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इतिहास के पन्नों में कुछ तारीखें सिर्फ संख्या नहीं होतीं, बल्कि एक युग की शुरुआत होती हैं। 1850 ऐसी ही एक तारीख थी। यह वो दौर था, जब भारत अंग्रेजों की गुलामी में जकड़ा हुआ था और हमारी अपनी भाषा हिंदी भी अपनी पहचान के लिए संघर्ष कर रही थी। साहित्य या तो पुरानी रूढ़ियों में फंसा था या फिर आम लोगों की समझ से परे था।
चारों तरफ एक निराशा का माहौल था, लेकिन ठीक इसी अंधेरे में एक दिया जला, इसने पूरी हिंदी साहित्य को रोशन कर दिया। 9 सितंबर 1850 को काशी (बनारस) की पवित्र धरती पर एक बालक का जन्म हुआ, जिसे आगे चलकर इतिहास ने भारतेन्दु हरिश्चंद्र के नाम से जाना। वे सिर्फ एक लेखक नहीं थे, बल्कि एक ऐसी क्रांति थे, जिसने हिंदी को सिर्फ एक भाषा से बदलकर राष्ट्र की आत्मा बना दिया।
एक असाधारण प्रतिभा का उदय
हरिश्चंद्र का जन्म एक प्रतिष्ठित और समृद्ध परिवार में हुआ था। उनके पिता गोपाल चंद्र भी एक जाने-माने कवि थे। लेकिन नियति को कुछ और मंजूर था। महज 10 साल की उम्र में उन्होंने अपनी मां को और 15 साल की उम्र में अपने पिता को खो दिया।
इस दुख ने उनकी संवेदनशीलता को और गहरा कर दिया। माना जाता है कि उन्होंने बचपन में ही अपने पिता को एक दोहा लिखकर सुनाया था, जिसने उनकी असाधारण प्रतिभा का परिचय दिया।
पारंपरिक स्कूली शिक्षा उन्हें रास नहीं आई, लेकिन उनका मन ज्ञान की हर धारा की ओर बहता था। उन्होंने खुद से ही कई भाषाएं सीखीं। जिनमें संस्कृत, उर्दू, बंगाली और अंग्रेजी शामिल थीं। यह उनकी इसी बहुमुखी प्रतिभा का कमाल था कि वे अलग-अलग भाषाओं के साहित्य का निचोड़ निकालकर हिंदी को एक नई दिशा दे पाए।
उन्होंने अपने घर को ही एक तरह के साहित्य और कला के केंद्र में बदल दिया था, जहां कवि, लेखक और कलाकार रोज शाम को जमा होते और विचारों का आदान-प्रदान करते। यह सब उनके जीवन के शुरुआती अध्याय थे, जो एक युग निर्माता की कहानी की नींव रख रहे थे।
एक कलम जो बन गई 'भारतेंदु'
हरिश्चंद्र को "भारतेन्दु" की उपाधि कोई साधारण सम्मान नहीं थी। यह उनके काम की गहराई और उनके प्रभाव का प्रमाण था। इस उपाधि का मतलब था "भारत का चांद" और वाकई उन्होंने अपनी कला और लेखन से भारत की सांस्कृतिक और साहित्यिक आकाश को रोशन कर दिया। उन्होंने कई माध्यमों का इस्तेमाल किया- कविता, नाटक, निबंध और पत्रकारिता।
आधुनिक हिंदी गद्य के जनक
भारतेन्दु से पहले हिंदी में गद्य का कोई ठोस रूप नहीं था। उन्होंने अपनी पत्रिकाओं जैसे कविवचनसुधा (Kavivachansudha), हरिश्चंद्र मैगजीन (Harishchandra Magazine) और बालबोधिनी (Balabodhini) के जरिए एक सरल, सीधी और आम लोगों की भाषा को लिखने का मंच दिया।
उनकी भाषा इतनी सहज थी कि कोई भी उसे पढ़ और समझ सकता था। उन्होंने पत्रकारिता के जरिए समाज को आईना दिखाया। इसमें राजनीति, धर्म और सामाजिक बुराइयों पर बेबाक टिप्पणी होती थी।
हिंदी रंगमंच के पितामह
हिंदी नाटक को नया जीवन देने का श्रेय पूरी तरह भारतेन्दु को जाता है। उन्होंने न सिर्फ बंगाली और अंग्रेजी नाटकों का अनुवाद किया, बल्कि 'अंधेर नगरी' (Andher Nagari) और 'भारत दुर्दशा' (Bharat Durdasha) जैसे मौलिक नाटक भी लिखे।
'अंधेर नगरी' एक ऐसा व्यंग्य है जो आज भी उतना ही प्रासंगिक है। वहीं, 'भारत दुर्दशा' में उन्होंने भारत की सामाजिक और आर्थिक गिरावट को दर्शाया और लोगों को जगाने का काम किया। उनके नाटक सिर्फ मनोरंजन नहीं थे, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक बदलाव लाने का जरिया थे।
