएएस रवींद्र कुमार चौधरी ​शिवपुरी कलेक्टर हैं। इसके पहले वे सीधी कलेक्टर रहे हैं। उन्होंने इंदौर में अपर आयुक्त वाणिज्यिक कर, भोपाल में प्रबंध संचालक मध्यप्रदेश रोजगार एवं प्रशिक्षण परिषद, आदिम जाति क्षेत्रीय विकास योजनाएं, अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम और सीधी एसडीएम के रूप में भी अपनी सेवाएं दी हैं।

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 मध्य प्रदेश | आईएएस रवीन्द्र कुमार चौधरी

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