आज का इतिहास: जब यूनाइटेड नेशंस में गूंजी थी एम एस सुब्बुलक्ष्मी की आवाज

भारत रत्न से सम्मानित पहली संगीतकार एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी एक महान गायिका थीं, जिनकी आवाज ने न सिर्फ भारतीय शास्त्रीय संगीत को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, बल्कि महात्मा गांधी जैसे नेताओं को भी प्रभावित किया।

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Kaushiki
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आज की तारीख का इतिहास: आज हम उस महान गायिका के बारे में बात करेंगे जिनकी आवाज में जादू था। जिन्हें सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में सुना और सराहा गया। वो थीं, मदुरै षण्मुखवडिवु सुब्बुलक्ष्मी जिन्हें हम प्यार से एम एस सुब्बुलक्ष्मी के नाम से जानते हैं।

उनकी कहानी सिर्फ संगीत की नहीं, बल्कि संघर्ष, समर्पण और अदम्य साहस की भी है। उनकी मधुर आवाज ने न केवल लाखों दिलों को छुआ, बल्कि कई महान नेताओं, जैसे महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू को भी अपना दीवाना बना दिया।

एमएस सुब्बुलक्ष्मी जीवन परिचय M.S. Subbulakshmi Biography In Hindi  -1916-2004 –

बचपन और संगीत की यात्रा

एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी का बचपन संगीत से भरा हुआ था। उनकी मां, शनमुखवडिवु, एक वीणा वादक थीं। घर में हमेशा संगीत का माहौल रहता था।

एमएस ने अपनी मां और दादी से संगीत की शुरुआती शिक्षा ली। सिर्फ 10 साल की उम्र में उन्होंने अपनी पहली रिकॉर्डिंग की, जिससे लोगों को उनकी अद्भुत प्रतिभा का पता चला।

उनकी शिक्षा की बात करें तो, उन्होंने कोई औपचारिक डिग्री हासिल नहीं की लेकिन संगीत के क्षेत्र में उनकी ज्ञान की गहराई और साधना अतुलनीय थी।

वह एक ऐसी कलाकार थीं जिन्होंने अपनी प्रतिभा और मेहनत से खुद को तराशा। उन्होंने कर्नाटक संगीत की शिक्षा श्रीनिवास अयंगर से ली और हिंदी, बंगाली और गुजराती भाषाओं में गाने के लिए पंडित नारायण राव व्यास से भी सीखा।

M S Subbulakshmi Latest News, Updates in Hindi | एम. एस. सुब्बुलक्ष्मी के  समाचार और अपडेट - AajTak

गांधीजी और नेहरू का प्रेम

एमएस सुब्बुलक्ष्मी के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू था महात्मा गांधी और पंडित जवाहरलाल नेहरू के साथ उनका गहरा संबंध। गांधीजी को उनका भजन 'हरि तुम हरो जन की भीड़' इतना पसंद था कि उन्होंने एक बार कहा था कि वह यह भजन सुब्बुलक्ष्मी की आवाज में सुनना चाहते हैं।

जब उन्हें बताया गया कि सुब्बुलक्ष्मी इसे नहीं गा सकतीं, तो गांधीजी ने कहा, "मैं सिर्फ सुब्बुलक्ष्मी के गाने से ही नहीं, बल्कि उनके बोलने से भी खुश हो सकता हूं, लेकिन मैं चाहता हूं कि यह भजन वही गाएं।"

गांधीजी की इच्छा का सम्मान करते हुए, एमएस ने यह भजन गाया और रिकॉर्ड किया, और गांधीजी को भेजा गया। गांधीजी के लिए यह भजन इतना खास था कि वह इसे अपनी प्रार्थना सभाओं में भी बजाते थे।

पंडित जवाहरलाल नेहरू ने तो उन्हें 'स्वर कोकिला' की उपाधि दी थी। वह उनके संगीत से इतने प्रभावित थे कि एक बार उन्होंने कहा था, "मैं इस आवाज की तुलना किसी और से नहीं कर सकता। यह भारत की संस्कृति की आवाज है।"