एक कवि और समाज सुधारक
भारतेन्दु की कविता ने भी हिंदी साहित्य में एक नया अध्याय जोड़ा। वे पहले भक्ति और श्रृंगार रस की कविताएं लिखते थे, लेकिन धीरे-धीरे उनकी कलम ने राष्ट्रप्रेम और स्वदेशी की भावना को अपना लिया। उन्होंने अपनी कविता के जरिए ब्रिटिश शासन के शोषण और भारतीय समाज की कुरीतियों जैसे छुआछूत और अशिक्षा पर हमला किया।
वे अपनी कविता को एक राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल करते थे। इसके अलावाल उन्होंने महिलाओं की शिक्षा और विधवा विवाह जैसे मुद्दों को भी अपने लेखन का हिस्सा बनाया, जो उस समय एक क्रांतिकारी कदम था।
भारतेन्दु हरिश्चंद्र बने एक क्रांतिकारी कलम
भारतेन्दु हरिश्चंद्र ने जो कुछ भी लिखा, उसका असर सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने एक तरह से भारत में पुनर्जागरण (Renaissance) की नींव रखी। उनकी कलम ने लोगों में न सिर्फ अपनी भाषा, बल्कि अपने देश के प्रति भी गौरव की भावना जगाई। उन्होंने हिंदी को एक ऐसी भाषा बना दिया जो साहित्य, पत्रकारिता और सामाजिक संवाद के लिए पूरी तरह सक्षम थी।
उनके काम ने आने वाली पीढ़ियों के लेखकों को प्रेरित किया। मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद और हजारी प्रसाद द्विवेदी जैसे महान लेखकों ने जिस मजबूत नींव पर हिंदी साहित्य का विशाल भवन खड़ा किया, वो भारतेन्दु की ही देन थी। उनके लेखन ने लोगों को सोचने पर मजबूर किया और उन्हें अपनी समस्याओं के बारे में बात करने का साहस दिया। वे सिर्फ एक लेखक नहीं थे, बल्कि एक आंदोलन थे।
छोटी जिंदगी, विशाल विरासत
यह बेहद दुखद है कि भारतेन्दु हरिश्चंद्र का जीवन बहुत छोटा था। महज 35 साल की उम्र में 6 जनवरी 1885 को उनका निधन हो गया। लेकिन उनकी विरासत इतनी विशाल थी कि उनके बाद के युग को 'भारतेन्दु युग' कहा गया।
उन्होंने दिखाया कि भाषा सिर्फ व्याकरण और शब्दों का खेल नहीं, बल्कि लोगों की भावनाओं उनके सपनों और उनके संघर्षों का दर्पण है। उन्होंने हिंदी को उसके पुराने बंधनों से मुक्त किया और उसे आधुनिकता की राह पर ले आए। उनका काम आज भी हमें याद दिलाता है कि एक व्यक्ति अपनी कलम की ताकत से पूरे समाज में कितना बड़ा बदलाव ला सकता है।
1850 में जन्मा यह शख्स सिर्फ एक लेखक नहीं था, बल्कि एक दूरदर्शी, एक सुधारक और एक सच्चा देशभक्त था। उनकी विरासत आज भी हमारे बीच है और उनकी लिखी हर पंक्ति हमें अपने देश और अपनी भाषा के गौरव को समझने की प्रेरणा देती है।
आज की तारीख का इतिहास
हर दिन का अपना एक अलग महत्व होता है और 9 सितंबर का दिन भी इतिहास में कई महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए दर्ज है। इस दिन दुनिया में कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिन्होंने इतिहास की दिशा बदल दी। आइए जानते हैं 9 सितंबर को भारत और विश्व में घटी कुछ प्रमुख घटनाओं के बारे में, जो आपके सामान्य ज्ञान को बढ़ा सकती हैं।
9 सितंबर: इतिहास के पन्नों से
9 सितम्बर की महत्वपूर्ण घटनाएं विश्व के लिए
2014: ताइवान में मिलावटी तेल बेचने के आरोप में छह लोगों को पकड़ा गया।
2013: यरुशलम में लगभग 1400 साल पुराना 'ओफेल खजाना' खोजा गया।
2012: इराक में हुए आत्मघाती बम विस्फोट में 100 से ज़्यादा लोग मारे गए।
