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आज की तारीख का इतिहास:सिख धर्म के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी का जीवन एक ऐसी यात्रा थी जो सिर्फ भौगोलिक नहीं बल्कि आध्यात्मिक थी। उन्होंने अपने जीवनकाल में समाज में फैली कुरीतियों, अंधविश्वासों और जात-पात के भेदभाव को मिटाने के लिए कई यात्राएं कीं।
उनके उपदेशों से लाखों लोगों के जीवन में बदलाव आया। लेकिन उनकी इस महान यात्रा का अंत एक ऐसी पवित्र धरती पर हुआ, जिसे आज करतारपुर साहिब के नाम से जाना जाता है।
यह 22 सितंबर 1539 का दिन था, जब गुरु नानक देव जी अपने नश्वर शरीर को त्यागकर अमर हो गए। लेकिन उनकी मृत्यु सिर्फ एक घटना नहीं थी, बल्कि एक ऐसा चमत्कार था जिसने उनके अनुयायियों को हमेशा के लिए एक महत्वपूर्ण सबक सिखाया।
यात्राओं का अंत और करतारपुर का जन्म
अपनी चार महान 'उदासी' (आध्यात्मिक यात्राएं) पूरी करने के बाद गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन के आखिरी 18 साल एक ऐसे गांव में बिताए, जिसे उन्होंने खुद बसाया था।
इस गांव का नाम उन्होंने 'करतारपुर' रखा, जिसका मतलब है 'ईश्वर का शहर'। यह गांव रावी नदी के किनारे बसा था। यहां आकर गुरु नानक देव जी ने अपने भक्तों को एक गृहस्थ जीवन जीने का मार्ग दिखाया। उन्होंने बताया कि सच्चाई और ईमानदारी से कमाई करके, जरूरतमंदों के साथ बांटकर और हमेशा ईश्वर का नाम जपकर भी मोक्ष पाया जा सकता है।
उन्होंने यहां खेती की और अपनी मेहनत से उपजाए अन्न से एक लंगर (सामुदायिक रसोई) की शुरुआत की। इस लंगर में बिना किसी भेदभाव के सभी लोग, चाहे वे किसी भी जाति या धर्म के हों एक साथ बैठकर भोजन करते थे। यह दुनिया के लिए एक ऐसा सबक था जिसने भाईचारे और समानता की एक नई मिसाल पेश की।
करतारपुर में गुरु जी ने अपने परिवार के साथ साधारण जीवन बिताया। उन्होंने खुद हल चलाया, खेतों में काम किया और अपने भक्तों को भी यही सिखाया कि 'काम करना और नाम जपना' ही जीवन का असली मकसद है।
यहां उनकी शिक्षाएं सिर्फ बातों में नहीं, बल्कि उनके दैनिक जीवन में थीं। धीरे-धीरे, यह गांव एक पवित्र तीर्थस्थल बन गया, जहां दूर-दूर से लोग उनके दर्शन और उपदेश सुनने आते थे।
जब हुआ आखिरी समय का एलान
जब गुरु नानक देव जी का अंतिम समय नजदीक आया तो उनके भक्त बेहद दुखी हो गए। उनका निधन 22 सितंबर 1539 को हुआ। लेकिन उनकी मृत्यु से पहले एक अनोखी घटना घटी।
गुरु जी के अनुयायी दो हिस्सों में बंटे हुए थे: हिंदू और मुस्लिम। हिंदू उन्हें अपना गुरु और एक महान संत मानते थे, जबकि मुस्लिम उन्हें अपना 'पीर' या पैगंबर मानते थे। जब यह खबर फैली कि उनका आखिरी वक्त आ गया है, तो दोनों समुदायों के बीच एक बड़ा विवाद शुरू हो गया।
हिंदुओं का कहना था कि वे गुरु जी का अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार करेंगे, यानी उनके शरीर को जलाकर। वहीं, मुस्लिमों का कहना था कि वे उन्हें अपनी धार्मिक परंपराओं के अनुसार दफनाएंगे। दोनों पक्ष अपनी-अपनी बात पर अड़े हुए थे, जिससे तनाव बढ़ रहा था।