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सिनेमा में कदम और पहचान

एमएस सुब्बुलक्ष्मी ने केवल संगीत ही नहीं, बल्कि सिनेमा में भी अपनी पहचान बनाई। उन्होंने कुछ तमिल फिल्मों में काम किया, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध फिल्म 'मीरा' (1945) थी। इस फिल्म में उन्होंने मीराबाई का किरदार निभाया था।

उनके गाए भजन और गाने इतने लोकप्रिय हुए कि यह फिल्म पूरे भारत में हिट हो गई। इस फिल्म के हिंदी डबिंग वर्जन में भी उन्होंने खुद ही गाने गाए।

'मीरा' फिल्म में उनके गाए कुछ प्रसिद्ध गाने:

  • 'बसो मोरे नैनन में नंदलाल'

  • 'गिरधर गोपाल'

  • 'छोड़ गए बालम'

  • उनकी संगीत की दुनिया

एमएस सुब्बुलक्ष्मी ने कर्नाटक संगीत को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उन्होंने कई भाषाओं में गाने गाए, जिनमें तमिल, कन्नड़, तेलुगु, मलयालम, हिंदी, मराठी, गुजराती, और संस्कृत शामिल हैं। उनके गाए गए भजनों और गीतों ने लोगों के दिलों में एक खास जगह बनाई। उनके कुछ सबसे प्रसिद्ध गाने और भजन हैं:

  • सुप्रभातम् (वेंकटेश सुप्रभातम): यह उनका सबसे प्रसिद्ध काम है, जिसे हर सुबह लाखों लोग सुनते हैं।

  • विष्णु सहस्त्रनाम: यह भी उनकी एक अद्भुत प्रस्तुति है, जिसमें उन्होंने भगवान विष्णु के 1000 नामों का जाप किया है।

  • 'वैष्णव जन तो तेने कहिए': यह महात्मा गांधी का प्रिय भजन था, जिसे उन्होंने बहुत ही मधुरता से गाया था।

  • 'कुरुक्षेत्रम': यह भी उनका एक लोकप्रिय गीत था।

एम. एस. सुब्बुलक्ष्मी (M. S. Subbulakshmi) – मराठी विश्वकोश

सम्मान और पुरस्कार

एमएस सुब्बुलक्ष्मी को उनके असाधारण योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। वह पहली संगीतकार थीं जिन्हें भारत रत्न (1998) मिला, जो भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। इसके अलावा उन्हें निम्नलिखित पुरस्कार भी मिले:

  • संगीत कलानिधि (1968): यह कर्नाटक संगीत में सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार है।

  • पद्म भूषण (1954): भारत का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान।

  • पद्म विभूषण (1975): भारत का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान।

  • मैगसेसे पुरस्कार (1974): यह एशिया का नोबेल पुरस्कार माना जाता है। वह पहली भारतीय संगीतकार थीं जिन्हें यह सम्मान मिला।

  • वह भारत रत्न से सम्मानित होने वाली पहली संगीतकार थीं। यह सम्मान उनकी अद्वितीय प्रतिभा और भारतीय संगीत में उनके योगदान को दर्शाता है।

संगीत की साधिका: एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी | फेमिनिज़म इन इंडिया

विरासत और प्रभाव

11 दिसंबर, 2004 को एमएस सुब्बुलक्ष्मी ने दुनिया को अलविदा कहा, लेकिन उनकी आवाज आज भी हमारे बीच जीवित है। उनकी मधुर आवाज, उनकी सादगी और उनका आध्यात्मिक जीवन आज भी लोगों को प्रेरणा देता है।

उन्होंने संगीत को केवल मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि भक्ति और आध्यात्मिकता का एक माध्यम बनाया। उनकी विरासत आज भी हमारे देश की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उनका जीवन एक उदाहरण है कि किस तरह एक कलाकार अपनी कला के माध्यम से समाज और देश की सेवा कर सकता है।

एमएस सुब्बुलक्ष्मी: जब नेहरू जी ने कहा,'मैं हूं कौन, एक रानी के सामने एक  अदना-सा प्रधानमंत्री!'

