जनता से सीधा रिश्ता, शिक्षा से गहरा नाता, IAS सोमेश मिश्रा की दास्तां कुछ अलग है...

देशभर में अफसरों से आम लोगों की दूरी अक्सर चर्चा का विषय रहती है, पर सोमेश मिश्रा ने इस दूरी को खत्म कर दिया है। बतौर कलेक्टर उन्होंने अपने ऑफिस के बाहर खास बात लिखवाई।

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भोपाल. हर दौर में कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो अपनी पहचान किसी पद या ओहदे से नहीं, अपने काम से बनाते हैं। आईएएस सोमेश मिश्रा भी ऐसे ही अधिकारी हैं, जिन्होंने अपने व्यवहार, काम और सोच से यह साबित किया है कि आईएएस अधिकारी सिर्फ कुर्सी पर बैठकर फैसले लेने वाले नहीं होते, बल्कि वह जनता के सेवक होते हैं।

आईएएस सोमेश मिश्रा उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से ताल्लुक रखते हैं। सामान्य ब्राह्मण परिवार में जन्मे सोमेश के पिता का सपना था कि उनका बेटा देश की सेवा करे। घर में शिक्षा का माहौल था और पिता की प्रेरणा ने सोमेश के भीतर कुछ बड़ा करने की भावना भर दी। छोटे शहर की सीमाओं में रहकर भी उनके सपनों की उड़ान कभी छोटी नहीं हुई।

शिक्षा के प्रति जुनून, जो बना सफलता की नींव

सोमेश ने अपनी स्कूली शिक्षा गांव से ही पूरी की। फिर बीए किया। इसी बीच ठान लिया कि उन्हें सिविल सेवा में जाना है। यह फैसला आसान नहीं था, पर उन्होंने हार नहीं मानी। कई बार असफलता मिली, मगर हर बार और मजबूत होकर खड़े हुए। आखिरकार साल 2013 में वे भारतीय प्रशासनिक सेवा में चुने गए।

ईमानदारी, वक्त की पाबंदी और काम के प्रति समर्पण

सोमेश मिश्रा को समय की पाबंदी के लिए जाना जाता है। वे मानते हैं कि अधिकारियों के संगठित प्रयासों से ही किसी समाज में बदलाव लाया जा सकता है। उनका कार्यशैली यह दिखाती है कि वे सिर्फ आदेश नहीं देते, बल्कि जमीन पर उतरकर खुद भागीदारी निभाते हैं। स्कूल, अस्पताल, आंगनबाड़ी हर जगह उनका नियमित निरीक्षण यह बताता है कि वे सिस्टम को चलाते नहीं, बल्कि जीते हैं।

साहब से मिलना अब आसान

देशभर में अफसरों से आम लोगों की दूरी अक्सर चर्चा का विषय रहती है, पर सोमेश मिश्रा ने इस दूरी को खत्म कर दिया है। बतौर कलेक्टर उन्होंने अपने ऑफिस के बाहर खास बात लिखवाई। नेमप्लेट पर उनके नाम के साथ मोबाइल नंबर भी लिखा गया है, ताकि जब वे ऑफिस में न हों, तब भी जनता अपनी बात सीधे उन्हें कह सके। यह छोटी सी दिखने वाली पहल, जनता के विश्वास की मिसाल है।

अ से अक्षर अभियान की शुरुआत  

मिश्रा ने मंडला में देखा कि कई ग्रामीण महिलाएं और बुजुर्ग ऐसे हैं, जो पढ़ना तो चाहते थे, पर हालातों ने उन्हें शिक्षा से दूर कर दिया। इसके लिए उन्होंने 'अ से अक्षर अभियान' की शुरुआत की। यह अभियान ऐसे लोगों को फिर से पढ़ाई से जोड़ने की कोशिश है, जो पहले कभी स्कूल नहीं जा पाए। खासकर आदिवासी क्षेत्रों की महिलाएं इस अभियान में हिस्सा ले रही हैं। सोमेश मानते हैं कि शिक्षित महिला पूरा परिवार बदल सकती है और जागरूक ग्रामीण समाज समाज का चेहरा बदल सकता है।

कॅरियर एक नजर

नाम: सोमेश मिश्रा 
जन्म दिनांक: 30 दिसंबर 1986
जन्म स्थान: बलिया, उत्तरप्रदेश 
एजुकेशन: B.A. (List.)
बैच: 2013 (मध्यप्रदेश)

पदस्थापना

आईएएस सोमेश मिश्रा ने प्रशासनिक सेवा में अब तक कई अहम जिम्मेदारियां निभाई हैं। 15 अप्रैल 2025 की स्थिति में वे मंडला जिले के कलेक्टर हैं। झाबुआ में कलेक्टर के तौर पर काम कर चुके हैं। वे रतलाम में जिला पंचायत सीईओ रहे हैं। मध्यप्रदेश सरकार के तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोजगार विभाग में सीईओ रहे। चिकित्सा शिक्षा विभाग में उप सचिव का दायित्व निभाया। आयुष्मान भारत निरामयम में सीईओ का अतिरिक्त कार्यभार भी संभाला। मंडला जिले के नैनपुर में एसडीएम रह चुके हैं।

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