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Photograph: (The Sootr)
आज के दिन की कहानी:बात है साल 1989 की, जब भारतीय राजनीति में एक ऐतिहासिक मोड़ आया था। 29 नवंबर की तारीख भारतीय लोकतंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण घटना बन गई। इसी दिन देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
वह गांधी परिवार के पहले सदस्य थे। इन्होंने बिना वोटों की गिनती के ही पद छोड़ने की घोषणा कर दी थी। राजीव गांधी ने अपनी हार को पूरी विनम्रता के साथ स्वीकार किया था। ये लोकतंत्र के लिए एक बड़ी मिसाल थी।
यह इस्तीफा किसी निजी कारण से नहीं, बल्कि देश की जनता के जनादेश करते हुए दिया गया था। 1984 के चुनाव में 404 सीटों की ऐतिहासिक जीत के बाद, पांच साल बाद ही कांग्रेस पार्टी को करारा झटका लगा था।
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1989: कांग्रेस की भारी गिरावट
आजादी के बाद से लगभग 40 सालों तक कांग्रेस पार्टी का भारतीय राजनीति पर दबदबा रहा था। 1984 में अपनी मां इंदिरा गांधी की दुखद हत्या के बाद राजीव गांधी ने 415 सीटों की भारी बहुमत से सरकार बनाई थी। यह कांग्रेस की अब तक की सबसे बड़ी जीत थी।
केवल पांच साल बाद, उनकी सरकार प्रशासनिक समस्याओं और सरकारी भ्रष्टाचार के आरोपों से घिर गई थी। हाल ही में हुए आम चुनावों में कांग्रेस पार्टी को करारा झटका लगा था।
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544 सीटों वाली संसद में कांग्रेस पार्टी बहुमत (273 सीटें) से बहुत दूर, सिर्फ 197 सीटों पर सिमट गई थी। हालांकि कांग्रेस सबसे बड़ी अकेली पार्टी बनकर उभरी थी, पर राजीव गांधी ने सत्ता पर दावा छोड़ने का फैसला किया।
उन्होंने राष्ट्रपति रामास्वामी वेंकटरमण को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। राजीव गांधी ने राष्ट्रपति से अनुरोध किया कि जब तक नई सरकार नहीं बनती, तब तक उन्हें कार्यवाहक सरकार का नेतृत्व करने दिया जाए।
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बोफोर्स और भ्रष्टाचार
राजीव गांधी का शुरुआती दौर करिश्मा और आकर्षण से भरा था। उनकी लोकप्रियता जल्दी ही गिरने लगी। कांग्रेस की इस करारी हार और राजीव गांधी के इस्तीफे के पीछे सबसे बड़ा कारण बोफोर्स घोटाला था।
यह 1980 के दशक का सबसे बड़ा राजनीतिक विवाद बन गया था। यह घोटाला स्वीडन की हथियार कंपनी एबी बोफोर्स से 155 एमएम की हॉवित्जर तोपों की खरीद से जुड़ा था।
यह डील लगभग 1437 करोड़ रुपए की थी। स्वीडिश रेडियो ने 1987 में यह खुलासा किया था कि इस सौदे को फाइनल करने के लिए भारतीय राजनेताओं और अधिकारियों को 64 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई थी।
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सरकारी भ्रष्टाचार और प्रशासनिक समस्याओं की खबरों ने उनकी सरकार के प्रति समर्थन को कम करना शुरू कर दिया था। बोफोर्स घोटाला (Bofors Scam) इस हार का सबसे विवादित और बड़ा कारण बना था।
इस रक्षा सौदे में बड़े पैमाने पर रिश्वतखोरी के आरोप लगे थे। कांग्रेस ने दक्षिणी राज्यों, जैसे तमिलनाडु में अच्छा प्रदर्शन किया था। लेकिन उत्तर और पश्चिम भारत के अधिक आबादी वाले क्षेत्रों में मिली करारी हार ने दक्षिण की बढ़त को लगभग ख़त्म कर दिया था। यह हार भ्रष्टाचार विरोधी लहर की जीत थी।
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विदाई पर भावुक भाषण
प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद, राजीव गांधी ने राष्ट्रीय टेलीविजन पर एक भावुक भाषण दिया। उन्होंने अपने बयान में कहा, "मैं अपनी पूरी ताकत से भारत के लोगों की सेवा करता रहूंगा।"
उन्होंने यह भी कहा कि "चुनाव जीतने और हारने के बारे में होते हैं, लेकिन देश का काम कभी नहीं रुकता।" उन्होंने नई बनने वाली सरकार को "रचनात्मक सहयोग" देने का वादा किया था। यह एक ऐसा भावनात्मक क्षण था, जिसने भारतीय राजनीति में एक नया शिष्टाचार स्थापित किया।
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चुनाव में दिखी विपक्ष की एकता
