IAS विवेक श्रोतिय: आम जानता के करीब रहने के लिए चुना प्रशासनिक सेवा का रास्ता

आईएएस विवेक श्रोतिय ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद सिविल सेवा की राह चुनी। परिवार का सहयोग और अनुशासित माहौल ने उनकी सफलता में अहम भूमिका निभाई। उनका मानना है कि असली संतोष लोगों से जुड़कर उनकी समस्याओं का हल निकालने में है।

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Abhilasha Saksena Chakraborty
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हर इंसान की सफलता की कहानी के पीछे छिपे होते हैं संघर्ष, आत्मविश्वास और धैर्य के अनगिनत अध्याय। ऐसे ही प्रेरक व्यक्तित्व हैं आईएएस विवेक श्रोतिय, जिनकी जीवन यात्रा उन लाखों युवाओं के लिए प्रकाशस्तंभ है जो सिविल सेवा जैसी कठिन परीक्षा को पार करने का सपना देखते हैं।

पारिवारिक प्रष्ठभूमि

शहडोल के रहने वाले विवेक श्रोतिय का जन्म 26 नवंबर 1969 को हुआ था। उनके पिता भी पुलिस सेवा में थे और एडिशनल एसपी के पद से सेवानिवृत्त हुए। इसलिए शुरू से घर का वातावरण अनुशासित था। उनकी पत्नी होमेमेकर हैं और दो बच्चे हैं। बेटी मुंबई में डिजाइनिंग फील्ड में हैं और बेटा कंप्यूटर इंजीनियर है। वह भी मप्र प्रशासनिक सेवा में अफसर हैं। विवेक श्रोतिय बताते हैं कि घर की जिमेदारी पूरी तरह से पत्नी के ऊपर रही और इसी कारण वो अपने काम पर पूरी तरह से फोकस कर सकें।

लोगों से जुड़ने के लिए चुनी प्रशासनिक सेवा

विवेक श्रोतिय ने 1991 में जीएसआईटीएस इंदौर (GSITS) से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। उस समय कंप्यूटर नया-नया आ रहा था तो पहले उन्हें उस फील्ड में ही काम करने का मन था। लेकिन, धीरे-धीरे उन्हें एहसास हुआ कि अगर वो इस फील्ड में ही रहते हैं तो उनकी ज़िंदगी सिर्फ़ एक कमरे तक सीमित होकर रह जाएगी। जिन लोगों के लिए वो काम कर रहे हैं उन्हें कभी उनसे मिलने का मौक़ा भी नहीं मिल पाएगा। इसी ने उन्हें सिविल सर्विसेज़ की तैयारी करने के लिए प्रेरित किया।
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टाइम मैनेजमेंट सबसे जरूरी

विवेक श्रोतिय ने इतिहास विषय से पीएससी की परीक्षा पास की। परीक्षा की रणनीति के बारे में वो कहते हैं कि पढ़ाई के लिए समय का नियोजन सबसे महत्वपूर्ण होता है। हालाँकि, आज का समय हमारे समय से काफ़ी अलग है। परीक्षा का पैटर्न बदल चुका है, अब चीज़ों को जानने और समझने के लिए ऑप्शंस पहले से ज्यादा हैं। अपने तरीक़े पर बात करते हुए कहते हैं कि मैं शुरू से ही टाइमटेबल बनाकर पढ़ाई करता था। पहले महीनों का, फिर हफ़्तों का टाइम टेबल सेट करता था और उसके हिसाब से तैयारी करता था। अगर सप्ताह के 6 दिन पढ़ाई की तो सातवां दिन पूरा रिवीजन के लिए। यही टाइम मैनेजमेंट आगे चलकर उनके जीवन की सफलता का मजबूत आधार बना।

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मध्यमार्गी रहने में है खुशी

विवेक श्रोतिय का मानना है जीवन में ख़ुशी और संतुष्टि के लिए मध्यमार्गी होना सबसे अच्छा है। अगर आप सबसे ऊपर की पोजीशन पर हैं तो उसमें बहुत प्रेशर आपके ऊपर होता है और आप अपने घर और ख़ुद के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं। अगर निचले स्तर पर हैं तो असंतुष्टि ज्यादा है। इसलिए सबसे अच्छा है बीच का रास्ता अपनायें। इसमें नीचे की तकलीफ़ भी नहीं और ऊपर की परेशानी नहीं।
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तनाव से दूर रहने के लिए करते हैं योग, वॉक और साइकिलिंग

विवेक श्रोतिय बताते हैं कि अब तो तनाव वो नहीं लेते हैं। शुरुआत में ज़रूर होता था और उससे निपटने के लिए योग और हर दिन वॉक का रास्ता अपनाया। उसके अलावा वो साइकिलिंग करते हैं। कई किलोमीटर की साइकिलिंग कर चुके हैं। कई बार  300–400 किलोमीटर साइक्लिंग की है। तनाव से दूर रहकर खुश रहने के लिए उनका मंत्र है —मुस्कराते रहो, धैर्य रखो और स्ट्रेस को मानसिक ताकत से कम करो।

