आज का इतिहास: कौन थी अंग्रेजों को धूल चटाने वाली भारत की पहली महिला स्वतंत्रता सेनानी रानी चेन्नम्मा

कित्तूर की रानी चेन्नम्मा भारत की एक महान स्वतंत्रता सेनानी थीं। उन्होंने 19वीं सदी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ पहला सशस्त्र विद्रोह किया। उनकी जयंती भारतीय इतिहास में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ महिला शक्ति और स्वाभिमान का प्रतीक है...

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Kaushiki
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आज हम जिस वीरांगना की कहानी सुन रहे हैं, उनका जन्म 23 अक्टूबर, 1778 को कर्नाटक के बेलगावी (तब के मैसूर राज्य) के काकती गांव में हुआ था। उनका नाम रखा गया चेन्नम्मा। बचपन से ही चेन्नम्मा को घुड़सवारी, तलवारबाजी और तीरंदाजी का जबरदस्त शौक था।

वह केवल राजघराने की बेटी नहीं थीं, बल्कि एक प्रशिक्षित योद्धा थीं। युवावस्था में उनका विवाह कित्तूर के राजा मल्लासारजा से हुआ। वह कित्तूर की रानी बनीं।

कित्तूर एक समृद्ध रियासत थी जो अपने स्वाभिमान और शांति के लिए जानी जाती थी। रानी चेन्नम्मा ने कुशलता और न्याय के साथ राजकाज में राजा का सहयोग किया। सब कुछ सही चल रहा था, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था।

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गोद निषेध की काली साया

19वीं सदी की शुरुआत भारत के लिए संकट का समय था। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी (British East India Company) पूरे देश में अपनी जड़ें फैला रही थी। उनका सबसे खतरनाक हथियार था 'व्यपगत का सिद्धान्त' (Doctrine of Lapse), जिसे लॉर्ड डलहौजी ने लागू किया था।

इस सिद्धांत के तहत, यदि किसी रियासत के राजा की मृत्यु बिना किसी प्राकृतिक पुरुष उत्तराधिकारी के हो जाती थी, तो उस रियासत को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया जाता था। साल 1824 में रानी चेन्नम्मा पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। उनके इकलौते बेटे की मृत्यु हो गई। राजा मल्लासारजा का निधन पहले ही हो चुका था।

कित्तूर रानी चेन्नम्मा - UPSC Current Affairs 2025

कित्तूर के अस्तित्व को बचाने के लिए, रानी ने तुरंत एक बालक, शिवलिंगप्पा को गोद लिया। उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। लेकिन, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के राजनीतिक एजेंट, थॉमस मुनरो के भतीजे, जॉन थैकरे की गिद्ध दृष्टि कित्तूर के खजाने और जमीन पर थी।

थैकरे ने गोद निषेध सिद्धांत (adoption prohibition theory) का हवाला दिया। फिर कित्तूर को ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन करने का फरमान सुना दिया। रानी के लिए यह केवल रियासत बचाने का सवाल नहीं था, बल्कि स्वाभिमान और न्याय की लड़ाई थी।

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रानी चेन्नमा ने किया विद्रोह (1824)

रानी चेन्नम्मा ने थैकरे के फरमान को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने गरजकर कहा, "कित्तूर हमारी मातृभूमि है और हम इसे किसी भी कीमत पर तुम्हें नहीं सौंपेंगे।" उन्होंने लंदन में बैठे कोर्ट ऑफ डायरेक्टर्स तक को पत्र लिखकर अपनी बात समझाई, पर अंग्रेज सुनने को तैयार नहीं थे।

जब बातचीत से बात नहीं बनी, तो रानी ने युद्ध की घोषणा कर दी। यह भारत में ब्रिटिश कोलोनियल रूल के खिलाफ शुरुआती विद्रोहों में सबसे जरूरी था, जो 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम से 33 साल पहले हुआ था। 23 अक्टूबर, 1824 को, ब्रिटिश सेना ने कित्तूर पर हमला बोल दिया।

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  • वीरता की शिखर: 

    रानी चेन्नम्मा ने अपनी सेना का नेतृत्व खुद किया। उन्होंने एक कुशल योद्धा की तरह, घोड़े पर सवार होकर, तलवार के दम पर अंग्रेजों से लोहा लिया। उनकी सेना में उनके वीर सेनापति बालप्पा और संगोली रायन्ना जैसे देशभक्त शामिल थे।