एमएस सुब्बुलक्ष्मी सिर्फ एक गायिका नहीं थीं, बल्कि एक ऐसी आत्मा थीं, जिसने अपनी आवाज से लाखों दिलों में शांति और प्रेम का संचार किया।

आज भी, जब हम उनके भजन सुनते हैं, तो लगता है कि कोई दैवीय शक्ति हमें छू रही है। वह सच में 'स्वर कोकिला' थीं, जिनकी आवाज ने पूरे विश्व को मंत्रमुग्ध कर दिया।

क्या आप जानते हैं कि एमएस सुब्बुलक्ष्मी संयुक्त राष्ट्र संघ में भी अपनी प्रस्तुति देने वाली पहली भारतीय थीं? उन्होंने 1966 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत का प्रतिनिधित्व किया था, और वहां भी उन्होंने अपनी मधुर आवाज से सभी का दिल जीत लिया था। यह एक ऐसा ऐतिहासिक क्षण था, जिसने भारतीय संगीत को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान दी।

एमएस सुब्बुलक्ष्मी: जब नेहरू जी ने कहा,'मैं हूं कौन, एक रानी के सामने एक  अदना-सा प्रधानमंत्री!'

एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी के कुछ प्रसिद्ध भजन और गीत

भजन

'मीरा' फिल्म के भजन:

'मेरे तो गिरधर गोपाल'
'हरि तुम हरो जन की पीर'
'गोविंद जय जय, गोपाल जय जय'
ये सभी भजन उनकी फिल्म 'मीरा' (1945) में गाए गए थे, जिन्होंने उन्हें पूरे भारत में 'मीरा' के रूप में प्रसिद्ध कर दिया।

वेंकटेश स्तोत्रम:

'वेंकटेश सुप्रभातम' - यह तिरुपति बालाजी मंदिर का सुबह का भजन है, जो हर दिन लाखों भक्तों द्वारा सुना जाता है। यह उनकी सबसे प्रसिद्ध रिकॉर्डिंग में से एक है।

श्री राम भजन:

'भजे वृंदावनमंडनम्'
'श्री राम चंद्र कृपालु भजमन'

कर्नाटक संगीत

  • 'वैष्णव जन तो': महात्मा गांधी का यह प्रिय भजन उन्होंने गांधी जी के अनुरोध पर गाया था।

  • 'कुरांगवनी': यह एक प्रसिद्ध कर्नाटक संगीत रचना है।

  • 'मीनाक्षी स्तोत्रम': मदुरै की देवी मीनाक्षी को समर्पित यह स्तोत्रम उनकी आवाज में बहुत प्रभावशाली लगता है।

  • 'अम्बई कावेरी': देवी अंबिका को समर्पित एक और प्रसिद्ध रचना।

ये कुछ चुनिंदा गीत और भजन हैं, जो उनकी अद्भुत गायकी और भक्ति को दर्शाते हैं। उनकी आवाज़ आज भी संगीत प्रेमियों और भक्तों के बीच जीवित है।

16 सितंबर का इतिहास

हर दिन का अपना एक अलग महत्व होता है और 16 सितंबर का दिन भी इतिहास (आज की यादगार घटनाएं) में कई महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए दर्ज है।

इस दिन दुनिया में कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिन्होंने इतिहास की दिशा बदल दी। आइए जानते हैं 16 सितंबर को भारत और विश्व में घटी कुछ प्रमुख घटनाओं के बारे में, जो आपके सामान्य ज्ञान को बढ़ा सकती हैं।

  • 1400: ओवेन ग्लाइन्डर को प्रिंस ऑफ वेल्स घोषित किया गया, जिसके बाद उन्होंने इंग्लैंड के हेनरी चतुर्थ के शासन के खिलाफ विद्रोह शुरू किया।

  • 1702: जॉन चर्चिल ने म्यूस नदी पर वेनलो को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर किया।

  • 1725: ग्रेट ब्रिटेन, फ्रांस और प्रशिया के बीच हनोवर की संधि पर हस्ताक्षर किए गए।

