1 दिसंबर का इतिहास: AIDS समस्या है! जिंदगी का अंत नहीं, जानें कैसे हुई विश्व एड्स दिवस की शुरुआत?

हर साल 1 दिसंबर को दुनिया एड्स और HIV के बारे में जागरूक होने के लिए विश्व एड्स दिवस मनाती है। इसकी शुरुआत 1988 में हुई। 80 के दशक में HIV वायरस से जुड़े अजीब केस मिले, जिससे पता चला कि यह बीमारी इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देती है।

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Manya Jain
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हर साल 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। यह दिन दुनिया भर में एड्स और HIV के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए है। साथ ही इस दिन का उद्देश्य HIV संक्रमण के लिए जागरूक करना है। 1988 में इस दिन की शुरुआत हुई थी और तब से हर साल इसे मनाया जाता है। तो चलिए, जानते हैं कि इसकी शुरुआत कब और कैसे हुई।

एड्स की शुरुआत कैसे हुई?

1980s के दशक के दौरान अमेरिका में कुछ अजीब घटनाएं देखने को मिलीं। कुछ पुरुषों की अचानक से गंभीर बीमारी से मौत होने लगी। डॉक्टरों ने जांच में पाया कि यह एक नई बीमारी है, जिसका नाम एड्स (AIDS) है। 

यह बीमारी एक खास वायरस, HIV (Human Immunodeficiency Virus) से फैलती है। इससे शरीर का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। इसका मतलब यह होता है कि शरीर का इम्यून सिस्टम (जो हमें बीमारियों से लड़ने में मदद करता है) काम करना बंद कर देता है।

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HIV और एड्स में फर्क

बहुत से लोग HIV और एड्स को एक ही समझ लेते हैं, लेकिन दोनों अलग-अलग हैं। HIV वह वायरस है, जो शरीर में प्रवेश करता है, जबकि एड्स उस स्थिति को कहते हैं जब HIV वायरस के कारण शरीर का इम्यून सिस्टम पूरी तरह से कमजोर हो जाता है। इसके कारण इंसान को बहुत सारी बीमारियां होने लगती हैं।

एड्स से जुड़ी गलतफहमियां

जब एड्स के बारे में लोगों को जानकारी मिली, तो बहुत सी गलतफहमियां भी फैलीं। लोगों को यह लगता था कि यह बीमारी सिर्फ समलैंगिकों या ड्रग्स यूज करने वालों को होती है। लेकिन बाद में यह साफ हो गया कि HIV किसी को भी हो सकता है।

1980s और 1990s में एड्स के मामलों की संख्या तेजी से बढ़ी। यह बीमारी बहुत खतरनाक मानी जाती थी क्योंकि तब तक इसके इलाज के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।  

विश्व एड्स दिवस की शुरुआत

1 दिसंबर 1988 को WHO और UN ने मिलकर विश्व एड्स दिवस की शुरुआत की। इसका उद्देश्य एड्स के बारे में जागरूकता बढ़ाना, गलत धारणाएं दूर करना और संक्रमित लोगों के प्रति समर्थन को प्रोत्साहित करना था। उस समय एड्स तेजी से फैल रहा था, इसलिए बेहतर जानकारी और समझ फैलाना जरूरी था।

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एड्स का इलाज और उपचार

शुरुआती समय में एड्स का कोई प्रभावी इलाज उपलब्ध नहीं था। शोधकर्ताओं ने धीरे-धीरे HIV के लिए एंटी-रेट्रोवायरल दवाइयाँ विकसित कीं। ये दवाइयाँ शरीर में HIV को फैलने और बढ़ने से प्रभावी रूप से रोकती हैं।

ART की वजह से संक्रमित लोग अब लंबी और स्वस्थ ज़िंदगी जीते हैं। अभी HIV का स्थायी इलाज नहीं, लेकिन ART से सामान्य जीवन संभव है।

भारत में एड्स

भारत में भी 1980s और 1990s के दशक में एड्स के मामले बढ़ने लगे थे। इस समय सरकार ने एड्स के बारे में जागरूकता (आज की यादगार घटनाएं) फैलाने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए। भारत सरकार ने NACO (नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन) की स्थापना की थी। जिसका मुख्य उद्देश्य एड्स के बारे में लोगों को जानकारी देना और संक्रमण के प्रसार को रोकना था।