2011: दक्षिण अफ्रीका में 'ऑस्ट्रेलोपिथेकस सेडीबा' नामक मानव-पूर्वज के कंकाल मिले।
2010: चीन में भ्रष्टाचार के आरोप में वांग हुआयुआन को मौत की सज़ा सुनाई गई, और अमेरिका के कैलिफोर्निया में एक प्राकृतिक गैस पाइपलाइन फट गई।
2009: दुबई में अरब प्रायद्वीप का पहला स्वचालित मेट्रो नेटवर्क, दुबई मेट्रो, शुरू हुआ। इसी दिन इस्तांबुल में आई भीषण बाढ़ में 20 लोग मारे गए।
2008: परवेज़ मुशर्रफ के इस्तीफे के बाद आसिफ अली जरदारी पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने।
2007: वेनिस फिल्म फेस्टिवल में ब्रैड पिट और केट ब्लैंशट को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता/अभिनेत्री का पुरस्कार मिला।
2004: जकार्ता में ऑस्ट्रेलियाई दूतावास के बाहर हुए बम धमाके में 10 लोगों की मौत हो गई।
2001: अफगानिस्तान में उत्तरी गठबंधन के नेता अहमद शाह मसूद की हत्या कर दी गई।
1991: ताजिकिस्तान ने सोवियत संघ से अपनी स्वतंत्रता घोषित की।
1990: श्रीलंका के गृह युद्ध के दौरान 184 तमिल शरणार्थियों की हत्या कर दी गई।
1971: अमेरिकी राजधानी का नाम बदलकर जॉर्ज वॉशिंगटन के सम्मान में "वॉशिंगटन डीसी" रखा गया।
1969: कनाडा में फ्रांसीसी और अंग्रेजी को बराबर का दर्जा देने वाला 'आधिकारिक भाषा अधिनियम' लागू हुआ।
1968:आर्थर ऐश पहले अश्वेत खिलाड़ी बने जिन्होंने यूएस ओपन टेनिस टूर्नामेंट जीता।
1967: युगांडा ने ब्रिटेन से आज़ादी हासिल की।
1965: अमेरिका में आए तूफान बेट्सी से 76 लोगों की मौत हुई।
1960: उत्तरी कैरोलिना के ग्रीनविले शहर में पहला हार्डीज़ रेस्टोरेंट खोला गया।
1954: अल्जीरिया में आए भूकंप से 1400 लोगों की जान गई।
1945: 10 लाख जापानी सैनिकों के सरेंडर के साथ दूसरा चीन-जापानी युद्ध खत्म हो गया।
1943: रोड्स की लड़ाई जर्मन और इतालवी सेनाओं के बीच शुरू हुई।
1939: द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान नाजी सेना पोलैंड की राजधानी वारसा पहुँच गई।
1924: बेल्जियम में 8 घंटे का काम का दिन शुरू हुआ।
1920: एंग्लो-ओरियंटल कॉलेज का नाम बदलकर 'अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय' कर दिया गया।
1911: इटली में एक मोटरबोट दुर्घटना में 14 लोगों की मौत हो गई।
1886: साहित्यिक और कलात्मक रचनाओं को सुरक्षित रखने के लिए बर्न कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए गए।
1867: यूरोपीय देश लक्ज़मबर्ग को स्वतंत्रता मिली।
1850: कैलिफ़ोर्निया अमेरिका का 31वां राज्य बना।
1783: पेंसिल्वेनिया मेंडिकिन्सन कॉलेज की स्थापना हुई।
1776: अमेरिकी कांग्रेस ने देश का नाम "यूनाइटेट कॉलोनीज़" से बदलकर "संयुक्त राज्य अमेरिका" कर दिया।
1753: उत्तरी अमेरिका में पहला स्टीम इंजन लाया गया।
1739: ब्रिटिश अमेरिका का सबसे बड़ा गुलाम विद्रोह, स्टोनो विद्रोह, दक्षिण कैरोलिना में शुरू हुआ।
1553: ब्रिटेन में लिचफील्ड शहर की स्थापना हुई।
1513: फ्लडडन की लड़ाई में स्कॉटलैंड के राजा जेम्स चतुर्थ मारे गए।
1493: ओटोमन साम्राज्य की सेनाओं ने कार्बावा फील्ड की लड़ाई में क्रोएशियाई सेना को हरा दिया।
1488: एनी डचेस ऑफ़ ब्रिटनी बनीं, जिससे बाद में फ्रांस और ब्रिटनी एक हो गए।
09 सितम्बर की महत्वपूर्ण घटनाएं भारत में
- 2005: 12 सितंबर को वाघा सीमा पर भारत और पाकिस्तान के बीच सजा पूरी करने वाले नागरिक दोषियों का आदान-प्रदान किया जाएगा।
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