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आज के दिन की कहानी: आज हम एक ऐसी दोस्ती का जश्न मनाएंगे जिसकी कहानी एक सदी से भी पुरानी है। यह कहानी है उस विशालकाय तोहफे की, जिसने पूरी दुनिया को आजादी और उम्मीद का नया सिम्बल दिया। तारीख थी 28 अक्टूबर 1886, जब फ्रांस ने अमेरिका को अपना सबसे बड़ा गिफ्ट स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी ऑफिशियली सौंप दिया।
न्यूयॉर्क हार्बर के बेडलो द्वीप पर आयोजित उस शानदार सेरेमनी में राष्ट्रपति ग्रोवर क्लीवलैंड खुद मौजूद थे। यह दिन न केवल दोनों देशों के गहरे संबंध को दिखाता है। बल्कि उन लाखों लोगों के लिए ऐतिहासिक पल था जो इस 'मैडम लिबर्टी' के आगमन का गवाह बनने आए थे।
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फ्रांस का महान आर्टवर्क: बेडरोज का सपना
क्या आपको पता है, यह मूर्ति यूं ही नहीं बन गई थी। इसे बनाने का सपना एक फ़्रांसीसी स्कल्पचर फ्रेडरिक अगस्टे बार्थोल्डी ने देखा था। बार्थोल्डी चाहते थे कि फ्रांस, अमेरिका की स्वतंत्रता की घोषणा की 100वीं वर्षगांठ पर उसे यह तोहफा दे।
ये सिर्फ एक मूर्ति नहीं थी, बल्कि फ्रांस के लोगों की तरफ से अमेरिका के लोगों को एक संदेश था। संदेश ये था कि हम दोनों देश लोकतंत्र और आजादी के लिए हमेशा साथ खड़े रहेंगे। इस मूर्ति को बनाने में भी कम मशक्कत नहीं हुई।
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यह पूरी तरह से कॉपर यानी तांबे की बनी हुई है। इसका अंदरूनी ढांचा यानी फ्रेमवर्क किसी और ने नहीं, बल्कि महान इंजीनियर गुस्ताव एफिल ने डिजाइन किया था।
हां, वही एफिल, जिन्होंने बाद में पेरिस का एफिल टॉवर बनाया। सोचिए, उस वक्त के दो महान दिमागों ने मिलकर इस अद्भुत स्ट्रक्चर को खड़ा किया। इसका वजन था 200 टन और इसकी ऊंचाई थी।
लगभग 305 फीट बेसमेंट सहित। इसे फ्रांस में बनाया गया फिर इसे लगभग 350 अलग-अलग टुकड़ों में तोड़कर 200 से ज्यादा बक्सों में पैक किया गया। फिर समुद्री जहाज से न्यूयॉर्क लाया गया। यह सब कुछ 1885 में हुआ।
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अमेरिकी लोगों का योगदान: चंदा और समर्पण
मूर्ति तो बन गई पर उसे अमेरिका में खड़ा करने के लिए एक मजबूत प्लिंथ या आधार चाहिए था। प्लिंथ बनाने के लिए चाहिए था पैसा। शुरुआत में अमेरिकी सरकार ने कुछ मदद की लेकिन ज्यादातर फंड जुटाने का काम अमेरिकी लोगों के कंधों पर था।
सबसे बड़ा रोल निभाया न्यू यॉर्क के अखबार पब्लिशर जोसेफ पुलित्जर (Joseph Pulitzer) ने जिनके नाम पर आज पुलित्जर अवॉर्ड है। पुलित्जर ने अपने अखबार 'द न्यूयॉर्क वर्ल्ड' में एक जोरदार कैम्पेन चलाया।
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उन्होंने अमेरिकियों से कहा, "यह सिर्फ न्यू यॉर्क या अमीरों का काम नहीं है, यह पूरे अमेरिका का सम्मान है!" उन्होंने छोटे से छोटे डोनेशन के लिए भी अपील की।
सोचिए, लोग 25 सेंट जितने छोटे अमाउंट भी दान कर रहे थे। इस तरह पुलित्जर ने लाखों डॉलर जमा कर लिए। यह दिखाता है कि कैसे आम अमेरिकी लोगों ने इस राष्ट्रीय स्मारक के लिए दिल खोलकर सपोर्ट किया।
