/sootr/media/media_files/2025/09/24/25-sept-today-history-2025-09-24-15-46-12.jpg)
पंडित दीनदयाल उपाध्याय जयंती आज है। वह (25 सितंबर 1916 - 11 फरवरी 1968) भारतीय राजनीति और दर्शन के महत्वपूर्ण नेता थे। उन्होंने 'एकात्म मानववाद' (इंटीग्रल ह्यूमनिज्म) नामक एक विशेष भारतीय विचारधारा को प्रस्तुत किया। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रचारक रहे और भारतीय जनसंघ (जो अब भारतीय जनता पार्टी - बीजेपी है) के महासचिव और अध्यक्ष भी बने।
पंडित उपाध्याय का जीवन सादगी, त्याग और राष्ट्रसेवा के प्रतीक था। उन्होंने पश्चिमी पूंजीवाद और साम्यवाद की आलोचना की और एक ऐसी व्यवस्था की कल्पना की, जो भारतीय संस्कृति, गांधीवादी सिद्धांतों और आध्यात्मिक मूल्यों पर आधारित हो। पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती आज है। ऐसे में उनकी विचारधारा आज भी बीजेपी के मूल विचारों का हिस्सा है। इस लेख में हम पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जीवन, शिक्षा, राजनीति, दर्शन और उनके योगदान पर चर्चा करेंगे।
बचपन: मुश्किलों में शुरू हुआ सफर
25 सितंबर 1916 को उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के छोटे से गांव नागला चंद्रबन (अब दीनदयाल धाम) में एक साधारण ब्राह्मण परिवार में दीनदयाल का जन्म हुआ। उनके पिता भगवती प्रसाद ज्योतिषी थे और मां रामप्यारी धार्मिक विचारों वाली गृहिणी। लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था। जब दीनदयाल सिर्फ आठ साल के थे, तब उनके माता-पिता का देहांत हो गया। अनाथ होने के बाद उनके चाचा ने उनकी परवरिश की।
उनकी बुद्धिमत्ता ने सबका ध्यान खींचा
बचपन में ही उनकी बुद्धिमत्ता ने सबका ध्यान खींचा। राजस्थान के सीकर में हाई स्कूल की पढ़ाई के दौरान सीकर के महाराजा इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने दीनदयाल को स्वर्ण पदक, 250 रुपये की किताबें और हर महीने 10 रुपये की छात्रवृत्ति दी। इसके बाद उन्होंने पिलानी के बिड़ला स्कूल से इंटरमीडिएट किया और 1937 में कानपुर के संतान धर्म कॉलेज से बीए की डिग्री प्रथम श्रेणी में हासिल की।
कानपुर में ही उनकी मुलाकात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यकर्ता बालूजी महाशब्दे से हुई, जिसने उनके जीवन की दिशा बदल दी। 1939 में वे आगरा के सेंट जॉन्स कॉलेज में एमए करने गए, लेकिन पारिवारिक मुश्किलों के कारण पढ़ाई पूरी नहीं कर सके। फिर भी, उनकी सीखने की ललक कभी कम नहीं हुई। नेक्स्टआईएएस के मुताबिक, इन मुश्किलों ने उन्हें समाज के सबसे कमजोर वर्ग के लिए काम करने की प्रेरणा दी।
आरएसएस से शुरू हुआ मिशन
1937 में दीनदयाल आरएसएस से जुड़े। कानपुर की शाखाओं में काम करते हुए वे आरएसएस के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार से मिले। उनकी सादगी और विचारों ने दीनदयाल को इतना प्रभावित किया कि 1940 में वे पूर्णकालिक प्रचारक बन गए। 1942 में नागपुर में 40 दिन के प्रशिक्षण शिविर में हिस्सा लिया और बाद में लखीमपुर जिले के प्रचारक बने। 1955 तक वे उत्तर प्रदेश के संयुक्त प्रांत के प्रचारक रहे।
