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दिल्ली का राजनीतिक माहौल इस समय काफी गर्म है। वजह संसद का मानसून सत्र और SIR पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही बहस ही नहीं है, बल्कि राजधानी के प्रतिष्ठित कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया का चुनाव बन चुका है।
इस क्लब के सचिव पद के लिए हुए चुनाव में बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी ने बीजेपी के ही पूर्व सांसद संजीव बालियान को हराकर जीत दर्ज की।
कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया एक ऐसा मंच है, जहां केवल सांसद और पूर्व सांसद सदस्य होते हैं और इसके चुनाव का असर केवल क्लब के भीतर नहीं, बल्कि देश के राजनीतिक परिपेक्ष्य पर भी पड़ता है।
इस चुनाव ने कई प्रमुख नेताओं के बीच दिलचस्प प्रतिक्रियाएं दिखाती हैं कि क्लब की सदस्यता और इसके चुनाव कितने महत्वपूर्ण हैं। आज हम thesootr Prime में इसके बारे में विस्तार से समझेंगे…
| इस विस्तृत एक्सप्लेनर में हम कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया की पूरी कहानी, कॉन्स्टिट्यूशन क्लब की पृष्ठभूमि, चुनाव की प्रक्रिया, महत्वपूर्ण विजेता और हारने वाले उम्मीदवार, क्लब के महत्व और सवालों के जवाब विस्तार से जानेंगे। |
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कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया क्या है
कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया का स्थापना वर्ष 1947 में हुई थी। यह क्लब भारतीय संविधान सभा के सदस्यों के बीच सामाजिक और राजनीतिक मेलजोल को बढ़ाने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था।
इसके बाद यह क्लब एक अत्यंत महत्वपूर्ण सामाजिक और राजनीतिक मंच बन गया, जिसका प्रमुख उद्देश्य सांसदों और पूर्व सांसदों को एक जगह एकत्र करना था।
क्लब के सदस्यों में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी जैसे वरिष्ठ राजनेता शामिल हैं।
वर्तमान में क्लब के लगभग 13 सौ सदस्य सांसद और पूर्व सांसद हैं। क्लब में कॉन्फ्रेंस रूम, कैफे, बिल्लियर्ड्स रूम, जिम, स्विमिंग पूल, बैडमिंटन कोर्ट और यूनिसेक्स सैलून जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं। भाजपा के राजीव प्रताप रूडी ने पिछले दो दशकों में क्लब के पुनर्निर्माण और आधुनिककरण में विशेष योगदान दिया है।
सचिव पद का महत्व और चुनाव की प्रक्रिया
कॉन्स्टिट्यूशन क्लब का मुखिया स्वभाव से लोकसभा के अध्यक्ष होते हैं, लेकिन सचिव पद भी क्लब की कार्यप्रणाली में बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।
सचिव का कार्य प्रशासन चलाने के साथ-साथ क्लब के सदस्यों के बीच समन्वय बनाना होता है। पिछले 25 वर्षों से राजीव प्रताप रूडी लगातार इस पद पर निर्वाचित होते आए हैं।
क्लब के चुनाव आमतौर पर सचिव (प्रशासन), खेल सचिव, संस्कृति सचिव, कोषाध्यक्ष और 11 कार्यकारी सदस्यों के लिए होते हैं। अब तक क्लब में सिर्फ चार बार गवर्निंग काउंसिल का चुनाव हुआ है - 2009, 2014, 2019 और 2025 में। लाखों के बजाय यह एक छोटा लेकिन प्रभावशाली चुनाव माना जाता है क्योंकि इसमें सांसद और पूर्व सांसद ही मतदान करते हैं।
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2025 का चुनाव सचिव: भाजपा के दो दिग्गज आमने-सामने
इस बार का चुनाव खास रूप से इसलिए चर्चा में रहा क्योंकि इसमें भाजपा के दो वरिष्ठ नेताओं — राजीव प्रताप रूडी और संजीव बालियान — ने मुकाबला किया। दोनों ही पूर्व केंद्रीय मंत्री हैं और उनकी प्रतिस्पर्धा ने मीडिया और राजनीतिक गलियारों में काफी हलचल मचा दी।
- कुल 1295 सदस्यों में से 707 ने मतदान किया, जिनमें से 669 वोटों की गणना वोटिंग बूथ पर हुई, जबकि 38 पोस्टल बैलट्स थे।
- राजीव प्रताप रूडी को 391 वोट मिले जबकि संजीव बालियान 291 वोटों पर रहे।
- मतदान में भाजपा के अमित शाह, जेपी नड्डा, कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खरगे और सोनिया गांधी जैसे दिग्गजों ने भी हिस्सा लिया।