इस चुनाव में विपक्ष की एकता ने सबसे बड़ा कमाल दिखाया था। विपक्षी दलों ने एक कार्यकारी समझौते के तहत काम किया। उन्होंने वोटों को विभाजित करने के बजाय, एक-दूसरे के उम्मीदवारों को समर्थन दिया।
इस समझौते का परिणाम यह हुआ कि जनता दल के नेतृत्व में राष्ट्रीय मोर्चा गठबंधन ने सत्ता हासिल की। चुनाव सर्वेक्षणों के अनुसार, कांग्रेस को सिर्फ 190 सीटें मिली थीं। जबकि जनता दल को 137 और बीजेपी को 86 सीटें मिली थीं।
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विश्वनाथ प्रताप सिंह (VP Singh), जो जनता दल और नेशनल फ्रंट के नेता थे ने एक नई सरकार बनाई। हालांकि, ये सरकार ज्यादा समय तक नहीं चल पाई। लगभग एक साल बाद ही समाजवादी पार्टी के चंद्रशेखर सिंह सोलंकी प्रधानमंत्री बन गए थे।
आजादी के बाद 42 सालों तक नेहरू परिवार का भारत के नेतृत्व पर दबदबा रहा था। यह विरासत जवाहरलाल नेहरू, उनकी बेटी इंदिरा गांधी और पोते राजीव गांधी तक चली थी। इस्तीफआ देने के बावजूद, राजीव गांधी अपनी पार्टी के नेता बने रहे। इससे नेहरू-गांधी वंश की शक्ति बनी रही।
(References)
The Harvard Crimson: Gandhi Resigns as India's Prime Minister Navbharat Times: बोफोर्स घोटाला: राजीव गांधी को बचाने के लिए हुई थी सीक्रेट मीटिंग
29 नवंबर की महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएं
हर दिन का अपना एक अलग महत्व होता है और 29 नवंबर का दिन भी इतिहास (आज की यादगार घटनाएं) में कई महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए दर्ज है।
इस दिन दुनिया में कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिन्होंने इतिहास की दिशा बदल दी। आइए जानते हैं 29 नवंबर (आज की तारीख का इतिहास) को भारत और विश्व में घटी कुछ प्रमुख घटनाओं के बारे में, जो आपके सामान्य ज्ञान को बढ़ा सकती हैं।
विश्व इतिहास की प्रमुख घटनाएं
1516: फ्रांस और स्विट्जरलैंड ने फ्रेईबर्ग के शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए।
1775: सर जेम्स जे ने अदृश्य स्याही का आविष्कार किया।
1782: ब्रिटेन ने अमरीकी स्वतंत्रता को आधिकारिक तौर पर मान्यता दी।
1781: ब्रिटिश गुलाम जहाज ज़ोंग के क्रू ने बीमा का दावा करने के लिए 133 अफ्रीकी दासों को समुद्र में फेंक दिया। (एक दर्दनाक ऐतिहासिक घटना)
1830:पोलैंड में रूस के शासन के खिलाफ नवंबर विद्रोह (November Uprising) शुरू हुआ।
1870: ब्रिटेन में आवश्यक शिक्षा (Compulsory Education) लागू की गई।
1877: महान आविष्कारक थॉमस अल्वा एडिसन ने पहली बार अपने फोनोग्राफ (Phonograph) का प्रदर्शन किया।
1899: स्पेनिश फ़ुटबॉल के सबसे सफल क्लबों में से एक, FC बार्सिलोना (FC Barcelona) की स्थापना हुई।
1932:सोवियत संघ और फ्रांस ने एक दूसरे पर हमला न करने की संधि (Non-Aggression Pact) की।
1947:संयुक्त राष्ट्र महासभा ने फिलिस्तीन में अरब-इजरायल संघर्ष को सुलझाने के लिए, इसे यहूदी और अरब राज्यों में अलग करने की योजना को मंजूरी दी।
1963: कनाडा का एक जेट विमान (ट्रांस-कनाडा एयरलाइन फ्लाइट 831) उड़ान भरने के कुछ मिनटों बाद ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें सवार सभी 118 लोग मारे गए।
1972: अटारी ने पोंग वीडियो गेम जारी किया, जो आर्केड और होम कंसोल बाजारों में लोकप्रिय होने वाला पहला गेम था।
1987:कोरियाई एयर फ्लाइट 858 में टाइम बम विस्फोट हुआ, जिसमें 115 लोग मारे गए।
2012:संयुक्त राष्ट्र महासभा ने फिलिस्तीन को गैर-सदस्य पर्यवेक्षक राज्य (Non-member Observer State) का दर्जा दिया।
भारत की महत्वपूर्ण घटनाएं
1961: दुनिया के पहले अंतरिक्ष यात्री यूरी गागरिन (Yuri Gagarin) भारत दौरे पर आए।
1970:हरियाणा सौ फीसदी ग्रामीण विद्युतीकरण (Rural Electrification) का लक्ष्य पाने वाला पहला भारतीय राज्य बना।
1989: तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने अपने पद से इस्तीफा दिया।
1977: पाकिस्तान के दिग्गज बल्लेबाज यूनुस खान का जन्म हुआ (उनके नाम 111 टेस्ट में 33 शतक हैं)।
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