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हर साल 2 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस (national pollution control day) मनाया जाता है। यह दिन प्रदूषण की समस्या और इसके प्रभाव को लेकर जागरूकता फैलाने का एक अवसर है।
खासकर वायु प्रदूषण (Air Pollution Level) की समस्या आजकल हमारे जीवन का हिस्सा बन चुकी है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि प्रदूषण का नियंत्रण हमारे लिए कितना जरूरी है। और जब हम भारत की बात करते हैं, तो यह एक गंभीर मुद्दा बन चुका है। आइए जानें
भारत में प्रदूषण का हाल
भारत के बड़े शहरों में वायु प्रदूषण सबसे बड़ा संकट बन चुका है। दिल्ली, मुंबई, कानपुर, लखनऊ जैसे शहरों में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है। दिल्ली, जो भारत की राजधानी है, दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में शुमार है। खासकर सर्दियों के मौसम में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है।
दिल्ली में AQI (एयर क्वालिटी इंडेक्स) का स्तर अक्सर 400-500 तक पहुंच जाता है, जो "खतरनाक" स्तर होता है। इसका मतलब यह है कि इस स्तर पर हवा में मौजूद प्रदूषक तत्वों से लोगों को स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जैसे सांस की बीमारियां, दिल की बीमारियां, और फेफड़ों से जुड़ी समस्याएं।
गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन रहा प्रदूषण
भारत में वायु प्रदूषण एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है। यदि हम दिल्ली की बात करें, तो वहां की एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) अक्सर खतरनाक स्तर पर पहुंच जाती है।
दिल्ली, मुंबई, कानपुर, लखनऊ, और अन्य बड़े शहरों में प्रदूषण की स्थिति और भी गंभीर है। इन शहरों में हर दिन होने वाली धुंध और स्मॉग स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।
क्या हैं प्रदूषण के कारण
विकसित उद्योग और निर्माण: निर्माण कार्यों और उद्योगों से निकलने वाली गैसें और धूल प्रदूषण का मुख्य कारण बनती हैं।
वाहन: बढ़ते वाहनों की संख्या, पुराने और खराब इंजनों से निकलने वाली गाड़ियों की धुंआ, खासकर दिल्ली जैसे शहरों में प्रदूषण बढ़ाने में योगदान करते हैं।
पुराली जलाना: पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में कृषि के दौरान पुराली जलाना एक बड़ा कारण है। यह जलाने की प्रक्रिया दिल्ली में वायु गुणवत्ता को बेहद खराब कर देती है।
कचरा और वैस्ट मैनेजमेंट: सही तरीके से कचरा न जलाने और खुले में कचरा जलाने से भी प्रदूषण बढ़ता है।
क्या होता है AQI
AQI (एयर क्वालिटी इंडेक्स) किसी भी क्षेत्र की हवा की क्वालिटी बताने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। AQI को 0 से 500 तक मापा जाता है।
जब AQI 0 से 50 के बीच होता है, तो हवा साफ होती है। लेकिन जैसे ही AQI 200 से ऊपर जाता है, हवा में खतरनाक स्तर के प्रदूषण की मात्रा होती है।
दिल्ली में अक्सर AQI 400 से ऊपर चला जाता है। यह स्तर स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक होता है। ऐसे में लोगों को मास्क पहनने और बाहर कम निकलने की सलाह दी जाती है।
Nall (National Air Quality Index)
भारत में AQI को और बेहतर बनाने के लिए Nall (National Air Quality Index) को लागू किया गया है। इसका उद्देश्य देशभर में वायु गुणवत्ता को मॉनिटर करना और उसे सुधारने के उपायों को लागू करना है।
Nall के जरिए भारत में वायु प्रदूषण पर निगरानी रखी जाती है और समय-समय पर लोगों को इसके बारे में जानकारी दी जाती है।
प्रदूषण नियंत्रण की कोशिशें
स्वच्छ हवा योजना: भारत सरकार ने बड़े शहरों में स्वच्छ हवा योजना लागू की है। इसके तहत, प्रदूषण की उच्च दर वाले शहरों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देना, कचरे को सही तरीके से डिस्पोस्ड करना है।
कार्बन इमीशंस पर नियंत्रण: सरकार ने सीएएफ (क्लीन एयर फंड) जैसी योजनाएं शुरू की हैं, जो प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए वित्तीय सहायता देती हैं।
ग्रीनरी बढ़ाना: सरकार ने विभिन्न शहरों में वृक्षारोपण अभियान चलाए हैं, ताकि प्रदूषण को कम किया जा सके।
स्मॉग towers: दिल्ली और अन्य शहरों में स्मॉग टावर्स लगाए गए हैं, जो हवा को साफ करने में मदद करते हैं।
नागरिकों का योगदान
