सिस्टम को जमीन से जोड़ने वाले अफसर हैं IAS डॉ. सत्येंद्र सिंह, चार जिलों में संभाली कमान

IAS अफसरों की छवि अक्सर रौबदार होती है, पर डॉ. सत्येंद्र सिंह के अंदर गहराई से भरा संवेदनशील मन भी है। एक दिन एक स्कूल कार्यक्रम में पहुंचे और...

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जहां रहेगा वहीं रोशनी लुटाएगा... 
किसी चराग का अपना मकां नहीं होता...। 

MP News : शायर वसीम बरेलवी की ये पंक्तियां मध्यप्रदेश कैडर के आईएएस डॉ. सत्येंद्र सिंह (IAS Satender Singh) पर फिट बैठती हैं। वे अपने काम से वाकई रौशनी बिखेरते हैं। मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे डॉ.सत्येंद्र सिंह को शुरू से ही पढ़ाई से गहरा लगाव था। फिर उन्होंने चुना एक ऐसा रास्ता जो पूरे सिस्टम की धड़कन को बदल सके। 2009 में वे राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसर बने। फिर उन्हें आईएएस अवॉर्ड हुआ। तब से अब तक वे चार जिलों में अपने काम की इबारत लिख चुके हैं।

उनकी कार्यशैली की सबसे बड़ी पहचान है फील्ड विजिट्स और ऑन द स्पॉट फैसले। बुरहानपुर में हों या शहडोल में, सतना में हों या गुना में, आईएएस सतेन्द्र सिंह ने कभी कुर्सी से शासन नहीं किया। वो मैदान में उतरकर समझते हैं कि फाइल के पीछे कितना दर्द है। गुना में पटवारियों की ढिलाई देखी तो बोले, अब फील्ड से लोकेशन भेजो, ताकि मैं देख सकूं कि कौन कहा है। ये लहजा चौंकाता जरूर है, लेकिन बेहतर सिस्टम के लिए जरूरी भी है।

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बच्चों के साथ अफसर नहीं, बड़ा भाई बन जाते हैं

IAS अफसरों की छवि अक्सर रौबदार होती है, पर डॉ.सत्येंद्र सिंह के अंदर गहराई से भरा संवेदनशील मन भी है। एक दिन एक स्कूल कार्यक्रम में पहुंचे। छात्राओं ने कहा, सर! हम भी आईएएस बनना चाहते हैं। सेल्फी ले सकते हैं? सत्येंद्र सिंह मुस्कुराए, सेल्फी भी ली और फिर जो किया, वो किसी स्क्रिप्ट में नहीं लिखा होता। 
उन्होंने बच्चियों को अपनी सरकारी गाड़ी में बिठाया। वो जो चमचमाती सफेद बत्ती वाली गाड़ी थी, जिसे आम बच्चे दूर से देखने को भी तरसते हैं, उस दिन कुछ बच्चियों का सपना बन गई। गाड़ी से उतरी तो एक बच्ची ने कहा, सर को हमारी उम्र लग जाए। बस, ये है वो रिश्ता जो डॉ. सिंह को आम अफसर से अलग बनाता है।

लापरवाही पर जीरो टॉलरेंस

जहां संवेदनशीलता है, वहीं अनुशासन भी। डॉ. सत्येंद्र सिंह के सामने कोई अधिकारी अगर ढिलाई करता है, तो वह उसे बख्शते नहीं। उनका मानना है कि सरकारी सिस्टम में ढील का मतलब है जनता के हक से खिलवाड़ और ऐसा वह बिल्कुल नहीं होने देते। गौरतलब है कि हर साल सैकड़ों युवा UPSC की तैयारी करते हैं, लेकिन डॉ. सत्येंद्र सिंह जैसा अफसर उन्हें मिसाल देता है कि IAS का मतलब सिर्फ पॉवर नहीं, बल्कि रिस्पॉन्सिबिलिटी भी है। वे स्कूलों में जाते हैं, बच्चों से बात करते हैं, युवाओं से मिलते हैं और एक बात हर बार दोहराते हैं कि संविधान को समझो, सिस्टम को बदलो और खुद को तैयार करो। 

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प्रोफाइल पर करियर एक नजर

 नाम: डॉ.सत्येंद्र सिंह 
जन्म दिनांक: 9 सितंबर 1967
जन्म स्थान: उत्तरप्रदेश 
एजुकेशन: एम.ए. 
बैच: 2009 SCS (मध्यप्रदेश) 

पदस्थापना

 डॉ.सत्येंद्र सिंह 18 अप्रैल 2025 की स्थिति में को-ऑपरेटिव डेयरी फाउंडेशन के प्रबंध संचालक हैं। इससे पहले वे गुना कलेक्टर थे। वहीं, वे कलेक्टर सतना, कलेक्टर बुरहानपुर और कलेक्टर शहडोल रह चुके हैं। इसी के साथ वे अपर आयुक्त नगरीय विकास एवं आवास विभाग, प्रबंध संचालक औद्योगिक औद्योगिक केंद्र विकास निगम, एडिशनल कमिश्नर, मध्यप्रदेश अनुसूचित जनजाति वित्त एवं विकास निगम जैसे महत्वपूर्ण दायित्व संभाल चुके हैं।

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