उन्होंने पत्रकारिता को भी अपनाया। 1940 के दशक में लखनऊ से मासिक पत्रिका 'राष्ट्र धर्म' शुरू की। फिर 1947 में साप्ताहिक 'पांचजन्य' और 1953 में दैनिक 'स्वदेश' का संपादन किया। इन पत्रिकाओं के जरिए उन्होंने हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के विचारों को जन-जन तक पहुंचाया। उनकी लेखनी इतनी प्रभावशाली थी कि लोग उन्हें गंभीरता से पढ़ते थे।
जनसंघ की नींव मजबूत की
1951 में जब डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भारतीय जनसंघ की स्थापना की, तब आरएसएस ने दीनदयाल को उनके साथ भेजा। वे उत्तर प्रदेश इकाई के पहले महासचिव बने और 1952 से 1967 तक अखिल भारतीय महासचिव रहे। 1953 में मुखर्जी के निधन के बाद जनसंघ को संभालने की जिम्मेदारी दीनदयाल पर आई। उन्होंने संगठन को मजबूत किया और कार्यकर्ताओं को वैचारिक दिशा दी। मुखर्जी ने एक बार कहा था, "अगर मेरे पास दो दीनदयाल होते, तो मैं भारत की राजनीति बदल देता।"
1963 में दीनदयाल ने जौनपुर से लोकसभा उपचुनाव लड़ा, लेकिन जीत नहीं सके। फिर भी, 1967 के आम चुनावों में जनसंघ ने 35 सीटें जीतीं और कई राज्यों में गठबंधन सरकारें बनीं। दिसंबर 1967 में कलिकट में हुए जनसंघ के अधिवेशन में वे अध्यक्ष चुने गए। उनके भाषण में गठबंधन और भाषा नीति पर जोर था। उन्होंने जनसंघ को एक मजबूत वैचारिक आधार दिया, जो आज बीजेपी में दिखता है। 15 साल तक महासचिव रहते हुए उन्होंने समर्पित कार्यकर्ताओं की फौज तैयार की।
एकात्म मानववाद: एक नई सोच
दीनदयाल की सबसे बड़ी देन है 'एकात्म मानववाद'। 1965 में विजयवाड़ा में जनसंघ के अधिवेशन में उन्होंने इस दर्शन को प्रस्तुत किया, जो जनसंघ का आधिकारिक सिद्धांत बना। यह विचार भारतीय संस्कृति और वेदांत दर्शन से प्रेरित है। दीनदयाल का मानना था कि पूंजीवाद और साम्यवाद दोनों अधूरे हैं। पूंजीवाद में सिर्फ पैसा और व्यक्तिगत स्वार्थ है, जबकि साम्यवाद में व्यक्ति की आजादी दब जाती है।
उन्होंने कहा कि इंसान के चार हिस्से हैं: शरीर (पैसे की जरूरत), मन (इच्छाएं), बुद्धि (धर्म) और आत्मा (मोक्ष)। एकात्म मानववाद इन चारों का संतुलन चाहता है। यह गांधीजी के सर्वोदय और स्वदेशी से भी प्रभावित है। रिपोर्ट के मुताबिक, यह दर्शन 'चिति' यानी राष्ट्र की आत्मा पर आधारित है। नेक्स्ट आईएएस की रिपोर्ट के अनुसार, यह पश्चिमी विचारों की नकल की बजाय भारतीय मूल्यों पर आधारित व्यवस्था की बात करता है। इसके मुख्य बिंदु हैं-
संतुलित विकास: आर्थिक, सामाजिक और आध्यात्मिक उन्नति।
अंत्योदय: समाज के सबसे कमजोर व्यक्ति का उत्थान।
स्वदेशी: गांवों पर आधारित, छोटे स्तर की अर्थव्यवस्था।
सांस्कृतिक एकता: हिंदुत्व पर आधारित देश की एकता।
लेखन और पत्रकारिता
दीनदयाल सिर्फ नेता ही नहीं, लेखक और पत्रकार भी थे। उन्होंने चंद्रगुप्त मौर्य पर नाटक 'राजर्षि चंद्रगुप्त' और शंकराचार्य पर किताब 'जगद्गुरु शंकराचार्य' लिखी। हेडगेवार की मराठी जीवनी का हिंदी अनुवाद किया। उनके भाषणों का संग्रह 'एकात्म मानववाद' और 'राजनीतिक डायरी' आज भी पढ़ा जाता है। हरियाणा राजभवन के अनुसार, वे "सादा जीवन, उच्च विचार" के प्रतीक थे।
रहस्यमयी अंत
11 फरवरी 1968 को दीनदयाल का निधन एक रहस्य बन गया। लखनऊ से पटना जाते समय मुगलसराय रेलवे स्टेशन (अब उनके नाम पर) के पास उनका शव मिला। आधिकारिक रूप से हृदयाघात बताया गया, लेकिन कई लोगों को हत्या का शक था। जांच में कुछ स्पष्ट नहीं हुआ। रिपोर्ट के मुताबिक, यह घटना जनसंघ के लिए बड़ा झटका थी। जगरण जोश के अनुसार, उनका जाना संगठन के लिए अपूरणीय क्षति थी।