परीक्षा आपकी बुद्धि से ज्यादा समझ का परीक्षण 

विवेक श्रोतिय मानते हैं कि सिविल सेवा में बुद्धि से ज़्यादा समझ का परीक्षण होता है। उनके अनुसार फैक्ट्स ज़रूर पता होने चाहिए, लेकिन केवल रटने से काम नहीं चलता। विषय की गहराई को समझना, उसे अपने शब्दों में अभिव्यक्त करना और सीमित समय में सटीक उत्तर देना — यही सिविल सेवा परीक्षा की सफलता की कुंजी है।  

कीचड़ और पानी भी नहीं रोक पाए कलेक्टर का रास्ता

Tikamgarh collector Vivek Shrotiya

टीकमगढ़ में पलेरा नगर में तालाबों के ओवरफ्लो होने की खबर कलेक्टर विवेक श्रोत्रिय तक पहुँची, वे तुरंत ही लगभग 80 किलोमीटर दूर स्थित पलेरा गांव के लिए रवाना हो गए। गांव में जगह-जगह कीचड़ और पानी से भरे रास्तों से गुजरते हुए उन्होंने पाटेश्वरी और बड़ी माता मंदिर तालाबों का मौके पर निरीक्षण किया। जल निकासी की उचित व्यवस्था न होने पर उन्होंने संबंधित अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई। कलेक्टर ने साफ कहा कि ऐसे हालात में सिर्फ दफ्तरों में बैठकर काम नहीं चलेगा, बल्कि प्रशासन को जनता के बीच जाकर उनके साथ खड़ा होना पड़ेगा।

प्रदेश के सबसे ज्यादा अमीर कलेक्टर 

प्रदेश के 55 जिलों के कलेक्टर में टीकमगढ़ कलेक्टर विवेक श्रोतिय सबसे ज्यादा संपत्ति रखने वाले कलेक्टर हैं। उनके पास 6 प्रॉपर्टी हैं जिनकी कीमत 6 करोड़ के ऊपर है। 

Richest collector in MP

करियर एक नजर 

  • नाम- विवेक श्रोतिय 
  • जन्मदिनांक- 26 नवंबर 1969
  • जन्मस्थान- ग्वालियर 
  • एजुकेशन- बीई 
  • बैच- 2012

पदस्थापना

 2012 बैच के आईएएस अधिकारी विवेक श्रोतिय वर्तमान में टीकमगढ़ कलेक्टर के रूप में कार्यरत हैं। इसके पहले वो भोपाल में मध्य प्रदेश टूरिज्म में एडिशनल मैनेजिंग डायरेक्टर, इंदौर विकास प्राधिकरण में सीईओ, डायरेक्टोरेट ऑफ़ हेल्थ सर्विसेज़ में एडिशनल डायरेक्टर और उज्जैन नगर निगम में कमिश्नर रह चुके हैं। 

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FAQ

वर्तमान में विवेक श्रोतिया किस पद पर कार्यरत हैं?
विवेक श्रोतिया 2012 बैच के IAS अधिकारी हैं और वर्तमान में टीकमगढ़ कलेक्टर के रूप में कार्यरत हैं।
तनाव से दूर रहने के लिए विवेक श्रोतिया क्या करते हैं?
तनाव से बचने के लिए वे योग, वॉक और लंबी दूरी की साइकिलिंग करते हैं। उनका मानना है कि मुस्कराना, धैर्य रखना और मानसिक ताकत से स्ट्रेस को कम करना ही खुश रहने का मंत्र है।
विवेक श्रोतिया ने प्रशासनिक सेवा क्यों चुनी?
शुरुआत में उनका मन कंप्यूटर फील्ड में था, लेकिन उन्हें लगा कि उस क्षेत्र में उनकी ज़िंदगी सीमित हो जाएगी। लोगों से सीधे जुड़ने और समाज में बदलाव लाने के लिए उन्होंने प्रशासनिक सेवा का चुनाव किया।
युवाओं के लिए IAS विवेक श्रोतिया का संदेश क्या है?
वे युवाओं को सलाह देते हैं कि सफलता पाने के लिए सिर्फ मेहनत ही नहीं, बल्कि धैर्य और सकारात्मक सोच भी जरूरी है। उनका मानना है कि हर युवा को अपनी क्षमता पर विश्वास करना चाहिए और समाज के लिए कुछ बड़ा करने की सोच रखनी चाहिए।
IAS विवेक श्रोतिया का भविष्य का लक्ष्य (Future Vision) क्या है?
उनका विज़न है कि प्रशासन को अधिक जन-केंद्रित और तकनीक आधारित बनाया जाए। वे चाहते हैं कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में विकास की खाई कम हो और हर नागरिक को समान अवसर मिले।

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