  • 1729: विलियम के एच फ्रिसो को ग्रोनिंगन शहर का वायसराय बनाया गया।

  • 1747: फ्रांसीसी सैनिकों ने ज़ूम और बर्गन पर कब्जा कर लिया।

  • 1776: अमेरिकी क्रांतिकारी युद्ध में, अमेरिकी उपनिवेशवादियों ने हार्लेम हाइट्सिन की लड़ाई (वर्तमान न्यूयॉर्क शहर) में ब्रिटिश सैनिकों को हराया। ब्रिटिश सैनिक अपने बगुलों की आवाज को एक लोमड़ी का शिकार समझकर धोखे में आ गए, जिससे अमेरिकी सैनिकों को मैदान पर कब्जा करने का मौका मिल गया।

  • 1782: संयुक्त राज्य अमेरिका की महान मुहर का पहली बार इस्तेमाल किया गया।

  • 1795: ब्रिटिश सेना ने नीदरलैंड से केप टाउन पर कब्जा कर लिया।

  • 1810: स्पेन के औपनिवेशिक शासन के 300 साल बाद, मेक्सिको ने स्पेन से स्वतंत्रता हासिल की।

  • 1810: डोलोरेस, गुआनाजुआतो में पल्ली के पुजारी मिगुएल हिडाल्गो ने अपनी मंडली में 'ग्रिटो डी डोलोरस' का आह्वान किया, जिससे स्पेन के खिलाफ मैक्सिकन स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत हुई।

  • 1821: मेक्सिको की स्वतंत्रता को आधिकारिक मान्यता मिली।

  • 1824: चार्ल्स दसवें फ्रांस के राजा के रूप में अपने भाई लुई XVIII के उत्तराधिकारी बने।

  • 1840: यूसुफ स्ट्रड ने डर्बी अर्बोरेटम से संबंधित कागजात तैयार किए, जो इंग्लैंड का पहला सार्वजनिक पार्क बन गया।

  • 1848: फ्रांस ने अपने सभी उपनिवेशों में दास प्रथा को समाप्त कर दिया।

  • 1861: ब्रिटिश पोस्ट ऑफिस में बचत बैंक खोला गया।

  • 1892: येल विश्वविद्यालय में ग्रेजुएट करने के लिए पहली महिला को एडमिशन मिला।

  • 1906: नॉर्वे के रोएल्ड एमंडसन ने चुंबकीय दक्षिणी ध्रुव की खोज की।

  • 1908: विलियम क्रेपो बिली ने वाहन निर्माता कंपनी जनरल मोटर्स की स्थापना की।

  • 1920: वॉल स्ट्रीट पर एक बम धमाके में 38 लोगों की मौत हो गई और 400 से अधिक घायल हो गए। इस रहस्य को कभी हल नहीं किया गया, लेकिन इसे अराजकतावादियों का काम माना गया।

  • 1932: महात्मा गांधी ने नए ब्रिटिश जाति पृथक्करण कानूनों को समाप्त करने के प्रयासों में अपनी भूख हड़ताल शुरू की।

  • 1940: द्वितीय विश्व युद्ध में, इटली ने सिदी बैरानी शहर पर कब्जा कर लिया, लेकिन मिस्र में और आगे नहीं बढ़ सका।

  • 1941: ईरान के शाह रेजा पहलवी को उनके बेटे मोहम्मद रजा पहलवी के पक्ष में सिंहासन छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।

  • 1947: जापान की राजधानी टोक्यो के सईतामा में आए चक्रवाती तूफान कैथलीन से 1,930 लोगों की मौत हो गई।

  • 1956: ऑस्ट्रेलिया में टेलीविजन प्रसारण शुरू हुआ।

  • 1959: हालॉइड ज़ेरॉक्स ने ज़ेरॉक्स 914 की शुरुआत की, जो अमेरिकी भौतिक विज्ञानी चेस्टर कार्लसन द्वारा आविष्कृत पहला फोटोकॉपियर था।