सरकार के प्रयासों के बावजूद, हमें प्रदूषण (देश दुनिया न्यूज) को नियंत्रित करने में नागरिकों का योगदान भी उतना ही जरूरी है। हमें अपनी जीवनशैली में बदलाव लाना होगा।
पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग करें: ज्यादा से ज्यादा लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग करें, ताकि वाहन कम चलें और प्रदूषण की दर कम हो।
पराली जलाने से बचें: किसानों को पुराली जलाने के बजाय उसे सही तरीके से नष्ट करने के उपायों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
कचरे को सही तरीके से नष्ट करें: कचरा जलाने के बजाय उसे रिसायकल करें और सही तरीके से नष्ट करें।
साफ हवा के लिए वृक्षारोपण करें: प्रदूषण को कम करने का सबसे सरल तरीका वृक्षारोपण है।
2 दिसंबर को विश्व प्रदूषण नियंत्रण दिवस का उद्देश्य प्रदूषण के समाधान के लिए ठोस कदम उठाना है। भारत में प्रदूषण की समस्या विकराल रूप ले चुकी है।
यही समय है जब हम अपनी हवा को साफ करने के लिए प्रयास करें और अपने आने वाले पीढ़ी के लिए एक सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण बनाएं।
2 दिसंबर के इतिहास की 10 बड़ी घटनाएं:
1804 - नेपोलियन बोनापार्ट का सम्राट के रूप में ताज पहनना
2 दिसंबर 1804 को नेपोलियन बोनापार्ट ने पेरिस में सम्राट के रूप में ताज पहना, जिससे फ्रांस का साम्राज्य एक नए युग में प्रवेश कर गया।1823 - मोनरो डॉक्ट्रिन की घोषणा
अमेरिकी राष्ट्रपति जेम्स मोनरो ने 2 दिसंबर 1823 को मोनरो डॉक्ट्रिन की घोषणा की, जिसमें उन्होंने यूरोपीय देशों को अमेरिकी महाद्वीप में हस्तक्षेप न करने की चेतावनी दी।1851 - फ्रांस में दूसरा गणराज्य स्थापित
2 दिसंबर 1851 को, फ्रांसीसी सम्राट लुई-नापोलियन ने एक तख्तापलट के जरिए फ्रांसीसी गणराज्य को समाप्त कर दिया और दूसरे साम्राज्य की स्थापना की।1917 - रूस में बोल्शेविक क्रांति के बाद शांति समझौता
2 दिसंबर 1917 को रूस और जर्मनी के बीच ब्रेस्ट-लिटोव्स्क समझौता हुआ, जिसके तहत रूस ने प्रथम विश्व युद्ध से बाहर निकलने का निर्णय लिया।1942 - पहला परमाणु प्रतिक्रिया
2 दिसंबर 1942 को शिकागो विश्वविद्यालय में एन्हिलेटर नामक पहला परमाणु प्रतिक्रिया सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया, जिसे मैनहट्टन प्रोजेक्ट का हिस्सा माना जाता है।1954 - भारत में पंचायत राज अधिनियम लागू
2 दिसंबर 1954 को भारत सरकार ने पंचायती राज अधिनियम लागू किया, जो ग्रामीण प्रशासन में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बढ़ावा देता है।1961 - अंगोला में युद्ध की शुरुआत
2 दिसंबर 1961 को अंगोला में पुर्तगाल और स्थानीय विद्रोहियों के बीच संघर्ष शुरू हुआ, जिसे बाद में अंगोला युद्ध के रूप में जाना गया।1971 - भारत-पाक युद्ध की शुरुआत
2 दिसंबर 1971 को भारत और पाकिस्तान के बीच तीसरे भारत-पाक युद्ध की शुरुआत हुई, जो बांगलादेश के निर्माण के साथ समाप्त हुआ।1982 - इजराइल में इवान रिवलिन का जन्म
2 दिसंबर 1982 को इजराइल के राष्ट्रपति इवान रिवलिन का जन्म हुआ। वे इजराइल के प्रमुख राजनीतिक हस्ताक्षरों में से एक रहे हैं।1993 - पर्ल हार्बर पर जापान द्वारा हमला
2 दिसंबर 1993 को, जापान द्वारा पर्ल हार्बर पर किए गए हमले की 50वीं वर्षगांठ मनाई गई, जो द्वितीय विश्व युद्ध का एक अहम मोड़ था।
2 दिसंबर क्यों याद रखा जाना चाहिए?
भारत में 2 दिसंबर को भोपाल गैस त्रासदी की भीषण घटना हुई थी, जो भारत के इतिहास में एक काला अध्याय बन चुकी है। 1984 में यूनियन कार्बाइड कारखाने से निकली मिथाइल आइसोसायनेट गैस ने हजारों लोगों की जान ली। यह घटना न केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में औद्योगिक सुरक्षा और जिम्मेदारी के संदर्भ में एक चेतावनी बन गई। यह दिन भारत में हर साल याद किया जाता है, ताकि इस त्रासदी से सीख ली जा सके।
विश्व में 2 दिसंबर को कई ऐतिहासिक घटनाएँ घटी हैं, जिनका वैश्विक स्तर पर बड़ा असर पड़ा। इनमें नेपोलियन का ताज पहनना, अमेरिका की मोनरो डॉक्ट्रिन की घोषणा, और परमाणु परीक्षण जैसे घटनाएँ शामिल हैं, जो विश्व इतिहास के महत्वपूर्ण मोड़ों का प्रतिनिधित्व करती हैं। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि इतिहास में हर घटना का वैश्विक दृष्टिकोण पर गहरा प्रभाव हो सकता है।
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