भारत में पहले एड्स के बारे में कई गलतफहमियां थीं, लेकिन समय के साथ अब लोग इसके बारे में अधिक जागरूक हो गए हैं। अब भारत में एड्स के मामलों को नियंत्रित किया जा रहा है। सरकार हर साल जागरूकता अभियानों का आयोजन करती है।

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आज का विश्व एड्स दिवस

आज, विश्व एड्स दिवस का महत्व और बढ़ गया है। इस दिन, पूरी दुनिया में एड्स के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए अलग-अलग कार्यक्रम होते हैं।

यह दिन केवल एड्स के बारे में जानकारी देने के लिए नहीं है, बल्कि यह उन लोगों के प्रति सहानुभूति दिखाने का दिन भी है जो HIV से संक्रमित हैं।

HIV का मतलब यह नहीं है कि वह व्यक्ति समाज से बाहर हो, या उसे अपमानित किया जाए। एड्स के साथ जीने वाले लोगों को सम्मान मिलना चाहिए, और समाज में समान अधिकार मिलने चाहिए।

विश्व एड्स दिवस यह बताता है कि हम सब मिलकर इस बीमारी के बारे में समझें और जागरूकता फैलाएं। इस महामारी को कम (आज के दिन की कहानी) कर सकते हैं। एड्स के बारे में अधिक से अधिक जानकारी फैलाना और इस पर काम करना हम सभी का कर्तव्य है। इस बीमारी को फैलने से रोका जा सके और HIV संक्रमित लोग भी समाज में सम्मान के साथ जी सकें।

WHO - World AIDS Day

CDC - HIV Basics

NACO - National AIDS Control Organization

1 दिसंबर की प्रमुख ऐतिहासिक घटनाएं

  1. 1955 - रोसा पार्क्स और नागरिक अधिकार आंदोलन
    रोसा पार्क्स ने मोंटगोमेरी, अलबामा में बस में अपनी सीट छोड़ने से इंकार कर दिया, जिससे अमेरिकी नागरिक अधिकार आंदोलन की नींव रखी गई।

  2. 1913 - हेनरी फोर्ड का 8 घंटे का कार्यदिवस
    हेनरी फोर्ड ने अपने कारखाने में 8 घंटे का कार्यदिवस और 5 डॉलर वेतन लागू किया, जो श्रमिक अधिकारों में महत्वपूर्ण कदम था।

  3. 1963 - भारत में सहकारी बैंक दिशा-निर्देश
    भारतीय रिजर्व बैंक ने सहकारी बैंकों के गठन के लिए दिशा-निर्देश जारी किए, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय सेवाएं बेहतर हो सकें।

  4. 1988 - भारत में एचआईवी/एड्स का पहला मामला
    भारत में 1 दिसंबर 1988 को एचआईवी/एड्स का पहला मामला सामने आया, जिसके बाद जागरूकता अभियानों की शुरुआत हुई।

  5. 1991 - सोवियत संघ का विघटन
    सोवियत संघ के नागरिकों ने जनमत संग्रह में इसके विघटन का समर्थन किया, और 15 स्वतंत्र राष्ट्र बने।

  6. 1980 - लेनिनग्राद में बर्फ़ीला तूफान
    1 दिसंबर 1980 को लेनिनग्राद (अब सेंट पीटर्सबर्ग) में भयंकर बर्फ़ीला तूफान आया, जिससे जनजीवन प्रभावित हुआ।

  7. 1973 - तेल संकट
    ओपेक देशों ने तेल आपूर्ति में कटौती की घोषणा की, जिससे वैश्विक ऊर्जा संकट उत्पन्न हुआ।

  8. 2009 - शंघाई सहयोग संगठन का विस्तार
    शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सदस्य देशों ने अपने सदस्यता विस्तार पर सहमति व्यक्त की।

  9. 1925 - भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अधिवेशन
    भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने लाहौर में एक महत्वपूर्ण अधिवेशन किया, जिसमें स्वतंत्रता संग्राम की रणनीतियों पर चर्चा हुई।

  10. 1965 - भारत-पाक युद्ध
    भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर विवाद पर युद्ध हुआ, जो पूरे वर्ष जारी रहा।

1 दिसंबर का महत्व

  • भारत: 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस के रूप में मनाया जाता है, ताकि एचआईवी/एड्स के बारे में जागरूकता फैलाई जा सके।

  • विश्व: यह दिन वैश्विक स्तर पर एचआईवी/एड्स के खिलाफ लड़ाई के लिए जागरूकता और सहयोग को बढ़ावा देने का दिन है।

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