  • 1961: संयुक्त राज्य अमेरिका के 'नेशनल हरिकेन रिसर्च प्रोजेक्ट' ने तूफान आयशर को सिल्वर आयोडाइड से सींचकर कमजोर कर दिया, जिससे 'प्रोजेक्ट स्टॉर्मफ्यूरी' की स्थापना हुई।

  • 1963: मलाया, सिंगापुर, उत्तरी बोर्नियो (वर्तमान सबा), और सरवाक का मलेशिया में विलय हो गया।

  • 1966: दक्षिण वियतनाम में, थिच त्रि क्वांग ने 100 दिन की भूख हड़ताल समाप्त की।

  • 1967: सोवियत संघ ने पूर्वी कजाख में परमाणु परीक्षण किया।

  • 1975: पापुआ न्यू गिनी ने ऑस्ट्रेलिया से स्वतंत्रता हासिल की।

  • 1975: ऑस्ट्रेलिया ने पापुआ न्यू गिनी को आजाद किया।

  • 1978: ईरान के तबस में आए 7.7 तीव्रता के भूकंप में 25 हजार लोगों की मौत हुई।

  • 1978: जनरल मुहम्मद जिया-उल-हक ने आधिकारिक तौर पर पाकिस्तान के राष्ट्रपति पद की शपथ ली।

  • 1978: 7.7 मैग्नीट्यूड के भूकंप से तबस, ईरान में 20,000 से अधिक लोग मारे गए और पूरा शहर तबाह हो गया। मलबे के नीचे दबे लोगों को बचाने के लिए बचाव अभियान जारी रहा।

  • 1986: दक्षिण अफ्रीका की एक सोने की खदान में फँसने से 177 लोग मारे गए।

  • 1987: मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल, एक अंतरराष्ट्रीय संधि, ने ओजोन परत को बचाने के लिए ओजोन-क्षयकारी पदार्थों के उत्पादन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त कर दिया।

  • 1990: उत्तरी झिंजियांग रेलवे का निर्माण पूरा हुआ, जिसने चीन और कजाकिस्तान की रेलवे लाइनों को जोड़कर यूरेशियन लैंड ब्रिज का एक बड़ा हिस्सा बनाया।

  • 1994: ब्रिटेन ने उत्तरी आयरलैंड के सिन्न फेन और अर्धसैनिक समूहों के प्रसारण पर प्रतिबंध लगाया।

  • 1997: स्टीव जॉब्स एप्पल कंप्यूटर पर लौट आए, जिसे उन्होंने स्थायी नेता की तलाश के दौरान अस्थायी रूप से कंपनी चलाने के लिए स्थापित किया था।

  • 2003: फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों को 45 साल के निचले स्तर 1% पर बनाए रखा, क्योंकि कोर मुद्रास्फीति 1.3% से कम थी।

  • 2005: पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने पाकिस्तान में बलात्कार पीड़ितों को 'पैसे कमाने की चिंता' का हिस्सा बताते हुए लोगों के बीच नाराजगी पैदा की।

  • 2007: वन टू गो एयरलाइंस का विमान थाईलैंड में दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें 89 लोगों की मौत हो गई।

  • 2010: संयुक्त राज्य में गरीबी दर 14.3 प्रतिशत के 15 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई, जो लगभग 43.6 मिलियन लोगों के बराबर थी।

  • 2011: नासा के वैज्ञानिकों ने उत्साहपूर्वक एक परिधि-बाइनरी ग्रह की खोज की घोषणा की, जो एक के बजाय दो तारों की परिक्रमा करता है।

  • 2014: इस्लामिक स्टेट ने सीरियाई कुर्दिश लड़ाकों के खिलाफ युद्ध छेड़ा।

  • 2014: रूसी टाइकून और अरबपति व्लादिमीर वायटुशेनकोव को गिरफ्तार किया गया।

16 सितंबर: भारत की महत्वपूर्ण घटनाएं

  • 1916: देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित, शास्त्रीय गायिका और अभिनेत्री एम.एस. सुब्बालक्ष्मी का जन्म हुआ। आज के खास समाचार

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