  • थैकरे का अंत: 

    पहले ही युद्ध में, रानी की सेना ने ब्रिटिश फौज को धूल चटा दी। इस लड़ाई में खुद जॉन थैकरे मारा गया। अंग्रेजों को भारी नुकसान उठाना पड़ा और उन्हें मजबूरी में चेन्नम्मा के साथ एक अस्थायी शांति समझौता करना पड़ा।

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विश्वासघात से मिली हार

पहले युद्ध में हार के बाद, अंग्रेज बौखला गए। धारवाड़ के तत्कालीन कलेक्टर, स्टीवनसन ने संधि का उल्लंघन किया। बड़ी सेना के साथ कित्तूर पर दोबारा हमला किया। इस बार उन्होंने छल और विश्वासघात का सहारा लिया।

ब्रिटिश सेना ने रानी चेन्नम्मा के कुछ गद्दार अधिकारियों को खरीद लिया और उन्हें अंदरूनी जानकारी मिल गई। 3 दिसंबर, 1824 को, कित्तूर की सेना को चारों ओर से घेर लिया गया। रानी ने बहादुरी से लड़ाई लड़ी, लेकिन सीमित संसाधनों और विश्वासघात के कारण उन्हें हार माननी पड़ी।

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रानी चेन्नम्मा को गिरफ्तार कर लिया गया और बाईलाहोंगल किले में कैद कर दिया गया। 21 फरवरी, 1829 को चार साल तक कैद में रहने के बाद, यह महान वीरांगना जेल की कालकोठरी में ही शहीद हो गईं।

रानी चेन्नम्मा का विद्रोह विफल जरूर हुआ, लेकिन उन्होंने पूरे देश को एक चिंगारी दी। उनकी कहानी ने संगोली रायन्ना जैसे अन्य देशभक्तों को प्रेरित किया, जिन्होंने गुरिल्ला युद्ध के जरिए कई सालों तक ब्रिटिश हुकूमत की नाक में दम किए रखा।

कित्तूर का रानी चेन्नम्मा आज भी भारतीय नारी शक्ति और स्वाधीनता संघर्ष की एक अविस्मरणीय मिसाल हैं। उनकी जयंती पर हमें उस अमर बलिदान को याद करना चाहिए, जिसने हमें स्वतंत्रता की राह दिखाई।

23 अक्टूबर की महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएं

हर दिन का अपना एक अलग महत्व होता है और 23 अक्टूबर का दिन भी इतिहास (आज की यादगार घटनाएं) में कई महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए दर्ज है।

इस दिन दुनिया में कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिन्होंने इतिहास की दिशा बदल दी। आइए जानते हैं 23 अक्टूबर (आज की तारीख का इतिहास) को भारत और विश्व में घटी कुछ प्रमुख घटनाओं के बारे में, जो आपके सामान्य ज्ञान को बढ़ा सकती हैं।

विश्व इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाएं

  • 1641: आयरिश कैथोलिक जेंट्री ने उलेस्टर में डबलिन कैसल पर नियंत्रण करने की कोशिश की, ताकि रियायतवादी कैथोलिकों को मजबूर किया जा सके।

  • 1707: ग्रेट ब्रिटेन साम्राज्य की संसद को पहली बार लंदन में मिलाया गया।

  • 1778: कित्तूर चेन्नम्मा की जयंती

  • 1760: उत्तर अमेरिका में यहूदी प्रार्थना की पहली किताब मुद्रित हुई।

  • 1812: जनरल क्लाउड फ्रांस्वा डी माल्ट ने नेपोलियन के खिलाफ एक षड्यंत्र शुरू किया।

  • 1814: विश्व की पहली प्लास्टिक सर्जरी इंग्लैंड में की गयी।

  • 1850: पहला राष्ट्रीय महिला अधिकार कन्वेंशन अमेरिका के मैसाचुसेट्स के वॉर्सेस्टर में आयोजित हुआ।

  • 1910: बी. एस. स्कॉट अमेरिका में अकेले हवाई जहाज उड़ाने वाली पहली महिला बनीं।

  • 1915: महिलाओं के मताधिकार आंदोलन के हिस्से के रूप में 25,000 महिलाएं न्यूयॉर्क शहर में सड़कों पर उतरीं।