- मतदान की प्रक्रिया में पार्टी मान्यताओं को पार करते हुए कई कांग्रेस, सपा, टीएमसी और निर्दलीय सांसद राजीव प्रताप रूडी के समर्थन में थे।
राजीव प्रताप रूडी ने जीत के बाद कहा, "मैंने 100 से अधिक वोटों से जीत हासिल की है। अगर इसे 1,000 मतदाताओं से गुणा किया जाए तो यह संख्या एक लाख हो जाती है। यह मेरी टीम की जीत है," और साथ ही कहा कि यह पिछले दो दशकों की उनकी मेहनत का फल है।
चुनाव के दौरान उठे विवाद और राजनीतिक सरगर्मियां
चुनाव के दौरान भाजपा के अंदर मतभेद और खेमेबंदी भी देखने को मिलीं। संजीव बालियान को कुछ भाजपा नेताओं का समर्थन मिला, खासकर निशिकांत दुबे ने उनकी घोषणापत्र समर्थन किया।
वहीं, भाजपा सांसद कंगना रनौत ने इसे "भाजपा बनाम भाजपा" की लड़ाई करार दिया जो नए सांसदों के लिए भ्रमित करने वाली स्थिति थी।
कुछ सांसदों ने क्लब को "अधिकारियों और दलालों का अड्डा" बताते हुए बदलाव की मांग की। वहीं, अन्य नेताओं ने इसे एक पॉलिटिकल मुकाबला न मानकर क्लब के लिए नेतृत्व चुनने की चुनौती बताया।
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कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में सदस्यता और मतदान का अधिकार
कॉन्स्टिट्यूशन क्लब की सदस्यता केवल संसद के वर्तमान और पूर्व सदस्यों को ही मिलती है। सदस्य कुल मिलाकर लगभग 1300 हैं। मतदान में आमतौर पर 100 से ज्यादा सदस्य ही हिस्सा लेते आए थे, लेकिन इस बार वोटिंग प्रतिशत लगभग 54 फीसदी से ऊपर पहुंचा, जो पिछले चुनावों से अधिक था।
क्लब के अन्य पद और निर्वाचित सदस्य
- इस चुनाव में सचिव (खेल), सचिव (संस्कृति) और कोषाध्यक्ष पदों के लिए भी चुनाव हुए।
- खेल सचिव पद पर कांग्रेस के राजीव शुक्ला निर्विरोध चुने गए।
- संस्कृति सचिव के पद पर डीएमके के तिरुचि शिवा निर्विरोध चुने गए।
- कोषाध्यक्ष के लिए तीसरे उम्मीदवार के नामांकन वापस लेने के कारण डीएमके सांसद पी विल्सन निर्विरोध चुने गए।
- कुल 11 कार्यकारी सदस्य भी चुने गए, जिनमें भाजपा, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, टीडीपी, टीएमसी एवं अन्य दलों के सांसद शामिल हैं।
क्यों महत्वपूर्ण है सचिव पद?
कॉन्स्टिट्यूशन क्लब के सचिव पद को लेकर हमेशा से राजनीतिक हलकों में चर्चा होती रही है। यह पद अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह क्लब के प्रशासनिक कार्यों और फैसलों का संचालन करता है। इसके अलावा, क्लब में होने वाली बैठकों, आयोजनों और निर्णयों पर सचिव का सीधा प्रभाव पड़ता है।
हालांकि, क्लब के मुखिया लोकसभा के अध्यक्ष होते हैं, लेकिन सचिव पद की भूमिका काफी केंद्रीय होती है, जिससे क्लब के भीतर सभी गतिविधियां प्रभावित होती हैं। यही कारण है कि इस चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों और नेताओं में काफी दिलचस्पी और हलचल थी।
कॉन्स्टिट्यूशन क्लब के चुनाव को लेकर कई नेताओं ने अपने विचार व्यक्त किए हैं:
- बीजेपी की पूर्व सांसद स्मृति ईरानी ने कहा कि इस चुनाव में होने वाली हलचल लोकसभा और राज्यसभा चुनावों जैसी ही होती है। क्लब के सदस्यों के लिए एक नेता का चुनाव करना एक बड़ा काम होता है।
- कंगना रनौत, जो बीजेपी से जुड़ी हुई सांसद हैं, ने कहा कि यह चुनाव बीजेपी बनाम बीजेपी जैसा हो गया है, और यह नए लोगों के लिए काफी कंफ्यूजिंग था।
- निशिकांत दुबे, एक और बीजेपी सांसद, ने क्लब पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह अफसरों और दलालों का अड्डा बन चुका है, और उन्हें इसे चंगुल से मुक्त करना होगा।
#WATCH | Delhi | On winning the Constitution Club of India election, BJP MP Rajeev Pratap Rudy says, "... I may have won by more than 100 votes... And if that is multiplied by 1000 voters, then the number goes upto 1 lakh... This is my panel's victory... Everyone rose from their… pic.twitter.com/9BpzpmJJzD
— ANI (@ANI) August 12, 2025
सिर्फ तीन बार ही चुनाव
वही रूडी ने अपने कार्यकाल में क्लब में बनाई गई नई सुविधाओं का जिक्र किया और एक और कार्यकाल देने की अपील की थी। कांस्टीट्यूशन क्लब के इतिहास में इससे पहले सिर्फ तीन बार ही साल 2009, 2014 और 2019 में चुनाव हुआ।