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28 अक्टूबर 1886: समारोह का ऐतिहासिक दिन
आखिरकार, वो शुभ दिन आया। 28 अक्टूबर 1886 को न्यूयॉर्क में मौसम अच्छा नहीं था बारिश हो रही थी, लेकिन लोगों के जोश में कोई कमी नहीं थी।
भव्य परेड:
न्यूयॉर्क सिटी में आर्मी परेड हुई, जिसमें हजारों लोगों ने हिस्सा लिया। यह अमेरिका के इतिहास की सबसे बड़ी परेड्स में से एक थी।
राष्ट्रपति का भाषण:
राष्ट्रपति ग्रोवर क्लीवलैंड ने अपने भाषण में कहा कि यह मूर्ति सिर्फ अमेरिका के लिए नहीं, बल्कि दुनिया के हर देश के लिए एक प्रेरणा है। उन्होंने कहा, "हम इसे कभी नहीं भूलेंगे कि स्वतंत्रता ने अपने घर के लिए अपना रास्ता कैसे बनाया।"
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द अनवीलिंग:
मूर्ति को ढकने वाला विशाल फ्रांसीसी झंडा, जिसे मूर्ति के मुख पर बांधा गया था। उसे एक छोटी-सी रस्सी खींचकर हटाया गया। इस सम्मान के लिए चुना गया था बार्थोल्डी को। जब उन्होंने झंडा हटाया, तो भीड़ ने जोरदार तालियों और हर्षोल्लास से स्वागत किया।
हार्बर का दृश्य:
न्यूयॉर्क हार्बर में खड़े नेवी के जहाज़ों ने तोपों की सलामी दी। पूरा हार्बर एक उत्सव की तरह जगमगा उठा। यह आजादी की एक सच्ची विजय थी।
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स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी का महत्व
आज भी, स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी सिर्फ न्यूयॉर्क का एक टूरिस्ट स्पॉट नहीं है। यह इससे कहीं ज्यादा है:
अप्रवासीयों के लिए उम्मीद (Hope for Immigrants):
लाखों अप्रवासी जो यूरोप से अमेरिका आए, उन्होंने सबसे पहले इसी मूर्ति को देखा। यह उनके लिए नई जिंदगी, अवसर और स्वतंत्रता की गारंटी थी।
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लोकतंत्र का सिम्बल (Symbol of Democracy):
यह मूर्ति सिखाती है कि सरकार लोगों की होती है और स्वतंत्रता एक ऐसा अधिकार है जिसके लिए हर हाल में खड़ा होना चाहिए।
अंतर्राष्ट्रीय दोस्ती (International Friendship):
यह आज भी दुनिया को फ्रांस और अमेरिका की पुरानी और अटूट दोस्ती की याद दिलाती है।
यह है उस ऐतिहासिक दिन की कहानी जब स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी को दुनिया के सामने पेश किया गया। यह हमेशा हमें यह याद दिलाती रहेगी कि स्वतंत्रता एक मशाल है, जिसे कभी बुझने नहीं देना चाहिए।
References
- National Park Service (NPS) - Statue of Liberty National Monument: The official US government source for the history and details of the monument.
- The New York Times Archives: Contemporary news coverage of the 1886 dedication ceremony.
- Library of Congress: Historical records, photographs, and documents related to the construction and fundraising efforts.
- History.com: Detailed articles on the French-American alliance and the roles of Bartholdi and Eiffel.