  • 1941: जर्मन सरकार ने यहूदियों के उत्प्रवास पर प्रतिबंध लगाया।

  • 1942: जर्मन युद्ध उद्योग के लिए काम करने से मना करने पर फ्रांसीसी श्रमिकों को नाजियों द्वारा हिंसा की धमकी दी गई।

  • 1946: संयुक्त राष्ट्र महासभा की न्यूयार्क में पहली बार बैठक हुई।

  • 1947: गेर्टी और कार्ल कोरी पहले ऐसे दंपति बने, जिन्हें कार्बोहाइड्रेट साइकल के सिद्धांत के लिए चिकित्सा के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

  • 1953: फिलीपींस में ऑल्टो ब्रॉडकास्टिंग सिस्टम ने दक्षिण-पूर्व एशिया में DZAQ-TV पर पहला प्रसारण किया।

  • 1954: पश्चिम जर्मनी नाटो सम्मलेन में शामिल हुआ।

  • 1956: सोवियत शासन के अंत की मांग करते हुए, हजारों लोग बुडापेस्ट, हंगरी में सड़कों पर उतर आए।

  • 1956: हंगेरियन क्रांति एक शांतिपूर्ण छात्र प्रदर्शन के रूप में शुरू हुई।

  • 1972: वियतनाम युद्ध-ऑपरेशन लाइनबैकर, उत्तरी वियतनाम के एक अमेरिकी बमबारी अभियान, समाप्त हुआ।

  • 1983: लेबनान में मुसलमान संघर्षकर्ताओं द्वारा अमरीकी व फ्रांसीसी अतिग्रहणकारियों के ठिकानों पर हुए आत्मघाती हमलों में 241 अमरीकी और 58 फ्रांसीसी सैनिक मारे गए।

  • 1989: हंगरी सोवियत संघ से 33 वर्षों के बाद आजाद होकर एक स्वतंत्र गणराज्य बना।

  • 1989: फिलिप्स 66 ह्यूस्टन केमिकल कॉम्प्लेक्स में विस्फोट और आग लगी, जिससे 23 कर्मचारी मारे गए।

  • 1993: अनंतिम आयरिश रिपब्लिकन आर्मी के वफादारी के अर्धसैनिक नेताओं की बैठक की कोशिश नाकाम रही।

  • 1998: जापान ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अपने पहले बैंक का राष्ट्रीयकरण किया।

  • 2001: नासा के मार्स ओडिसी अंतरिक्ष यान ने मंगल ग्रह की परिक्रमा शुरू की।

  • 2001: Apple द्वारा पहला iPod एक हजार गाने संग्रहीत करने की क्षमता के साथ जारी किया गया।

  • 2002: चेचन अलगाववादियों ने मॉस्को में एक भीड़ भरे थिएटर को जब्त कर लिया और लगभग 700 लोगों को बंधक बना लिया।

  • 2004: जापान में आए भूकंप ने 85 हजार लोगों को बेघर कर दिया।

  • 2007: अंतरिक्ष यान डिस्कवरी को सफलतापूर्वक उतारा गया, यह एसटीएस -120 चालक दल को ले जा रहा था।

  • 2009: अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ एक सार्वभौमिक मोबाइल फोन चार्जर को मंजूरी देता है।

  • 2010: यूएस के मौद्रिक सहजता को जर्मन अर्थव्यवस्था मंत्री द्वारा यूएसडी विनिमय दर में हेरफेर करने का आरोप लगाया गया।

  • 2011: तुर्की के वान प्रांत में 7.2 तीव्रता का भूकंप आया, जिसमें 582 लोगों की मौत हुई।

  • 2011: शव परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व लीबियाई तानाशाह, मुअम्मर गद्दाफी को बंदूक की गोली से सिर पर मार दिया गया था।

  • 425: वैलेंटाइन III पश्चिमी रोमन साम्राज्य के छह साल की आयु में सम्राट बन गया।

  • 502: पोप सिम्माचस को एक धर्मसभा से सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया, जिससे एंटोपोप लॉरेंटियस की विद्वता समाप्त हो गई।

भारत में हुई महत्वपूर्ण घटनाएं

  • 1934: महात्मा गांधी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता पद से इस्तीफा दिया।

  • 2013: चीन और भारत ने द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के लिए एक सीमा रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर करने का फैसला किया।

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