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आज की कहानी है सपनों का पीछा करने वाले एक जुझारू और मेहनती आईएएस अधिकारी संदीप कुमार माकिन की। वे मध्यप्रदेश कैडर के आईएएस हैं। अफसर बनने के लिए वे घर छोड़कर भोपाल आ गए थे। राजा भोज की नगरी में मेहनत की और मुकाम पाया।
चलिए अब थोड़े पीछे चलते हैं। यह दास्तां शुरू होती है 1965 से। कानपुर की तंग गलियों में एक मध्यमवर्गीय परिवार के घर में 21 मई 1965 को एक बच्चे ने जन्म लिया। नाम रखा गया संदीप कुमार माकिन। पिता का सपना था कि बेटा बड़ा होकर प्रशासनिक अफसर बने। यह सपना सिर्फ इच्छा नहीं, बल्कि मिशन था। संदीप ने इसे अपने दिल में बसा लिया और पढ़ाई में अव्वल रहकर हर कदम पर मेहनत की।
बीएससी और एमए की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने कानपुर को अलविदा कहा और भोपाल को अपना नया ठिकाना बनाया। झीलों की इस नगरी ने संदीप को बहुत कुछ सिखाया, बताया और समझाया। यहीं संदीप ने प्रशासनिक सेवाओं की तैयारी की। उनका संघर्ष 2010 में रंग लाया, जब वे राज्य प्रशासनिक सेवा में चुने गए। 2017 में उन्हें आईएएस अवॉर्ड हुआ।
संदीप का सफर सिर्फ डिग्रियों और पद तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने अपने काम से लोगों के दिलों में जगह बनाई। मैदानी पदस्थापना के दौरान उनकी लोकप्रियता ऐसी है कि जनता के बीच उनका नाम चलता है। निदा फाजली का शेर उनकी जिंदगी पर एकदम सटीक बैठता है-
कोशिश भी कर, उम्मीद भी रख, रास्ता भी चुन,
फिर इस के बाद थोड़ा मुकद्दर तलाश कर।
संदीप कुमार माकिन उन गिने-चुने अधिकारियों में से हैं, जिनका नाम सोशल मीडिया पर नहीं, बल्कि लोगों के दिलों में वायरल है। उनकी छवि ने उन्हें ग्वालियर नगर निगम में दो बार पदस्थापना दिलाई। जनसुनवाई में वे हर पीड़ित की बात ध्यान से सुनते और समाधान निकालते। अगर कोई अधिकारी लापरवाही बरतता है तो संदीप उसे कड़ाई से समझाते हैं। सीएम हेल्पलाइन की शिकायतों का समाधान न होने पर उन्होंने अधिकारियों की बैठक बुलाई और लापरवाही पर फटकार लगाई। उनकी यह कार्यशैली उन्हें जनता और उच्च अधिकारियों का चहेता बनाती है।
जब तहसीलदार को कर दिया सस्पेंड
यही नहीं, दतिया जिले के गोविंदपुर गांव में आदिवासी परिवारों के पास जमीन होने के बाद भी वे झुग्गियां बनाकर रहने को मजबूर थे। उन्हें किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल रहा था। आईएएस संदीप कुमार को जब यह बात पता चली तो उन्होंने गांव का दौरा कर पूरी स्थिति समझी और लापरवाही पर तहसीलदार को सस्पेंड कर दिया। यह मामला 105 आदिवासी परिवारों से जुड़ा था। इनकी जमीन पर गांव के दबंगों ने कब्जा कर रखा था। इस तरह कार्रवाई के बाद आदिवासियों को उनकी जमीन मिली और योजनाओं का लाभ भी।
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संगीत और किताबें दिल के करीब
संदीप को किताबें पढ़ने और संगीत सुनने का शौक है। पुराने गीत उनकी आत्मा को सुकून देते हैं। वे कहते हैं, संगीत वह कला है, जो हर दिल को जोड़ती है। व्यस्त जीवन में भी वे समय निकालकर किताबों और संगीत की दुनिया में खो जाते हैं।
पिता होने के नाते संदीप महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा को लेकर संवेदनशील हैं। दतिया के सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेज में उन्होंने पिंक अलार्म की पहल शुरू की है, जिसका मकसद महिलाओं के लिए सुरक्षित माहौल तैयार करना है। यह पहल उनकी संवेदनशीलता और जिम्मेदारी का प्रतीक है।
संदीप बच्चों से बेहद प्यार करते हैं। उनकी सलाह है कि अपने सपनों को पूरा करने के लिए आज से मेहनत शुरू करो। समय का सही उपयोग सीखो, क्योंकि वही तुम्हें तुम्हारे लक्ष्य तक ले जाएगा।
प्रोफाइल पर एक नजर
नाम: संदीप कुमार माकिन
जन्म दिनांक: 21-05-1965
जन्म स्थान: कानपुर, उत्तरप्रदेश
एजुकेशन: B.Sc., M.A
बैच: SCS; 2010 (मध्यप्रदेश)
पदस्थापना
29 मई 2025 की स्थिति में आईएएस संदीप कुमार दतिया कलेक्टर हैं। इससे पहले वे अपर सचिव मध्यप्रदेश शासन, खेल युवा कल्याण विभाग भोपाल, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत दतिया, सीईओ शिवपुरी, ग्वालियर नगर निगम कमिश्नर, भिंड और ग्वालियर एसडीएम के पद पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं।
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