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मध्यप्रदेश में सरकारी योजनाओं में जमकर पलीता लगाया जा रहा है और ये पलीता लग रहा है समग्र आईडी के जरिए। आलम ये है कि साढ़े आठ करोड़ की आबादी वाले प्रदेश में साढ़े 10 करोड़ तो समग्र आईडी बनी हुई हैं।

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Ram Krishna Gautam
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सूत्रधार में सबसे पहले बात करेंगे सरकारी योजनाओं में किस तरह से सेंधमारी की जाती है उसकी। अखबारों में टेलीविजन पर या फिर सोशल मीडिया पर आपने कई सरकारी योजनाओं के विज्ञापन देखे होंगे। इन विज्ञापनों में सरकार की योजनाओं की खूब तारीफ होती है। बड़े बड़े आंकड़े लिखे होते हैं। लेकिन हकीकत इससे काफी अलग है।

क्या है हकीकत ?

हकीकत तो ये है कि सरकार की अच्छी योजनाओं की कई बार सही ढंग से मॉनीटरिंग ना होने से योजनाओं को पलीता लग जाता है। ताजा मामला मध्यप्रदेश में करोड़ों परिवारों की समग्र आईडी से जुड़ा है। हद यह है कि 2011 के आंकड़ों के मुताबिक साढ़े आठ करोड़ की आबादी वाले मध्यप्रदेश में साढ़े दस करोड़ समग्र आईडी बन गई हैं। अब इन आईडी के वैरिफिकेशन में अफसरों के पसीने छूट रहे हैं। सरकार ने समग्र आईडी से जुड़ी तमाम योजनाओं का एक बार फिर वैरिफकेशन करना शुरू किया है। साथ ही समग्र आईडी के लिए E-KYC भी अनिवार्य कर दी गई है। लेकिन ये काम इतना आसान नहीं होने वाला है।

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