इस बार भी कोषाध्यक्ष, खेल सचिव और संस्कृति सचिव के लिए चुनाव नहीं हुए। कांग्रेस के एपी जितेंद्र रेड्डी कोषाध्यक्ष और राजीव शुक्ला सचिव (खेल) और डीएमके के तिरुची सिवा सचिव (संस्कृति) पद पर बिना चुनाव के ही चुन लिए गए थे।
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जानें कांस्टीट्यूशन क्लब का इतिहास और सदस्यता प्रक्रिया
कॉन्स्टिट्यूशन क्लब की स्थापना फरवरी 1947 में हुई थी और इसका उद्देश्य भारतीय संविधान सभा के सदस्यों को एक मंच प्रदान करना था।
इसकी औपचारिक शुरुआत 1965 में हुई थी, जब राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने इसका उद्घाटन किया था। तब से लेकर अब तक, यह क्लब राजनीतिक और सामाजिक संबंधों को बढ़ावा देने का एक अहम साधन बन चुका है।
क्लब की सदस्यता केवल वर्तमान और पूर्व सांसदों को ही मिलती है। इसे लेकर कई बार विवाद भी हुए हैं, क्योंकि इसमें पार्टी आधारित राजनीति की कोई सीमाएं नहीं होती। यही कारण है कि इस क्लब के चुनाव में अक्सर सभी दलों के सदस्य शामिल होते हैं, जो पार्टीगत विचारधाराओं से ऊपर उठकर अपनी राय और वोट डालते हैं।
क्लब में हैं लग्जरी सुविधाएं
कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में सांसदों के लिए कई आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं, जिनमें कॉन्फ्रेंस रूम, स्विमिंग पूल, जिम, और बैडमिंटन कोर्ट जैसी सुविधाएँ शामिल हैं।
क्लब का जिम दिल्ली के कुछ बेहतरीन जिमों में से एक है, और इसे भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के आर्थिक सहयोग से विकसित किया गया था।
क्या कांस्टीट्यूशन क्लब के चुनाव में संजीव बाल्यान के पक्ष अमित शाह थे?
कॉन्स्टीट्यूशन क्लब (कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया इलेक्शन 2025) के चुनाव में संजीव बालियान के पक्ष में अमित शाह नहीं थे। तथ्य यह है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मतदान में हिस्सा लिया और राजीव प्रताप रूडी के पक्ष में वोट डाला था।
चुनाव में भाजपा के वोट बंटे हुए थे, जिसमें संजीव बालियान को भाजपा के कुछ गुटों, खासकर सांसद निशिकांत दुबे का समर्थन मिला था, लेकिन अमित शाह जैसे भाजपा के शीर्ष नेता और विपक्षी दलों के कई सांसद राजीव प्रताप रूडी के पक्ष में थे।
राजीप प्रताप रूडी के पैनल में कौन- कौन था?
राजीव प्रताप रूडी के पैनल में विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के सांसद शामिल थे, जो इस चुनाव को पारदलीय सीमाओं से ऊपर लेकर गए थे। खास तौर पर उनके पैनल में शामिल थे:
भाजपा के सांसद
- कांग्रेस के नेता और सांसद
- समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद
- तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद
- तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के सांसद
साथ ही कई निर्दलीय सांसद
- राजीव प्रताप रूडी ने खुद कहा था कि यह उनकी टीम की जीत है, जिसमें हर किसी ने अपनी पार्टी से उठकर वोट डाला।
- उनके पैनल में कांग्रेस, सपा, टीएमसी और निर्दलीय सांसद भी शामिल थे, जिन्होंने उनके पक्ष में वोट दिया।
संजीव बाल्यान के पैनल में कौन- कौन था?
संजीव बालियान के पैनल में मुख्य रूप से भाजपा के कुछ गुट, खासकर झारखंड के गोंडा सांसद निशिकांत दुबे का समर्थन था। चुनाव में भाजपा के कुछ सदस्य और बालियान के समर्थक थे, जो भाजपा के भीतर की खेमेबंदी का हिस्सा माने गए।
बालियान ने खुद कहा था कि कई सांसद इसके सदस्य नहीं भी हैं, लेकिन चर्चा फिर से बढ़ी है और उम्मीद है कि अधिक सदस्य इसमें भाग लेंगे
तो कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया का चुनाव केवल एक क्लब के सचिव के चुनाव तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में एक अहम घटना है।
इसमें विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं, और इससे देश के राजनीतिक माहौल पर भी असर पड़ता है।
इस बार, राजीव प्रताप रूडी की जीत और संजीव बालियान की हार ने यह स्पष्ट कर दिया कि क्लब के भीतर भी राजनीति की गहरी जड़ें हैं।
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