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आईएएस सिद्धार्थ जैन उन चुनिंदा प्रशासनिक अधिकारियों में से हैं, जो बिना किसी दबाव के निष्पक्ष और प्रभावी निर्णय लेने के लिए जाने जाते हैं। वे किसी भी प्रकार के राजनीतिक, सामाजिक या बाहरी दबाव में आए बिना निर्णय लेने की क्षमता रखते हैं। उनका स्पष्ट मानना है कि अगर कोई कार्य नैतिक रूप से सही नहीं है, तो उसे विनम्रता से मना किया जा सकता है।
ऑल इंडिया रैंक 13 प्राप्त कर बने IAS
सिद्धार्थ जैन मूल रूप से उत्तरप्रदेश के फरीदाबाद के रहने वाले हैं। उनके पिता एक चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं और मां एक गृहिणी। आईआईटी रुड़की से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के साथ ही सिविल सर्विसेज (यूपीएससी) की परीक्षा की तैयारी की। 2015 में यूपीएससी में अपने दूसरे प्रयास में ऑल इंडिया रैंक 13 प्राप्त कर भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयनित हुए। वे गणित को वैकल्पिक विषय के रूप में लेकर परीक्षा में शामिल हुए थे। उनके अनुसार इस परीक्षा के लिए कम से कम आठ-दस घंटे की पढ़ाई जरूरी है।
क्या थी पढ़ाई और तैयारी की रणनीति
उन्होंने अपनी तैयारी को प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा के लिए एकीकृत दृष्टिकोण से किया। सिद्धार्थ का मानना है कि नोट्स बनाने की आदत, समय प्रबंधन, विश्लेषणात्मक सोच और आत्म-अनुशासन ही सफलता की कुंजी हैं। वे कहते हैं कि टेस्ट सीरीज और उत्तर लेखन में निरंतरता बनाए रखना बेहद जरूरी है। इंटरव्यू के लिए ग्रुप डिस्कशन जरूरी है, उससे आपकी सोच और बेहतर होती है। जीवन के दो-तीन साल खुद के लिए दीजिए फिर जीवन भर की चिंता खत्म। उनकी सफलता का मंत्रा था कि सही दिशा में हार्ड वर्क करें और बिना प्रेशर लिए हुए अपना बेस्ट परफॉर्म करें।
मेंटल हेल्थ सबसे जरूरी
सिद्धार्थ जैन कहते हैं कि परीक्षा की तैयारी आपसे इतनी मेहनत मानती है कि उसके लिए आपको खुदको मानसिक रूप से तैयार करना बहुत जरूरी है। इसके लिए वो पढ़ाई के समय से ही योग और ध्यान करते आए हैं। इससे वो बेहतर फोकस के साथ काम कर पाते हैं। वो आज भी मानसिक तनाव से दूर रहने के लिए योग और विपश्यना करते हैं।
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बैकअप रखना जरूरी
सिद्धार्थ मानते हैं कि परीक्षा में सफलता आपकी मेहनत के साथ आपके भाग्य पर भी निर्भर करती है। इसलिए वो कहते हैं हमेशा एक बैकअप रखना जरूरी है। आईएएस के पहले उनका चयन भारतीय वन सेवा (IFS) में हो चुका था और अगर IAS में नहीं होता तो वो IFS जॉइन करते। उनका कहना है अच्छा बैकअप रहने से आपका आत्मविश्वास हमेशा ऊपर रहता है और आप बिना स्ट्रेस के तैयारी कर पाते हैं।
विवादों में भी रह चुके हैं सिद्धार्थ जैन
सिद्धार्थ जैन का नाम उस समय भी सुर्खियों में आया जब वे इंदौर नगर निगम में अपर आयुक्त थे। लोकायुक्त ने रेसिडेंशियल प्लॉट पर कॉमर्शियल उपयोग की अनुमति देने के मामले में उन्हें नोटिस भेजा था। आरोप था कि भवन स्वामी और नगर निगम अधिकारियों की मिलीभगत से नियमों का उल्लंघन हुआ। मामले की जांच अभी जारी है और सिद्धार्थ जैन ने इस विषय में सार्वजनिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की है।
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- नाम: सिद्धार्थ जैन
- जन्म: 12-2-93
- जन्मस्थान: हरियाणा
- एजुकेशन: बीटेक
- बैच: 2016
- कैडर: मध्यप्रदेश
पदस्थापना
2016 बैच के आईएएस ऑफिसर सिद्धार्थ जैन वर्तमान में हरदा कलेक्टर के रूप में कार्यरत हैं। इसके पहले वे बैतूल में सहायक कलेक्टर और नरसिंहगढ़ में एसडीएम के रूप में कार्य कर चुके हैं। इसके अतिरिक्त, उन्होंने झाबुआ में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी और इंदौर नगर निगम में अपर आयुक्त जैसे अहम पदों पर भी सेवाएं दी हैं।
देखें सिद्धार्थ जैन की सर्विस प्रोफाइल (Update: July 22)
तो, कह सकते हैं कि नियमों और जनहित को प्राथमिकता देने वाली सोच और आचरण सिद्धार्थ जैन को अन्य अधिकारियों से अलग बनाती है और यही कारण है कि वे आम जनता और प्रशासनिक तंत्र—दोनों के बीच सम्मान और विश्वास का प्रतीक बन चुके हैं।
FAQ
IAS सिद्धार्थ जैन कौन हैं और वर्तमान में वे कहां पदस्थ हैं?
सिद्धार्थ जैन 2016 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी हैं और वर्तमान में मध्यप्रदेश के हरदा जिले के कलेक्टर के रूप में कार्यरत हैं।
IAS सिद्धार्थ जैन की शैक्षणिक पृष्ठभूमि क्या है?
उन्होंने IIT रुड़की से बीटेक (इंजीनियरिंग) किया है और गणित को वैकल्पिक विषय बनाकर UPSC परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 13 हासिल की थी।
क्या IAS सिद्धार्थ जैन कभी किसी विवाद में भी रहे हैं?
हाँ, जब वे इंदौर नगर निगम में अपर आयुक्त थे, उस समय एक प्लॉट के कॉमर्शियल उपयोग की अनुमति को लेकर लोकायुक्त द्वारा उन्हें नोटिस भेजा गया था। मामले की जांच जारी है।
IAS बनने के लिए सिद्धार्थ जैन की तैयारी रणनीति क्या रही थी?
उन्होंने प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा की तैयारी को एकीकृत दृष्टिकोण से किया। उनका मानना है कि नोट्स बनाना, टेस्ट सीरीज़, उत्तर लेखन का अभ्यास और मानसिक अनुशासन सफलता की कुंजी है।
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