आज भी जीवित है उनकी विरासत
दीनदयाल की सोच आज भी जिंदा है। 2014 में मोदी सरकार ने 25 सितंबर को 'अंत्योदय दिवस' घोषित किया। 2015 में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का नाम 'दीनदयाल अंत्योदय योजना' रखा गया। 2016 में उनकी जन्मशती पर डाक टिकट जारी हुआ। 2018 में सूरत में उनके नाम पर पुल बना। 2020 में वाराणसी में उनकी 63 फुट ऊंची प्रतिमा और स्मृति केंद्र का उद्घाटन हुआ। 2025 में एकात्म मानववाद के 60 साल पूरे होने पर बीजेपी ने बड़ा अभियान चलाया।
न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक, उनकी सोच आज 'विश्व गुरु भारत' के सपने को प्रेरित करती है। विजन आईएएस के अनुसार, यह पर्यावरण और आर्थिक समानता को बढ़ावा देता है। ऑर्गनाइजर के मुताबिक, उनकी सोच स्वास्थ्य और सामाजिक न्याय के लिए आज भी प्रासंगिक है।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जीवन हमें सिखाता है कि सादगी और समर्पण से बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। उनकी एकात्म मानववाद की सोच आज के दौर में भी प्रासंगिक है, जब दुनिया आर्थिक असमानता और पर्यावरण संकट से जूझ रही है। वे कहते थे, "सबसे निचले व्यक्ति को ऊपर उठाना ही सच्चा विकास है।" उनकी जयंती पर हम उनके सपने को साकार करने का संकल्प लें।
25 सितंबर का इतिहास
हर दिन का अपना एक अलग महत्व होता है और 25 सितंबर का दिन भी इतिहास (आज की यादगार घटनाएं) में कई महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए दर्ज है।
इस दिन दुनिया में कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिन्होंने इतिहास की दिशा बदल दी। आइए जानते हैं 22 सितंबर को भारत और विश्व में घटी कुछ प्रमुख घटनाओं के बारे में, जो आपके सामान्य ज्ञान को बढ़ा सकती हैं।
25 सितंबर की महत्वपूर्ण घटनाएं विश्व में
2013: पाकिस्तान के बलूचिस्तान में 7.7 की तीव्रता वाले भूकंप से 328 से ज़्यादा लोगों की मौत हुई।
2012: विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक अज्ञात कोरोनावायरस के मामले की जांच के लिए वैश्विक चेतावनी जारी की, जो सऊदी अरब से लौटे एक कतरी व्यक्ति में पाया गया था।
2011: सऊदी अरब के राजा अब्दुल्ला ने घोषणा की कि महिलाओं को देश में होने वाले नगरपालिका चुनावों में वोट देने और चुनाव लड़ने का अधिकार दिया जाएगा।
2010: युगांडा वन्यजीव प्राधिकरण (UWA) ने बताया कि देश के राष्ट्रीय उद्यानों में जानवरों की संख्या 1999 के बाद से दोगुनी हो गई है।
2009: पोलैंड की संसद ने एक कानून पारित किया, जिसमें 15 साल से कम उम्र के बच्चों का यौन शोषण करने वाले अपराधियों को रासायनिक रूप से नपुंसक बनाने का प्रावधान किया गया।
2008: चीन ने अपना तीसरा मानवयुक्त अंतरिक्ष यान 'शेंझो 7' लॉन्च किया, जिसमें पहली बार स्पेसवॉक भी शामिल था।
2004: पश्चिमी अफ्रीका के चाड, माली, गांबिया, नाइजर और मॉरिटानिया में पिछले 40 सालों में टिड्डियों का सबसे बड़ा हमला हुआ, जिसने हजारों एकड़ की फसल बर्बाद कर दी।
1997: ब्रिटेन के एंडी ग्रीन ने अपनी जेट कार को 714 मील प्रति घंटे की रफ्तार से चलाकर विश्व कीर्तिमान स्थापित किया।
1996: 'गिरी हुई महिलाओं' के लिए बनी आखिरी आयरिश संस्था, मैगडलीन असाइलम, को बंद कर दिया गया।
1992: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने 1,018 किलोग्राम का रोबोट 'मार्स ऑब्जर्वर' अंतरिक्ष यान भेजा।
