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आज की दास्तां ऐसे आईएएस अधिकारी की है, जिनकी काम करने की शैली अलहदा है। व्यवहार सौम्य, सहज, सरल है। उनकी जितनी पकड़ हिन्दी और मराठी पर है, उतने ही बेहतर ढंग से वे अंग्रेजी बोल लेते हैं। अर्थशास्त्र का उन्हें अच्छा खासा ज्ञान है। उन्होंने वकालात की किताबें भी खूब पलटी हैं। वे उन चुनिंदा अधिकारियों में हैं, जिनकी पहचान पद से पहले विचारों और व्यवहार से बनती है।
जी हां, हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश कैडर के आईएएस अभय अरविंद बेडेकर की। 1971 में भोपाल के मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे अभय की कहानी सादगी, मेहनत और शिक्षा के प्रति समर्पण की है। मूलत: महाराष्ट्र से आने वाले उनके माता-पिता ने उन्हें और उनकी दो बहनों को अनुशासन एवं कर्तव्यनिष्ठा के मूल्य सिखाए। भोपाल की गलियों में खेलते हुए अभय ने सपने देखे, जो केवल किताबों तक सीमित नहीं थे, बल्कि उनका दायरा समाज सेवा तक था।
उन्होंने भोपाल के एमवीएम से कॉलेज की शिक्षा पूरी की। यहां से उनकी बौद्धिक यात्रा ने गति पकड़ी, जो उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में ले गई। अभय ने बीएससी, एमए, एमबीए, एमफिल, एलएलबी जैसी डिग्रियां हासिल कीं। उनके एकेडमिक विजन का ही परिणाम है कि उन्हें 1995 में राष्ट्रीय छात्रवृत्ति और जूनियर रिसर्च फेलोशिप यानी JRF मिली। अर्थशास्त्र के सिद्धांतों में गहरी रुचि ने उनके विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण को और निखारा।
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एक प्रोफेसर से प्रशासक बनने की कहानी
अभय ने करियर की शुरुआत शिक्षक के रूप में की। यूं तो उन्होंने विज्ञान से ग्रेज्यूएशन किया है, लेकिन भोपाल स्कूल ऑफ सोशल साइंस में करीब चार वर्षों तक अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में काम किया। यहां उन्होंने छात्रों को पढ़ाया और खुद को भी निखारा। इन सबके बावजूद उनके मन में समाज के लिए कुछ बड़ा करने की ललक थी। उन्होंने और मेहनत की। इसके लिए उन्होंने प्रशासनिक सेवा की राह अपनाई। आखिरकार 1999 में उनका स्टेट सर्विस में सिलेक्शन हो गया। यहीं से एक प्रशासक के तौर पर उनका कॅरियर शुरू हुआ। 2022 में उन्हें आईएएस अवॉर्ड हुआ और 2014 में उन्हें बैच अलॉट हुआ।
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व्यक्तिगत जीवन: समृद्ध और संतुलित परिवार
अभय का व्यक्तिगत जीवन उनकी पेशेवर उपलब्धियों जितना ही प्रेरणादायक है। उनकी पत्नी, मीनल सफल उद्यमी हैं। उन्होंने अपने व्यावसायिक कौशल से परिवार को तो समृद्ध किया ही, साथ ही अभय के प्रशासनिक जीवन में भी मजबूत सहारा बनीं। उनका बेटा मिहिर पेशे से वकील है। वे अभी इंदौर हाईकोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे हैं। अभय का अपने वकील बेटे से जुड़ा रोचक किस्सा है। मिहिर जब लॉ की पढ़ाई कर रहे थे, तभी अभय ने उनसे कहा कि मैं भी लॉ करना चाहता हूं। बेटे ने मुस्कुराकर कहा कि बाबा अब आपसे नहीं हो पाएगा। इसे लेकर दोनों में कॉम्पिटिशन हो गया। नतीजा यह रहा कि अभय ने बेटे से पहले ही लॉ की पढ़ाई पूरी कर ली।
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कोविड-19: जब लोगों ने कहा ये ऑक्सीजन मैन हैं!
अभय ने इंदौर में खाद्य सुरक्षा और आपूर्ति विभाग के नोडल अधिकारी के रूप में खूब काम किया। उनके नेतृत्व में इंदौर ने देश में पहली बार आयोजित किए गए ईट राइट चैलेंज में दबदबा बनाया। यह उपलब्धि अभय की प्रशासनिक कुशलता को दर्शाती है।
कोविड-19 महामारी के दौरान अभय ने इंदौर में अतिरिक्त कलेक्टर के रूप में तीन वर्ष काम किया। इस दौरान उन्होंने 40 लाख से अधिक की आबादी वाले इस शहर में ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए जी तोड़ मेहनत की। उनकी इस भूमिका ने उन्हें इंदौर की जनता के बीच "ऑक्सीजन मैन" के रूप में प्रसिद्धि दिलाई। यह उपलब्धि उनकी संवेदनशीलता को दर्शाती।
प्रोफाइल पर एक नजर
नाम: अभय अरविंद बेडेकर
जन्म दिनांक: 19-05-1971
जन्म स्थान: भोपाल, मध्यप्रदेश
एजुकेशन: MA (Economic) Mphil
बैच: SCS; 2014 (मध्यप्रदेश)
पदस्थापना
13 मई 2025 की स्थिति में अभय बेडेकर आलीराजपुर जिले के कलेक्टर के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उन्हें 30 वर्षों का अनुभव है, जिसमें से 26 वर्षों का अनुभव प्रशासनिक सेवाओं में है। वे कई जगह एसडीएम, जीएम सिविल सप्लाई कॉरपोरेशन, CAO रेरा मध्यप्रदेश, एडिशनल डायरेक्टर प्रशासन अकादमी रह चुके हैं।
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