BHOPAL. शौक अगर जुनून बन जाए तो उम्र सिर्फ आंकड़ा रह जाती है। मध्य प्रदेश के रिटायर्ड आईएएस अधिकारी आलोक श्रीवास्तव ने इस बात को न सिर्फ साबित किया है, बल्कि कला के रंगों से इसे जीवंत भी कर दिया है। जिन हाथों में कभी प्रशासन की कमान थी, वही हाथ आज कूची और रंगों से कलाकृतियां बना रहे हैं।
दरअसल, आलोक श्रीवास्तव को IAS की नौकरी के दौरान समय नहीं मिला। फिर रिटायर हुए तो 60 पार की उम्र में अपनी छिपी हुई प्रतिभा को दुनिया के सामने लाने का फैसला लिया। कोरोना काल में जब पूरी दुनिया थमी थी, तब उन्होंने इंटरनेट से पेंटिंग्स की बारीकियां सीखनी शुरू कीं। यूट्यूब पर वीडियो देख-देखकर वॉटर कलर पेंटिंग की दुनिया में कदम रखा और आज उनकी पेंटिंग्स भारत भवन की दीवारों को जीवंत कर रही हैं।
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'संसृति की सर्जना' नामक इस चित्र प्रदर्शनी में कुल 32 पेंटिंग्स लगाई गई हैं, जिनमें मध्यप्रदेश के मांडू, ग्वालियर, ओरछा, कान्हा टाइगर रिजर्व और वन्यजीवन को अद्भुत रूप में उकेरा गया है। इससे पहले दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में भी उनकी चित्र प्रदर्शनी लग चुकी है। आज जब युवा भी अपने शौक और पेशे के बीच सामंजस्य नहीं बिठा पाते, तब रिटायर्ड अधिकारी आलोक श्रीवास्तव का यह सफर बताता है कि जुनून कभी रिटायर नहीं होता।
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मुख्य सचिव ने की सराहना
प्रदर्शनी का उद्घाटन प्रदेश के मुख्य सचिव अनुराग जैन ने किया। उन्होंने कहा, आलोक जी की कला यह बताती है कि हर व्यक्ति में कोई न कोई प्रतिभा छिपी होती है। रिटायरमेंट के बाद उन्होंने जो शुरुआत की है, वह प्रेरणादायक है। इन चित्रों में मध्यप्रदेश की आत्मा बसती है। 'द सूत्र' से खास बातचीत में आलोक श्रीवास्तव ने कहा कि रंग हमें ऊर्जा देते हैं। संयम सिखाते हैं और ये बताते हैं कि अगर एक रंग नहीं, तो दूसरा सही। पेंटिंग मेरे लिए आत्मसंतोष का साधन है। कभी कभार पेंटिंग करता था। वाटर कलर से 60 की उम्र में ही शुरुआत की थी।
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प्रशासनिक व्यस्तता में नहीं मिला समय
आलोक श्रीवास्तव साधारण नाम नहीं है। प्रशासनिक सेवा में करीब चार दशकों तक बड़ी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया। फिर रिटायरमेंट के बाद चित्रकारी को गले लगाया। आलोक श्रीवास्तव बताते हैं, बचपन से पेंटिंग्स का शौक था, लेकिन प्रशासनिक सेवा की व्यस्तता ने कभी समय नहीं दिया। फिर आया रिटायरमेंट और साथ में मिला खुद से मिलने का वक्त और यहीं से मेरी कलाकार के रूप में यात्रा शुरू हुई, जो निरंतर जारी है।
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कौन हैं आलोक श्रीवास्तव
1984 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी आलोक श्रीवास्तव सामान्य परिवार से आते हैं। उन्होंने आईआईटी कानपुर से पढ़ाई की। फिर कड़ी मेहनत करके आईएएस बने। 1993-95 से तक एप्को के कार्यपालन संचालक रहे। फिर महानिदेशक बने। भारत सरकार में सचिव, विधि एवं न्याय मंत्रालय रहे। रिटायर्डमेंट के बाद राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय प्राधिकरण में पदस्थ रहे। उनकी पत्नी विजया श्रीवास्तव भी मध्य प्रदेश कैडर की आईएएस अधिकारी रही हैं। उन्होंने कहा, कोरोना काल के दौरान आलोक को सृजनशीलता के लिए वक्त मिल सका और उन्होंने कई चित्रकारी कीं, जिसका परिणाम आज हम सभी के सामने है।
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