/sootr/media/post_banners/6987b26b2744877f7000ae61d9b37135443562ee0c687efa4385a9e459ffc076.png)
वॉशिंगटन. दुनियाभर से 200 से ज्यादा महिलाओं ने महिलाओं की सुरक्षा को लेकर आवाज उठाई है। इनमें अभिनेत्री, पत्रकार, संगीतकारों के अलावा नेता शामिल हैं। इन्होंने फेसबुक, ट्विटर, टिकटॉक और गूगल जैसी दिग्गज कंपनियों के सीईओ को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता देना को कहा है।
टेक कंपनियों से कहा- जवाबदेही तय करें
न्यूयॉर्क टाइम्स (NYT) के मुताबिक, 1 जुलाई को यह पत्र वर्ल्ड वाइव वेब (WWW) फाउंडेशन ने टेक कंपनियों को मेल किया गया था। इसमें ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की सुरक्षा में सुधार करने की बात कही थी। इन चारों कंपनियों को यह शपथ लेनी होगी कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की सुरक्षा बेहतर करें। साथ ही ये कंपनियां इस मुद्दे को लेकर जवाबदेही तय करेंगी। पेरिस में हुए यूएन जेनरेशन इक्वलिटी फोरम में भी जेंडर इक्वलिटी (लैंगिक समानता) पर फोकस किया गया।
पत्र में कई हस्तियों के साइन
पत्र में साइन करने वालों में ग्रासा माशेल (मोजांबिक के दिवंगत राष्ट्रपति की पत्नी, बाद में नेल्सन मंडेला से शादी की), जूलिया गिलार्ड (ऑस्ट्रेलिया की पूर्व प्रधानमंत्री), बिली जीन किंग (पूर्व टेनिस प्लेयर) और अभिनेत्री मैलेनी थांडीवे न्यूटन, एश्ले जूड और एमा वॉटसन जैसी दिग्गज हस्तियां हैं।
लेटर में क्या लिखा?
चिट्ठी के मुताबिक, इंटरनेट 21वीं सदी का टाउन स्क्वेयर है। ये वो जगह है, जहां बहसें होती हैं, समुदायों का निर्माण होता है, उत्पाद बेचे जाते हैं और प्रतिष्ठा बनाई जाती है। लेकिन ऑनलाइन हिंसा के मायने कहीं ज्यादा है। ये डिजिटल टाउन स्क्वेयर बहुत सारी महिलाओं के लिए असुरक्षित है। जेंडर इक्वेलिटी के खिलाफ खतरा है। डियान एबॉट के मुताबिक, अंतर्राष्ट्रीय नजरिए से देखें तो मैंने कई सालों तक ऑनलाइन हैरेसमेंट का सामना किया। एबॉट ने भी चिट्ठी पर साइन किए हैं। एबॉट 1987 में ब्रिटिश संसद के लिए चुनी गई पहली अश्वेत थीं।
सोशल मीडिया ने काफी खराब किया
एबॉट ने आगे कहा कि नस्लवाद और मिसोगनी (विवाह करने को लेकर निंदा) को अनदेखा किया जाता है। सोशल मीडिया ने सब कुछ इतना खराब कर दिया है कि हर दिन आप ट्विटर या फेसबुक पर क्लिक करते हैं, आपको नस्लीय भेदभाव के लिए खुद को मजबूत करना पड़ता है। यह काफी भयावह है।
अपमानजनक ट्वीट्स झेलती हैं अश्वेत महिलाएं
2018 में मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने ब्रिटेन और अमेरिका में रिसर्च की गई थी। इसमें मुद्दा महिला राजनेताओं और पत्रकारों के खिलाफ हिंसा था। शोध में यह भी पाया गया कि श्वेत महिलाओं के मुकाबले अश्वेत महिलाओं को ज्यादा अपमानजनक ट्वीट्स झेलने पड़ते है।