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भारत की 21वीं सदी में जब बेटियों को लेकर अब भी कुछ लोग ये सोचते हैं कि आखिर इन्हें पढ़ाकर मिलेगा क्या? तब वहीं कुछ बेटियां ऐसे सवालों का जवाब अपने काम, साहस और ईमानदारी से दे रही हैं। ऐसी ही IAS सोनिया मीना। उनकी कहानी सिर्फ एक अफसर की नहीं, बल्कि मेहनतकश सोच की है। रेत माफिया उनसे खौफ खाते हैं।
14 मई 1989 को राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में जन्मीं सोनिया मीना वरिष्ठ IAS टीकाराम मीना की बेटी हैं। वे केरल कैडर के IAS रह चुके हैं। यह कहानी एक अफसर की बेटी तक सीमित नहीं है, क्योंकि सोनिया ने खुद साबित किया कि वो अपने पिता के पदचिन्हों पर चलने के लिए नहीं, बल्कि खुद की पहचान रचने के लिए बनी हैं।
पहले ही प्रयास में पाई 36वीं रैंक
सोनिया ने राजस्थान से स्कूलिंग की। फिर लेडी श्रीराम कॉलेज से बीए किया। JNU से पॉलीटिकल साइंस में एमए की पढ़ाई पूरी की और वहीं से UPSC की तैयारी की शुरुआत की। साल 2012 में जब पहली बार परीक्षा दी तो देश की सबसे कठिन मानी जाने वाली परीक्षा को पहले ही प्रयास में पास करते हुए 36वीं रैंक हासिल की। ये बात यूं ही नहीं कह दी जाती कि बेटियों को मौका दो, वो खुद मिसाल बन जाती हैं। सोनिया ने यह साबित किया है।
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जब रेत माफियाओं से मिली धमकी
जनसेवा आसान नहीं होती। खासतौर पर तब जब आप कड़ी कार्रवाई करने में पीछे न हटें। मैदानी पदस्थापना के दौरान जब उन्होंने रेत खनन के खिलाफ सख्ती दिखाई तो उन्हें जान से मारने की धमकी मिली, पर सोनिया झुकी नहीं। उन्होंने न सिर्फ माफियाओं को बेनकाब किया, बल्कि सख्त मैसेज दिया कि सिस्टम में अब डरने वाले अफसर नहीं, डटकर खड़े होने वाले अफसर हैं।
बच्चों की टीचर भी हैं सोनिया
आईएएस सोनिया मीना को बच्चों से विशेष लगाव है। वो स्कूलों के नियमित निरीक्षण के साथ सोशल मीडिया पर भी बच्चों को प्रेरित करती रहती हैं। वह कहती हैं, शिक्षा ही वो जरिया है जो बच्चों को आत्मनिर्भर, अनुशासित और आत्मविश्वासी बनाता है। उनके अनुसार हर बच्चा अपने अंदर एक अफसर, एक वैज्ञानिक, एक कलाकार छिपाए बैठा है, जरूरत है तो बस उसे मौका देने की।
फार्म-टू-फैब्रिक से महिलाएं बनीं आत्मनिर्भर
सोनिया मीना की सोच प्रशासनिक कर्तव्यों तक सीमित नहीं, वो स्थानीय स्तर पर विकास के लिए अभिनव योजनाओं की शुरुआत करने के लिए भी जानी जाती हैं। नर्मदापुरम में फार्म टू फैब्रिक परियोजना के जरिए उन्होंने रेशम उत्पादन से लेकर कपड़े के निर्माण तक की पूरी प्रोसेस को किसानों और महिलाओं से जोड़ दिया। इसका नतीजा ये है कि आज कई महिलाएं आत्मनिर्भर बनी हैं।
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कैदियों के जीवन में लाई बदलाव की रौशनी
सोनिया मीना की खासियत है कि वे समाज के उस तबके को भी नहीं भूलतीं, जो भुला दिया गया होता है। जेलों में 1200 से अधिक कैदियों को ट्रेनिंग दिलाना, महिला कैदियों के लिए सेल्फ हेल्प ग्रुप बनाना और उन्हें मोमबत्ती, पापड़, कंप्यूटर आदि सिखाना...यह सोनिया मीना की संवेदनशीलता को बताते हैं।
हाईकोर्ट से मिली थी फटकार
आईएएस सोनिया मीना को एक चूक के चलते हाईकोर्ट ने सख्त फटकार लगाई थी। दरअसल, एक मामले में उन्हें कोर्ट में उपस्थित होना था, लेकिन उन्होंने एडीएम को भेज दिया था। साथ ही हाईकोर्ट जज को चिट्ठी लिख दी थी। सुनवाई के दौरान कोर्टरूम में एडीएम उस चिट्ठी को लहरा रहे थे। यह देखकर हाईकोर्ट जज भड़क गए और फटकार लगा दी। साथ ही सरकार को कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे।
प्रोफाइल पर एक नजर
नाम: सोनिया मीना
जन्म दिनांक: 14-05-1989
जन्म स्थान: सवाई माधोपुर जिला
एजुकेशन: B.A. (Pol.Sc), M.A. (Pol.Sc.)
बैच: RR; 2013 (मध्यप्रदेश)
पदस्थापना
30 अप्रैल 2025 की स्थिति में सोनिया मीना नर्मदापुरम (होशंगाबाद) की कलेक्टर हैं। इससे पहले उन्होंने सतना में प्रोबेशनरी अफसर, छतरपुर के राजनगर में SDM, उमरिया में एडिशनल कलेक्टर के रूप में काम किया। वे अनूपपुर कलेक्टर भी रहीं। उन्हें मऊगंज कलेक्टर बनाया गया था, लेकिन चार घंटे बाद ही सरकार ने आदेश बदल दिया था। सोनिया मीना आदिम जाति विकास योजना से लेकर पर्यटन विभाग और रोजगार परिषद जैसे महत्वपूर्ण विभागों में भी रहीं हैं।
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