1983: उत्तरी आयरलैंड की एचएम प्रिजन मेज में 38 प्रोविजनल आयरिश रिपब्लिकन आर्मी के कैदी जेल से भाग निकले।
1981: औद्योगिक विवाद के कारण रूपर्ट मर्डोक ने 'संडे टाइम्स' अखबार को बंद कर दिया। इसी दिन मध्य अमेरिकी देश बेलीज संयुक्त राष्ट्र में शामिल हुआ।
1974: उलनार कोलेटरल लिगामेंट को बदलने के लिए पहली सर्जरी की गई, जिसे बाद में पहले मरीज के नाम पर 'टॉमी जॉन सर्जरी' कहा गया।
1964: पुर्तगाली शासन के खिलाफ मोजाम्बिक में कई स्वदेशी आबादी ने आजादी के लिए 10 साल से चल रहे युद्ध को तेज कर दिया।
1962: उत्तरी यमन में गृह युद्ध तब शुरू हुआ, जब अब्दुल्ला अल-सल्लाल ने नए इमाम अल-बद्र को सत्ता से हटाकर खुद को यमन का राष्ट्रपति घोषित किया।
1959: श्रीलंका के प्रधानमंत्री एस.डब्ल्यू.आर.डी. भंडारनायके की हत्या कर दी गई।
1956: अमेरिका और यूरोप के बीच पहली सीधी टेलीफोन सेवा शुरू हुई।
1955: रॉयल जॉर्डन वायु सेना की स्थापना हुई।
1944: दूसरे विश्व युद्ध में ब्रिटिश सैनिकों ने नीदरलैंड के अर्नहेम की लड़ाई से पीछे हटना शुरू किया, जिससे मित्र देशों के ऑपरेशन 'मार्केट गार्डन' का अंत हुआ।
1939: वर्सेल्स शांति संधि अंडोरा को शामिल करना भूल गई थी, इसलिए अंडोरा और जर्मनी ने प्रथम विश्व युद्ध को आधिकारिक रूप से समाप्त करने के लिए एक संधि पर हस्ताक्षर किए।
1936: इंग्लैंड और अमेरिका के बीच नई तेज हवाई सेवा 'द कैलेडोनियन' शुरू होने वाली थी।
1929: ऑस्ट्रिया में अर्न्स्ट स्ट्रेरविट्ज़ की सरकार ने इस्तीफा दे दिया।
1926: हेनरी फोर्ड ने अपने कर्मचारियों के लिए आठ घंटे काम और पांच दिन के कामकाजी हफ्ते की शुरुआत की।
1924: जापान के लोगो में एक बड़े भूस्खलन में 20 घर दब गए और कई लोग मारे गए।
1911: फ्रांसीसी युद्धपोत लिबर्टे में एक विस्फोट हुआ, जिससे जहाज का आगे का गोला-बारूद भंडार नष्ट हो गया।
1897: ब्रिटेन में पहली बस सेवा शुरू हुई।
1868: रूसी युद्धपोत 'अलेक्जेंडर नेवस्की' डेनमार्क के उत्तर-पश्चिमी तट पर बर्बाद हो गया, जिसमें ग्रैंड ड्यूक एलेक्सी लगभग डूब गए थे।
1845: फाई अल्फा लिटरेरी सोसाइटी की स्थापना हुई।
1844: कनाडा और अमेरिका के बीच न्यूयॉर्क में पहला अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैच खेला गया, जिसमें कनाडा ने अमेरिका को 23 रनों से हराया।
1790: पेकिंग ओपेरा तब अस्तित्व में आया, जब चार महान अनहुई ट्रूप्स ने कियानलंग सम्राट के 80वें जन्मदिन के सम्मान में बीजिंग में अनहुई ओपेरा की शुरुआत की।
1777: ब्रिटिश जनरल विलियम होवे ने फिलाडेल्फिया शहर पर कब्जा कर लिया।
1775: अमेरिकी क्रांतिकारी युद्ध नायक एथन एलन को बंदी बना लिया गया, जब मॉन्ट्रियल पर कब्जा करने का उनका प्रयास विफल हो गया।
1639: अमेरिका के कैम्ब्रिज, मैसाचुसेट्स में पहली प्रिंटिंग प्रेस शुरू हुई।
1396: यूरोप में निकोपोलिस की लड़ाई में बेयजीद के नेतृत्व में ओटोमन सेनाओं ने हंगरी के सिगिस्मंड के नेतृत्व में एक ईसाई गठबंधन को हराया।
1340: इंग्लैंड और फ्रांस ने एक निरस्त्रीकरण संधि पर हस्ताक्षर किए।
25 सितम्बर की महत्वपूर्ण घटनाएं भारत में
- 1916: भारतीय अर्थशास्त्री, समाजशास्त्री, पत्रकार और महान चिंतक दीनदयाल उपाध्याय का जन्म हुआ।
- 1524: वास्कोडिगामा आखिरी बार वायसराय बन कर भारत आया।