28 अक्टूबर की महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएं
हर दिन का अपना एक अलग महत्व होता है और 28 अक्टूबर का दिन भी इतिहास (आज की यादगार घटनाएं) में कई महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए दर्ज है।
इस दिन दुनिया में कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिन्होंने इतिहास की दिशा बदल दी। आइए जानते हैं 28 अक्टूबर (आज की तारीख का इतिहास) को भारत और विश्व में घटी कुछ प्रमुख घटनाओं के बारे में, जो आपके सामान्य ज्ञान को बढ़ा सकती हैं।
विश्व इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाएं
312 – कॉन्सटेंटाइन द ग्रेट ने मैक्सिमियस को मैलवियन ब्रिज की लड़ाई में पराजित किया।
1420 – बीजिंग को मिंग वंश की राजधानी घोषित किया गया और फॉरबिडन सिटी पूर्ण हुई।
1492 – क्रिस्टोफर कोलंबस ने क्यूबा के पूर्वी तट की खोज की।
1707 – होई भूकंप ने नानकै ट्रफ के सभी खंडों को तोड़ा, जिसकी तीव्रता लगभग 8.6 एमएल थी।
1709 – इंग्लैंड और नीदरलैंड ने फ्रांस विरोधी संधि पर हस्ताक्षर किए।
1726 – लंदन में जोनाथन स्विफ्ट की पुस्तक ‘गुलिवर ट्रेवल्स’ प्रकाशित हुई।
1791 – फ्रांस में ‘महिलाओं के अधिकारों का घोषणापत्र’ प्रकाशित हुआ।
1835 – माओरी प्रमुखों ने न्यूजीलैंड की स्वतंत्रता की घोषणा पर हस्ताक्षर किए।
1846 – सिएरा नेवादा में बर्फीले तूफ़ान से 42 पायनियर्स की मौत हुई।
1859 – स्पेन ने मोरक्को के खिलाफ युद्ध की घोषणा की।
1863 – जिनेवा सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस समिति का गठन हुआ।
1868 – थॉमस एडीसन ने अपना पहला पेटेंट ‘इलेक्ट्रिक वोट रिकॉर्डर’ बनाया।
1886 – फ्रांस ने अमेरिका को मित्रता-प्रतीक के रूप में स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी भेंट किया।
1886 – न्यूयॉर्क हार्बर में स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी का औपचारिक समर्पण किया गया।
1891 – जापान में नोबे क्षेत्र में सबसे बड़ा अंतर्देशीय भूकंप आया।
1893 – त्चाइकोवस्की ने अपनी अंतिम सिम्फनी नं. 6 का पहला प्रदर्शन निर्देशित किया।
1904 – पनामा और उरुग्वे ने राजनयिक संबंध स्थापित किए।
1913 – जैन श्वेताम्बर तेरापंथ सभा की स्थापना हुई।
1915 – रिचर्ड स्ट्रॉस की ‘एन अल्पाइन सिम्फनी’ का पहला प्रदर्शन हुआ।
1918 – चेकोस्लोवाकिया ने ऑस्ट्रिया-हंगरी से स्वतंत्रता की घोषणा की।
1918 – पश्चिमी गैलिसिया में नई पोलिश सरकार की घोषणा की गई।
1919 – अमेरिकी कांग्रेस ने वुडरो विल्सन के वीटो को निष्प्रभावी कर वोल्स्टेड अधिनियम पारित किया।
1921 – एम्स्टर्डम के टस्किनस्की मूवी थिएटर का उद्घाटन हुआ।
1929 – वॉल स्ट्रीट क्रैश ‘ब्लैक मंडे’ के रूप में दर्ज हुआ, जिससे ग्रेट डिप्रेशन शुरू हुआ।
1933 – गरीबी के कारण टीबी, डिप्थीरिया, स्कार्लेट ज्वर जैसी बीमारियों में वृद्धि देखी गई।
1940 – ग्रीको-इटैलियन युद्ध शुरू हुआ, ग्रीस ने इतालवी अल्टीमेटम अस्वीकार किया।
1942 – अमेरिका में राष्ट्रीय स्तर पर कॉफ़ी राशनिंग लागू करने की घोषणा।
1944 – द्वितीय विश्व युद्ध में बुल्गारिया ने सोवियत संघ के सामने बिना शर्त समर्पण किया।
1954 – अमेरिकी लेखक अर्नेस्ट हेमिंग्वे को साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला।
1965 – मिसौरी (यूएस) में 630 फीट ऊंचा गेटवे आर्च पूर्ण हुआ।
1971 – ब्रिटेन ने अपना पहला उपग्रह ‘प्रॉस्पेरो’ अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया।
1977 – हांगकांग पुलिस ने ICAC मुख्यालय पर हमला किया।
1995 – बाकू मेट्रो (अजरबैजान) दुर्घटना में 289 लोगों की मृत्यु हुई।
2001 – पाकिस्तान के एक चर्च पर हमला, 18 लोगों की मौत।
2004 – बीजिंग में 4000 वर्ष पुराने मकबरों की खोज; और ईरान–EU परमाणु वार्ता विफल।
2006 – नाटो ने कंधार हवाई हमले में अफगानी नागरिकों की मौत पर खेद जताया।
2007 – इस्राइल के पीएम ने तुर्की की हवाई क्षेत्र उल्लंघन के लिए माफी माँगी।
2009 – पाकिस्तान के पेशावर में आत्मघाती कार बम धमाके में 117 से अधिक लोग मरे।
2009 – नासा के Ares I-X रॉकेट का सफल परीक्षण प्रक्षेपण।
2014 – ऑस्ट्रेलिया ने इबोला प्रभावित देशों के खिलाफ वीजा प्रतिबंध लगाए।
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