जब गुरु जी को इस बात का पता चला, तो उन्होंने शांति से दोनों पक्षों को अपने पास बुलाया। उन्होंने कहा कि वे आपस में झगड़ा न करें और एक उपाय सुझाया। उन्होंने कहा, “मेरे शरीर को एक चादर से ढक दो। हिंदू फूल एक तरफ रखें और मुस्लिम फूल दूसरी तरफ। कल सुबह, जिसकी तरफ के फूल ताजे रहेंगे, वे अपनी इच्छा अनुसार मेरा अंतिम संस्कार कर सकते हैं।”
गुरु जी ने चादर से ढकने के बाद अपनी आंखें बंद कर लीं। जब अगले दिन सुबह चादर हटाई गई, तो सभी लोग हैरान रह गए। वहां गुरु जी का शरीर नहीं था। चादर के नीचे केवल दोनों तरफ के ताजे फूल रखे थे।
यह देखकर हर कोई अचंभित रह गया और उन्हें एहसास हुआ कि गुरु जी का शरीर तो बस एक माध्यम था। उनकी आत्मा अमर थी और वह ज्योति-जोत (आध्यात्मिक प्रकाश) में समा गई थी।
गुरुद्वारा दरबार साहिब
उस चमत्कारिक घटना के बाद, दोनों समुदायों ने गुरु जी की इच्छा का सम्मान किया। हिंदुओं ने अपनी तरफ के फूलों से एक समाधि बनाई और मुस्लिमों ने दूसरी तरफ एक मजार बनाई।
यह दोनों समाधियां एक ही स्थान पर बनाई गईं जो आज भी मौजूद हैं। यह स्थल अब गुरुद्वारा दरबार साहिब के नाम से जाना जाता है और सिख धर्म के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है।
आज यह गुरुद्वारा पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के नारोवाल जिले में स्थित है। भारत-पाकिस्तान सीमा से इसकी दूरी केवल 4 किलोमीटर है। विभाजन के बाद, यह गुरुद्वारा पाकिस्तान में चला गय जिससे भारतीय श्रद्धालुओं के लिए यहां दर्शन करना मुश्किल हो गया था।
करतारपुर कॉरिडोर खोला गया
साल 2019 में, भारत और पाकिस्तान ने करतारपुर कॉरिडोर खोला। इस कॉरिडोर ने दोनों देशों के बीच की दूरियों को मिटा दिया और श्रद्धालुओं को बिना वीजा के यहां दर्शन करने की सुविधा दी।
यह कॉरिडोर सिर्फ एक रास्ता नहीं, बल्कि दोनों देशों के बीच शांति और सद्भाव का एक पुल है, जो गुरु नानक देव जी के 'एक ईश्वर' और 'एक मानव जाति' के संदेश को दर्शाता है।
उनका जीवन एक खुला ग्रंथ था, जिसमें हर पन्ने पर प्रेम, सेवा और समानता का पाठ लिखा था। 22 सितंबर का यह दिन हमें सिर्फ उनकी मृत्यु की याद नहीं दिलाता, बल्कि उनके उन सिद्धांतों को भी याद दिलाता है, जो आज के समय में पहले से कहीं ज्यादा प्रासंगिक हैं।
हमें उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारना चाहिए, क्योंकि तभी हम सही मायने में उनके सच्चे अनुयायी बन पाएंगे। उनकी शिक्षाएं, 'एक ओंकार सतनाम' (ईश्वर एक है, उसका नाम ही सत्य है) से लेकर 'नाम जपो, किरत करो, वंड छको' तक, हमें एक बेहतर इंसान बनने और एक बेहतर समाज बनाने की प्रेरणा देती हैं।
जन्म और प्रारंभिक जीवन
कुछ इतिहासकारों के मुताबिक गुरु नानक देव का जन्म 15 अप्रैल 1469 को तलवंडी नामक गांव में हुआ था, जिसे अब ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है।
यह गांव वर्तमान पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित है। उनके पिता मेहता कालू जी एक गांव के पटवारी थे और माता का नाम तृप्ता देवी था। बचपन से ही नानक जी बहुत शांत और ध्यानमग्न स्वभाव के थे। वे अक्सर दुनियादारी की बातों से दूर रहते और आध्यात्मिक चिंतन में लीन रहते थे। Guru Nanak Dev birth
छोटी उम्र में ही उन्होंने अपनी असाधारण बुद्धिमत्ता और ज्ञान का परिचय दिया। जब उन्हें पारंपरिक शिक्षा के लिए भेजा गया, तो उन्होंने अपने शिक्षकों को ऐसे गहरे सवाल पूछे कि वे हैरान रह गए।
उन्हें लगता था कि सच्चा ज्ञान किताबों में नहीं, बल्कि अपने भीतर और ईश्वर से जुड़ने में है। नानक जी ने बचपन में ही यह समझ लिया था कि समाज में जाति, धर्म और ऊंच-नीच के नाम पर जो भेदभाव हो रहा है, वह गलत है। वे सभी को समान मानते थे और यही उनका पहला और सबसे महत्वपूर्ण उपदेश था।
वो हैं-
नाम जपो: इसका मतलब है कि हमेशा ईश्वर का ध्यान करो और उनका नाम जपो। यह मन को शांत रखता है और आध्यात्मिक ऊर्जा देता है।
किरत करो: इसका मतलब है कि ईमानदारी से मेहनत करके अपनी आजीविका कमाओ। यह काम की गरिमा को बताता है और आलस्य से दूर रहने का उपदेश देता है।
वंड छको: इसका मतलब है कि अपने कमाए हुए धन और भोजन को जरूरतमंदों के साथ बांटकर खाओ। यह निस्वार्थ सेवा और समाज में समानता की भावना को बढ़ावा देता है।
इस तरह, 22 सितंबर का दिन सिर्फ एक ऐतिहासिक तिथि नहीं बल्कि गुरु नानक देव जी के जीवन, उनकी शिक्षाओं और उनकी अमरता का प्रतीक है।
यह हमें सिखाता है कि शरीर तो नश्वर है, लेकिन एक संत की शिक्षा और उसकी आत्मा हमेशा जीवित रहती है, जो आज भी मानवता को सही राह दिखा रही है।
Reference Link:
सिख विकी (SikhWiki): https://www.sikhiwiki.org/index.php/Kartarpur
श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी: http://www.srigranth.org/servlet/gurbani.gurbani
Pakistan Tourism Development Corporation की वेबसाइट: http://www.paktourism.gov.pk/Kartarpur.php
22 सितंबर का इतिहास
हर दिन का अपना एक अलग महत्व होता है और 22 सितंबर का दिन भी इतिहास (आज की यादगार घटनाएं) में कई महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए दर्ज है।
इस दिन दुनिया में कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिन्होंने इतिहास की दिशा बदल दी। आइए जानते हैं 22 सितंबर को भारत और विश्व में घटी कुछ प्रमुख घटनाओं के बारे में, जो आपके सामान्य ज्ञान को बढ़ा सकती हैं।
विश्व की महत्वपूर्ण घटनाएं
1539 – सिख संप्रदाय के पहले गुरु नानक देव जी का करतारपुर में निधन
1586: अस्सी साल के युद्ध में, स्पेनिश सेना ने ज़ुफ़ेन की लड़ाई में एंग्लो-डच सेना को हराया।
1711: फ्रांसीसी सैनिकों ने रियो डी जनेरियो पर कब्ज़ा किया।
1735: रॉबर्ट वाल्पोल पहले ब्रिटिश 'प्रधानमंत्री' बने, जो 10 डाउनिंग स्ट्रीट में रहने वाले पहले खजाना प्रमुख थे।
1756: अमेरिका में प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में नासाउ हॉल खोला गया।
1761: यूनाइटेड किंगडम के किंग जॉर्ज III और क्वीन चार्लोट का राज्याभिषेक हुआ।
1776: अमेरिकी सेना के जासूस कैप्टन नाथन हेल को ब्रिटिश सेना ने फांसी दी।
1784: रूस ने अलास्का के कोडियाक में एक कॉलोनी की स्थापना की।
1792: ऐतिहासिक फ्रांसीसी रिपब्लिकन कैलेंडर का युग शुरू हुआ और फ्रांस गणराज्य की स्थापना की घोषणा हुई।
1827: जोसेफ स्मिथ ने दावा किया कि उन्हें गोल्डन प्लेटें मिलीं, जिनसे उन्होंने बाद में 'बुक ऑफ मॉर्मन' लिखी।
1832: सुल्तान महमूद द्वितीय ने मुहम्मद सैद आगा को हटाकर कासिम अल अहमद को यरूशलेम का नया तुर्क राज्यपाल नियुक्त किया।
1862: अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने 1 जनवरी, 1863 से सभी राज्यों के गुलामों को मुक्त करने का आदेश देते हुए 'मुक्ति घोषणा' जारी की।
1903: इटालो मार्चिओनी को आइसक्रीम कोन का पेटेंट मिला।
1914: प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, जर्मन नौसैनिक बलों ने फ्रेंच पोलिनेशिया में पपीते पर बमबारी की।
1922: स्मिर्ना की महान आग नौ दिनों के बाद बुझ गई, जिसमें हज़ारों लोगों की मौत हुई।
1934: वेल्स के ग्रेशफोर्ड कोलियरी में एक विस्फोट में 266 लोगों की मौत हुई, जो ब्रिटेन की सबसे बड़ी खनन दुर्घटनाओं में से एक थी।
1949: सोवियत संघ ने अमेरिका के 4 साल बाद अपना पहला परमाणु बम सफलतापूर्वक परीक्षण किया।
1955: ब्रिटेन में टेलीविजन का व्यावसायीकरण शुरू हुआ, जिसमें प्रति घंटे केवल छह मिनट के विज्ञापन की अनुमति थी।
1957: फ्रांस्वा 'पापा डॉक्टर' डुवैलियर हैती के राष्ट्रपति बने और बाद में आजीवन तानाशाह के रूप में शासन किया।
1966: अमेरिकी यान 'सर्वेयर-2' चंद्रमा की सतह से टकराया।
1979: जमीयत-ए-इस्लाम के संस्थापक मौलाना अब्दुल अली मौदूदी का निधन हुआ।
1980: ईरान और इराक के बीच सीमा विवाद एक बड़े युद्ध में बदल गया।
1994: नॉर्वे में दूसरा सबसे लंबा पुल, नॉर्डहार्ड लैंड ब्रिज, आधिकारिक तौर पर खोला गया।
2005: ऑस्ट्रेलिया ने एवियन इन्फ्लूएंजा से निपटने में मदद के लिए इंडोनेशिया को एंटी-वायरल दवाएँ प्रदान करने पर सहमति दी।
2006: अटलांटिस स्पेसक्राफ्ट, जो अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के मिशन पर गया था, अमेरिका के केनेडी स्पेस सेंटर पर सुरक्षित उतरा।
2006: अमेरिका के 25 राज्यों में दागी पालक खाने से बीमार पड़ने वालों की संख्या 166 तक पहुंच गई।
2007: नासा के एयरक्राफ्ट ने मंगल ग्रह पर गुफाओं जैसी सात आकृतियों का पता लगाया।
2007: तुर्की के विदेश मंत्री अली बाबाकन ने पीकेके आतंकवादी समूह के अमेरिकी समर्थन की निंदा की।
2009: अल-कायदा के एक वीडियो में अफगानिस्तान से सैनिकों को वापस न लेने पर हमले की धमकी के बाद जर्मनी में सुरक्षा बढ़ाई गई।
2010: यू.एन. सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1929 के अनुसार, रूस ने ईरान को हथियार और गोला बारूद की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया।
2012: ऑस्ट्रेलियाई राज्य विक्टोरिया में रोमन कैथोलिक चर्च ने स्वीकार किया कि 1930 के दशक से पुजारियों ने 600 से अधिक बच्चों का यौन शोषण किया।
2013: पाकिस्तान के पेशावर शहर में एक चर्च पर दो आत्मघाती हमलावरों ने हमला किया, जिसमें कम से कम 78 लोग मारे गए।
2014: प्रदर्शनकारियों ने वॉल स्ट्रीट को ब्लॉक किया, ताकि संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन मंच से पहले जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई की मांग की जा सके।
904: बादशाह झू क्वानझोंग ने तांग राजवंश के सम्राट झाओजोंग की हत्या कर शाही सरकार पर नियंत्रण कर लिया।
भारत की महत्वपूर्ण घटनाएं
- 1965: भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध में संयुक्त राष्ट्र की पहल पर आज ही के दिन युद्ध विराम की घोषणा हुई।